श्री चक्रतीर्थ

महत्व

श्री चक्रतीर्थ वो स्थान है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान ब्रह्मा का चक्र गिरा था. हिंदू पौराणिक गाथाओं में बेहद पवित्र और पूजनीय यह स्थल आध्यात्मिक ऊर्जा जगाने वाला केंद्र माना जाता है. कहते हैं कि यह सारे पापों को मिटाकर मनुष्यों में ज्ञान का संचार करता है. दैवीय मार्गदर्शन के आकांक्षी श्रद्धालु यहां आकर तमाम तरह के धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. भगवान ब्रह्मा और महर्षि शौनक के संदर्भ में प्रचलित यहां की तमाम किंवदंतियां यहां आने वाले पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को काफी प्रभावित करती हैं.

कैसे पहुँचें

गोमती नदी के तट पर स्थित इस जलकुंड तक पहुंचने के लिए बस, टैक्सी और अन्य स्थानीय साधन उपलब्ध हैं. बालामऊ-सीतापुर लाइन पर नैमिषारण्य रेलवे स्टेशन लखनऊ-दिल्ली रेल मार्ग का हिस्सा है. विमान सेवा के लिए निकटतम हवाईअड्डा लखनऊ में है.

मुख्य मूर्ति

चक्राकार आकृति वाला एक बड़ा जलकुंड है. इसे ही भगवान ब्रह्मा के चक्र की उपमा दी जाती है और भगवान विष्णु की दिव्य उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है. इस जलकुंड में डुबकी लगाने के साथ श्रद्धालु चक्राकार कुंड की परिक्रमा करते हैं.

फोटो
नैमिषारण्य स्थित श्री चक्रतीर्थ सदियों पुरानी आध्यात्मिक विरासत को समेटे है.
मंदिर के अंदर गूंजते प्रार्थनाओं के स्वर शाश्वत शक्ति का आभास कराते हैं.
चक्रतीर्थ की आंतरिक सज्जा इसके आध्यात्मिक महत्व को दर्शाती है.
भक्त अटूट भक्ति के साथ परमात्मा के साथ साक्षात्कार के भाव से खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं.
नैमिषारण्य के मंदिर साधकों को आध्यात्मिक ज्ञान और दैवीय कृपा प्रदान करते हैं.
मंदिर पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही परिपाटी के प्रति आस्था का प्रमाण है.
शांति और मार्गदर्शन की तलाश करने वाले भक्तों के लिए यह एक अहम धार्मिक केंद्र है.
मंदिर के अंदर सदियों पुराने धार्मिक अनुष्ठानों की अनुगूंज साफ सुनी जा सकती है.
श्री चक्रतीर्थ में प्राचीन भारतीय आध्यात्मिकता का सार समाहित है.
मार्ग
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