बांके बिहारी मंदिर

महत्व

कृष्ण को समर्पित बांके बिहारी मंदिर अपनी अनूठी दर्शन शैली और कृष्ण की बेहद मनमोहक मूर्ति के लिए ख्यात है, और यहां उन्हें बांके बिहारी नाम से पुकारा जाता है. कहा जाता है, जो पूरी श्रद्धा के साथ यहां आता है तो कृष्ण भक्ति में वृंदावन का ही होकर रह जाता है. कृष्ण की मनमोहक छवि से बंधे लोग बरबस ही यहां खिंचे चले आते हैं.

कैसे पहुँचें

वृंदावन के मध्य में स्थित बांके बिहारी मंदिर तक स्थानीय परिवहन से आसानी से पहुंचा जा सकता है. निकटतम हवाईअड्डा 75 किमी दूर आगरा और करीब 180 किमी दूर दिल्ली में है, जिससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों तथा श्रद्धालुओं के लिए यहां पहुंचना किसी भी तरह से असहज नहीं है.

मुख्य मूर्ति

मंदिर के प्रमुख देवता के तौर पर श्रीकृष्ण प्रतिष्ठापित हैं, जिन्हें बांके बिहारी स्वरूप में पूजा जाता है. कृष्ण का यह स्वरूप बेहद मनमोहक है और माना जाता है कि इसमें एक तरह का चुंबकीय आकर्षण है. पौराणिक मान्यता है कि अपने अटूट भक्त से प्रभावित होकर कहीं बांकेबिहारी उसके साथ ही न चले जाएं इसलिए उनके एकटक दर्शन न कराने की परंपरा निभाई जाती है.

फोटो
वृंदावन के आध्यात्मिक केंद्र में भक्तों को आकृष्ट करता बांके बिहारी मंदिर दैवीय आकर्षण के प्रति अगाध श्रद्धा का प्रतीक है.
पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे भक्त भगवान कृष्ण की असीम भक्ति में लीन रहते हैं.
बांके बिहारी मंदिर के अंदर भक्तों को भगवान कृष्ण की आध्यात्मिक आभा के बीच शांति मिलती है.
बांके बिहारी मंदिर का आंतरिक भाग श्रद्धालुओं को भगवान कृष्ण की दिव्य आभा से सराबोर कर देता है.
बांके बिहारी मंदिर भक्ति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, जो वृंदावन के इतिहास में गहराई से समाहित है.
बांके बिहारी मंदिर के अंदर भगवान कृष्ण की कृपा का बखान करते भजन और वैदिक मंत्र गूंजते रहते हैं.
इसकी जटिल नक्काशी हिंदू मंदिर वास्तुकला के सौंदर्य का बखान करती है.
श्रद्धालू भगवान कृष्ण से आशीर्वाद और दैवीय कृपा की तलाश में बांके बिहारी मंदिर में आते हैं.
भगवान कृष्ण को समर्पित वृंदावन का यह प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर अपने पौराणिक महत्व के कारण श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है.
बांके बिहारी मंदिर का अग्रभाग वृंदावन की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है.
यह मंदिर वृंदावन आने वाले तीर्थयात्रियों की शाश्वत भक्ति का उदाहरण है.
यह मंदिर श्रद्धालुओं में अटूट आस्था और भक्ति को प्रेरित करता है.
बांके बिहारी मंदिर भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और अलौकिक प्रेम का प्रतीक है.
बांके बिहारी मंदिर के अंदर मंत्रोच्चार और भजन गूंजते रहते हैं, जिससे एक आध्यात्मिक वातावरण बनता है.
यह जगह आने वाले लोगों में अटूट आस्था और भक्ति को बढ़ावा देती है.
मंदिर का आंतरिक भाग श्रद्धालुओं को भगवान कृष्ण की दिव्य आभा से सराबोर करता है.
यहां भक्त अनुष्ठान और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं.
यह हिंदू पौराणिक कथाओं और वृंदावन की संस्कृति में विशेष स्थान रखता है.
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