गुप्तर घाट

महत्व

सरयू नदी के किनारे इस घाट का हिंदू पौराणिक गाथाओं में इसलिए विशेष महत्व है क्योंकि भगवान श्रीराम ने यहीं जल समाधि ली थी. घाट चिंतन और अनुष्ठान के लिए एक शांतिपूर्ण स्थल है, जहां हर तरफ छोटे-बड़े मंदिर स्थित हैं और यहां से नदी का बेहद ही मनोरम नजारा दिखता है.

कैसे पहुँचें

अयोध्या में सरयू नदी के किनारे स्थित, गुप्तर घाट उड़ान या ट्रेन के माध्यम से अयोध्या पहुंचने के बाद स्थानीय परिवहन का उपयोग करके सुविधाजनक रूप से पहुँचा जा सकता है। इसका नदी किनारे का स्थान शहर के भीतर एक शांतिपूर्ण पलायन प्रदान करता है, जो स्थानीय परिवहन द्वारा आसानी से सुलभ है।

प्रमुख देवता

गुप्तार घाट पर भगवान राम को रामायण के एक शाश्वत नायक के तौर पर पूजा जाता है. यह उनके दिव्य और सदाचारी जीवन चक्र को पूरा कर स्वर्ग गमन का प्रतीक है. धर्म, त्याग और मर्यादाओं के पालन की सीख देने वाला श्रीराम का जीवन चरित्र यहां बेहद गहराई से प्रतिबिंबित होता है, और नैतिक मूल्यों को जीवन का हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित करता है.

फोटो
सरयू नदी के किनारे स्थित गुप्तार घाट आध्यात्मिक अनुष्ठानों के लिए एक प्रतिष्ठित स्थल है.
सरयू नदी की दैवीय उपस्थिति यहां पहुंचे श्रद्धालुओं को आस्था के सागर में डुबो देती है.
गुप्तार घाट का अग्रभाग अयोध्या के आध्यात्मिक महत्व का एक कालातीत प्रतीक है.
यह घाट सरयू नदी के शांत चरित्र को दर्शाता है, और आध्यात्मिक चिंतन के लिए बेहतर स्थल है.
इसमें अयोध्या नगरी की पवित्रता इस कदर समाई है कि दुनियाभर के लोग शांति की तलाश में यहां खिंचे चले आते हैं.
देश-दुनिया से आए श्रद्धालु अपनी आत्मा की शुद्धि और संतुष्टि के लिए तमाम तरह के धार्मिक अनुष्ठान कराते हैं.
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