महाबोधि मूलगंधकुटी बौद्ध मंदिर

महत्व

महाबोधि मूलगंधकुटी मंदिर को बुद्ध की शांत और ज्ञानवर्धक यात्राओं का प्रतीक माना जाता है. यह बुद्ध के अवशेषों को सहेजने और उत्कृष्ट भित्तिचित्रों के जरिये उनके जीवन को चित्रित करने के लिए ख्यात है. इसे शांति और ज्ञान प्राप्ति के साथ ध्यान का एक अहम प्रतीक माना जाता है और यही वजह है कि दुनियाभर के बौद्ध और आध्यात्मिक साधक इसकी तरफ आकृष्ट होते हैं.

कैसे पहुँचें

यह शांत मंदिर सारनाथ क्षेत्र में स्थित है, जो वाराणसी के निकट है। वाराणसी एक प्रमुख यात्रा केंद्र होने के कारण, यह मंदिर स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिए सुविधाजनक रूप से सुलभ है, जो बौद्ध शिक्षाओं और ध्यान की गहराई में यात्रा का अवसर प्रदान करता है।

प्रधान देवी-देवता

इस मंदिर को शांति और ज्ञान प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है. यहां बुद्ध की ज्ञानवर्धक यात्राओं की झलक मिलती है.

फोटो
मूलगंधकुटी विहार एक प्रतिष्ठित मठ है जहां बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद पहला वर्षा ऋतु प्रवास किया था.
भगवान बुद्ध के अनुयायियों को यहां पहुंचकर एक आध्यात्मिक शांति की अनुभूति होती है.
इसका बाहरी हिस्सा सारनाथ में बुद्ध की शिक्षाओं के सार को दर्शाता है.
बुद्ध की शिक्षाओं से प्रेरित उनके भक्त इस पावन स्थल में आध्यामिक शांति का अनुभव करते हैं.
यह भक्तों को रोजमर्रा के जीवन से दूर चिंतन-मनन के लिए एक शांत माहौल प्रदान करता है.
मूलगंधकुटी विहार के भीतर साधक बुद्ध के ज्ञान और जीवन सार के जरिये अपना ज्ञानवर्धन करते हैं.
यह सारनाथ की गहन बौद्ध विरासत और बुद्ध के अवशेषों को सहेजने वाला एक प्रमुख केंद्र है.
मूलगंधकुटी विहार का अग्रभाग बौद्धकालीन वास्तुकला और आध्यात्मिकता का अनूठा प्रतीक है.
मार्ग
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