मथुरा

दिव्य भक्ति का केंद्र
महत्व

भगवान कृष्ण की जन्मस्थली कहलाने वाला मथुरा भारत में धार्मिक उत्साह और आध्यात्मिक आनंद की धुरी है. यमुना नदी के शांत तट पर बसा यह प्राचीन शहर अलौकिक प्रेम और दिव्य लीलाओं की कहानियों से गुंजायमान है, और हिंदू पौराणिक गाथाओं में एक बेहद खास स्थान रखता है. मथुरा के असंख्य मंदिर इसके आध्यात्मिक माहौल में और ज्यादा रस घोलते हैं, क्योंकि हर एक मंदिर भगवान कृष्ण की लीलाओं और शिक्षाओं से कुछ न कुछ अनूठा रिश्ता दर्शाता है. जन्माष्टमी और होली जैसे त्योहारों के दौरान तो कृष्ण की इस नगरी की छटा देखते ही बनती है और इसी जीवंतता के रसपान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक यहां पहुंचते हैं. मथुरा की पारंपरिक कलाएं, संगीत और नृत्य में भी इसकी सांस्कृतिक समृद्धता की झलक मिलती है. दिल्ली और आगरा जैसे प्रमुख शहरों से निकटता यहां पहुंचने के लिए हवाई, सड़क और रेलवे की सुविधाएं मुहैया कराती है. सार्वजनिक सुविधाओं का आधुनिकीकरण, पर्यटक सेवाओं में वृद्धि और बुनियादी ढांचे के निरंतर विकास की वजह से यह शहर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के लिहाज एक प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है.

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