प्राचीन वैदिक विद्या के पवित्र केंद्र नैमिषारण्य को भारत में आध्यात्मिक ज्ञान और धार्मिक विरासत की आधारशिला कहा जा सकता है. पौराणिक गाथाओं और आध्यात्मिक लोकाचार में उद्धृत नैमिषारण्य के जंगलों के बारे में माना जाता है कि वैदिक ज्ञान के प्रसार के लिए ऋषियों ने इसे अपनी कर्मभूमि बनाया था. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, नैमिषारण्य वह क्षेत्र है जहां प्राचीनकाल में ऋषि-मुनि ध्यान लगाते थे और आध्यामिक ज्ञान देते थे. यही वजह है कि हिंदू धर्मग्रंथों में इसे खास पूजनीय स्थल का दर्जा हासिल है. आध्यात्मिक शांति और ज्ञान की खोज में नैमिषारण्य आने वाले के लिए यहां स्थित पवित्र चक्र तीर्थ खास मायने रखता है. जंगलों के बीच जगह-जगह आश्रम और मंदिर बने हैं, जहां वैदिक शिक्षाओं और तपस्वी जीवन के महत्व को समझा जा सकता है. त्योहारों और धार्मिक आयोजन के दौरान नैमिषारण्य भक्ति की ऊर्जा से भर जाता और दूर-दूर से साधक यहां पहुंचते हैं. मनोरम प्राकृतिक सुंदरता इस जगह के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को और भी अधिक बढ़ा देती है. इसे ज्ञान-ध्यान और स्व की खोज के लिए सर्वोत्तम स्थल माना जाता है. नैमिषारण्य लखनऊ से करीब 95 किमी दूर है. नैमिषारण्य तक बस या टैक्सी के जरिये बहुत आसानी से पहुंचा जा सकता है. नैमिषारण्य रेलवे स्टेशन लखनऊ-दिल्ली रेल मार्ग पर बालामऊ-सीतापुर लाइन पर स्थित है. यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट लखनऊ है.