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ऑक्सीजन की कमी से उद्योगों की फूलने लगी सांस

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आम लोगों से लेकर उद्यमियों तक को ऑक्सीजन की कमी से परेशान होना पड़ा है. पहले ऑक्सीजन की कमी से मरीज परेशान रहे तो अब ऑक्सीजन की कमी से उद्योगों की सांस उखड़ रही है.

ऑक्सीजन की कमी से अब उद्योग परेशान (प्रतीकात्मक फोटोः रॉयटर्स)
ऑक्सीजन की कमी से अब उद्योग परेशान (प्रतीकात्मक फोटोः रॉयटर्स)
अपडेटेड 26 मई , 2021

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आम लोगों से लेकर उद्यमियों तक को ऑक्सीजन की कमी से परेशान होना पड़ा है. पहले ऑक्सीजन की कमी से मरीज परेशान रहे तो अब ऑक्सीजन की कमी से उद्योगों की सांस उखड़ रही है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण के बढ़ते मामलों के चलते ऑक्सीजन की अचानक कमी पैदा हो गई थी. इसके चलते प्रदेश सरकार ने 15 अप्रैल को उद्योगों को दी जाने वाली इंडस्ट्र‍ियल ऑक्सीजन पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी. इस वजह से उद्योगों के सामने एक बड़ा संकट आ गया है. यूपी के औद्योगिक शहर कानपुर में 200 बड़ी इकाइयां हैं जहां इंडस्ट्र‍ियल ऑक्सीजन का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है. इसमें रेलवे की बोगी बनाने वाली फ्रंटियरस्प्र‍िंग्स और वेद सेसोमैकेनिका जैसी बड़ी कंपनियां हैं. इसके अलावा रिमझिम स्टील, कामधेनु, प्रीमियम, क्वालिटी सहित दस से ज्यादा स्टील और स्टेनलेस स्टील बनाने की फैक्ट्र‍ियां हैं जहां इंडस्ट्र‍ियल ऑक्सीजन का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है. इसके अलावा रोलिंग मिल्स और फैब्रिकेशन की 100 से ज्यादा इकाइयां हैं जहां ऑक्सीजन के बगैर काम नहीं चल सकता है. इंजीनियरिंग से जुड़े 50 से ज्यादा उद्योग हैं जो ऑक्सीजन के बगैर नहीं काम कर सकते हैं. इस तरह एक महीने से ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होने से इनमें पूरी तरह से काम ठप है. इसके अलावा कानपुर में 800 से ज्यादा माइक्रो और लघु इकाइयां भी बंद चल रही है. स्था‍नीय उद्यमियों के एक अनुमान के मुताबिक, पिछले एक महीने के दौरान कानपुर में 2,000 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.

आगरा में ऑक्सीजन न मिलने से उद्योगों की हालत खराब है. यहां पिछले एक महीने से छोटी बड़ी 700 इकाइयां ऑक्सीजन के न मिलने के कारण बंद हैं. इससे करीब 200 करोड़ रुपए से अधि‍क का नुकसान हो चुका है. आगरा में पंप और इंजन सेट बनाने की करीब 150 से अधि‍क इकाइयां हैं. ऑक्सीजन की कमी से इनमें ताले लटके हुए हैं. इसके अलावा शहर में बड़ी संख्या में वेल्ड‍िंग और कटिंग का काम भी होता है. इसकी भी करीब 200 से अधि‍क इकाइयां हैं. वेल्डि‍ग के जरिए लोहे को काटकर इनसे छोटे उपकरण बनाकर उसे बड़ी इकाइयों को सप्लाई किया जाता है. ऑक्सीजन न मिलने से यह पूरा काम बंद पड़ा है. साथ ही आगरा शहर कांच के हुक्के बनाने के लिए भी जाना जाता है. इनकी करीब 50 इकाइयां आगरा में संचालित हैं. इन इकाइयों में डिजायन वाले कांच के हुक्के मिलते हैं जिन्हें आकार देने में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है. लघु उद्योग भारती के प्रदेश महामंत्री दीपक अग्रवाल कहते हैं, “कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन के चलते उद्योगों को भारी नुकसान हुआ था. उद्योग इससे उबर ही नहीं पाए थे कि दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी ने इनकी कमर ही तोड़कर रख दी है.”

कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद उद्यमी अब सरकार से इंडस्ट्र‍ियल ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू करने की मांग कर रहे हैं. इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आइआइए) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य बताते हैं, “ उद्योगों की ऑक्सीजन की सप्लाई चेन बाधि‍त होने से काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है. चूंकि अब मेडिकल ऑक्सीजन पर्याप्त रूप से उपलब्ध हो गई है ऐसे में सरकार को अब इंडस्ट्र‍ियल ऑक्सीजन के उपयोग की अनुमति उद्योगों को देनी चाहिए.” उद्योग विभाग के एक अधि‍कारी के मुताबिक, यूपी में कोरोना के लगातार कम होते मामलों को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार चरणबद्ध ढंग से उद्योगों को इंडस्ट्र‍ियल ऑक्सीजन का उपयोग करने की छूट देने पर विचार कर रही है. जल्द ही इस बारे में फैसला लिया जाएगा.

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