
प्रयागराज में चल रहा महाकुंभ अलग—अलग वजहों से चर्चा में है. यहां ऐसी कई अनूठी चीजें भी चल रही हैं, जो बहुत सारे लोगों का हैरान करती है. ऐसा ही मामला है वेदपाठियों द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई का ज्ञान ग्रहण करना. दरअसल, प्रयागराज के कुम्भनगर के मेला क्षेत्र में पड़ने वाले गंगा किनारे के झूंसी इलाके में श्री स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय में पुरातन व अधुनातन शिक्षा के संगम का अनूठा महाकुंभ पिछले 25 वर्षों से अनवरत चल रहा है. यहां वैदिक बटुक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लेकर वेदों के कठिन मंत्र, पुराण, उपनिषद, गीता की शिक्षा हासिल कर रहे हैं.
देश भर में करीब 150 वेद पाठशाला और करीब 350 गुरु शिष्य परंपरा इकाई का संचालन कर रहे महर्षि सान्दीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान जो शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के अधीन है, से सम्बद्ध स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय अपने स्तर पर वेद की पढ़ाई करने वाले छात्रों को कंप्यूटर में पारंगत बना रहा है. वेद विद्यालय के ये हाईटेक और हुनरमंद वैदिक बटुक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लेकर वेदों के कठिन मंत्र, पुराण, उपनिषद, गीता, अंग्रेजी, गणित की शिक्षा हासिल कर रहे हैं. यह महाकुंभ में आले वाले श्रद्धालुओं के लिए कौतुहल का विषय हैं.
इस बारे में वेदपाठी छात्रों को कंप्यूटर का प्रशिक्षण देने वाले अध्यापक अंजनी कुमार सिंह कहते हैं, ''तकनीक की मदद से वेदपाठी छात्र वेद ग्रंथों, मंत्रों को संरक्षित करना, उन्हें वैश्विक स्तर पर साझा करना सीख रहे हैं. वेदों के संरक्षण, संवर्धन व उन्नयन में कंप्यूटर का ज्ञान अत्यंत जरूरी है. छात्रों के सर्वांगीण कौशल विकास तथा बौद्धिक क्षमता के संवर्धन के लिये संस्था द्वारा अपने स्तर पर ही वेद छात्रों के लिये कम्प्यूटर शिक्षण और प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्ष 2004 से ही चलाया जा रहा है."

वे आगे यह भी बताते हैं कि छात्रों को कंप्यूटर की बुनियादी जानकारी के साथ ही आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेन्स (एआई) का उपयोग, कंप्यूटर पर हिन्दी व अंग्रेजी टायपिंग, माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, पावर पॉइंट, एक्सेल, पीपीटी, फोटोशॉप आदि का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाता है. वेदपाठी छात्रों में वेद के साथ-साथ कंप्यूटर शिक्षा हासिल करने को लेकर काफी उत्साह रहता है. आने वाले समय में इन वेद विद्यालयों से अब सिर्फ पूजा-पाठ कराने वाले वेदपाठी ही नहीं, बल्कि हाईटेक और हुनरमंद वैदिक निकलेंगे. जो संस्कृत और वेद के साथ ही कंप्यूटर पर काम करने में दक्ष होंगे; साथ ही किसी न किसी कौशल (स्किल) में भी पारंगत होंगे.
विद्यालय के पूर्व वेद छात्र और अथर्ववेद के साथ ही कंप्यूटर संचालन में पारंगत वैदिक अजय मिश्र कहते हैं, ''कंप्यूटर के माध्यम से प्राचीन ग्रंथों, श्लोकों, और मंत्रों को संरक्षित करना, उनका अध्ययन करना और उन्हें वैश्विक स्तर पर साझा करना आसान हो गया है. वेदों के हस्तलिखित और मुद्रित संस्करणों को स्कैन करके डिजिटल स्वरूप में संग्रहीत किया जा सकता है. कंप्यूटर के जरिए वेदों का विस्तृत और खोज योग्य डेटाबेस तैयार किया जा सकता है. कंप्यूटर प्रयोग से विलुप्त हो रही पांडुलिपियों और लुप्तप्राय सामग्री को संरक्षित और पुनर्जीवित करने में मदद मिल रही है. आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेन्स (एआई) का उपयोग करके खोई हुई सामग्री का पुनः निर्माण करने का प्रयास किया जा सकता है.''

वेदों के मंत्रों का उच्चारण सही तरीके से संरक्षित करने के लिए ऑडियो रिकॉर्डिंग और साउंड एनालिसिस किया जा सकता है. ताकि सही स्वर और उच्चारण को भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाया जा सके. संचालकों का कहना है कि वेदों में निहित ज्ञान का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद और व्याख्या करने के लिए कंप्यूटर पर आधारित सॉफ़्टवेयर का उपयोग किया जा सकता है.
इससे विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं के लोग इन ग्रंथों का अध्ययन कर सकते हैं. टेक्स्ट एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग, और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण तकनीकों का उपयोग वेदों की गहन व्याख्या और तुलना के लिए किया जा सकता है. डिजिटल लाइब्रेरी और ओपन-सोर्स प्रोजेक्ट्स के जरिए वेदों में उपलब्ध ज्ञान को पूरी दुनिया के लिए सुलभ बनाया जा सकता है.
गौरतलब है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत देश भर की वेद पाठशालाओं को हाईटेक और विश्वस्तरीय मानकों के अनुरूप तैयार करने में जुटे शिक्षा मंत्रालय ने अब संस्कृत और वेद विद्यालयों को भी जोड़ने की योजना बनाई है. शिक्षा मंत्रालय ने फिलहाल इसका जिम्मा संस्कृत व वेद विद्यालयों के नियमितीकरण के लिए गठित किए गए महर्षि सान्दीपनी राष्ट्रीय संस्कृत शिक्षा बोर्ड को सौंपा है.
वेद विद्यालयों को हाईटेक बनाने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में महर्षि सान्दीपनी राष्ट्रीय संस्कृत शिक्षा बोर्ड के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक भी की है. जिसमें इन वेद पाठशालाओं की गुणवत्ता को ठीक करने, उन्हें दूसरे स्कूलों के समकक्ष तैयार करने को लेकर लंबी चर्चा हुई है. इस दौरान इन स्कूलों से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए विद्यांजलि योजना की तर्ज पर काम करने पर भी जोर दिया गया.