दशाश्वमेध घाट

महत्व

अनगिनत घाटों के लिए ख्यात वाराणसी में दशाश्वमेध घाट का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि ब्रह्मांड की रचना करने वाले ब्रह्मा ने इसे शिव के स्वागत के लिए बनाया था. गहरी धार्मिक परंपराओं को समेटे इस घाट को भव्य गंगा आरती के आयोजन के लिए भी जाना जाता है, जो भक्तों और पर्यटकों को समान रूप से आकृष्ट करता है.

कैसे पहुँचें

काशी विश्वनाथ मंदिर के नजदीक ही स्थित इस घाट तक बहुत आसानी से पहुंचा जा सकता है, यहां से गंगा का प्रवाह का नजारा भी विहंगम होता है.

प्रमुख मूर्ति

दशाश्वमेध घाट में गंगा नदी को जीवनदायिनी और शुद्धता की देवी के रूप में पूजा जाता है. माना जाता है कि उसके जल को छूने मात्र से ही तन-मन की शुद्धि हो जाती है. मुक्तिदायिनी गंगा को वाराणसी के आध्यात्मिक ताने-बाने का एक अभिन्न हिस्सा माना जाता है.

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यह घाट तन-मन की शुद्धि और मां गंगा के आशीर्वाद के इच्छुक भक्तों के लिए पलक-पांवड़े बिछाए नजर आता है.
गंगा के प्रति असीम भक्ति का प्रतीक यह घाट वाराणसी के समृद्ध इतिहास की झलक भी देता है.
दशाश्वमेध घाट के किनारों की छूती गंगा की लहरों के बीच तमाम धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं.
सदियों से अनगिनत तीर्थयात्रियों की प्रार्थनाओं की गूंजता यह घाट परंपराओं का सहेजने का प्रतीक भी है.
दशाश्वमेध घाट परम पावन वाराणसी और जीवनदायिनी गंगा के बीच शाश्वत बंधन का प्रतीक है.
यह घाट वाराणसी के पूरे आध्यात्मिक वातावरण में हृदयस्थल की तरह है.
गंगा के पावन-निर्मल प्रवाह के बीच एक आत्मिक शांति की अनुभूति होती है.
मां गंगा के भक्त उनकी शरण में आकर और पवित्र जल में डुबकी लगाकर अपने सभी दुखों को बिसरा देते हैं.
सदियों से अनगिनत तीर्थयात्रियों को शांति का आभास करता यह घाट निरंतर प्रार्थनाओं से गुंजायमान रहता है.
मार्ग
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