अस्सी घाट

महत्व

अस्सी नदी और गंगा के संगम पर स्थित यह घाट धार्मिक अनुष्ठानों और ध्यान के लिए एक बेहतरीन स्थल है, खासकर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय तो यहां का नजारा देखते ही बनता है, जब प्राकृतिक सौंदर्य अपने चरम पर नजर आता है.

कैसे पहुँचें

वाराणसी के दक्षिणी छोर पर स्थित यह घाट एक बेहद शांतिपूर्ण स्थल है और स्थानीय परिवहन के जरिये शहर के किसी भी कोने से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है.

प्रमुख मूर्ति

अस्सी घाट पर मुख्यत: गंगा नदी को ही पूजा जाता है, जिसे शुद्धता की प्रतीक और जीवनदायिनी मां का दर्जा हासिल है. एक देवी के रूप में वह जीवन चक्र की प्रतीक हैं और उनकी गोद में आकर लोग खुद को खोजने की कोशिश करते हैं.

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अस्सी घाट वाराणसी के व्यस्त जीवन के बीच सुकून की तलाश करने वालों के लिए एक प्रमुख आश्रय स्थल है.
आध्यात्मिक और अलौकिक शांति से परिपूर्ण यह घाट तीर्थयात्रियों को वाराणसी के पौराणिक महत्व से भी परिचित कराता है.
घाट पर बिखरी प्राकृतिक छठा का सौंदर्य तीर्थयात्रियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में पर्यटकों को भी आकृष्ट करता है.
अस्सी घाट की सीढ़ियां सदियों की आध्यात्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक जीवंतता की अनुगूंज सुनाती हैं.
अस्सी घाट आध्यामिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र है, जहां लोग नाव की सवारी का लुत्फ उठाने के अलावा योग सत्र और आध्यात्मिक आयोजन करते रहते हैं.
यह वाराणसी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और गंगा के प्रति भक्ति का प्रतीक है.
घाट का किनारा श्रद्धालुओं को सदियों पुरानी परपंरा से परिचित कराता है और धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होने को प्रेरित करता है.
दुनियाभर से यहां आने वाले भक्त और पर्यटक गंगा आरती की अलौकिक आभा देखकर मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकते.
यह घाट साधकों को वाराणसी की दिव्य ऊर्जा के बीच ध्यान और चिंतन के लिए आकर्षित करता है.
मार्ग
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