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फरक्‍का जल समझौता: आखिर पानी है बिहार का

नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव पर फरक्का जल समझौते में बिहार के हितों को कुर्बान कर देने का आरोप लगाया. फरक्का समझैते में कहा गया है कि सीजन अच्छा न रहने की स्थिति में भी बांग्लादेश को मिलने वाले पानी का हिस्सा 50 फीसदी से कम नहीं किया जा सकता.

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार
अपडेटेड 2 अक्टूबर , 2011

अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बांग्लादेश के साथ भारत के फरक्का जल समझौते के विरोध में आवाज न उठाने के लिए लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. 1996 में हुआ यह समझौता बिहार के हितों के विपरीत है. बांग्लादेश के साथ तीस्ता जल बंटवारा संधि को ममता बनर्जी के नाकाम कर देने के बाद नीतीश ने तुरंत ही इस मुद्दे को लपक लिया है.

नीतीश के नेतृत्व वाली सरकार ने बांग्लादेश के साथ गंगा नदी के जल बंटवारे को निर्धारित करने वाले 12 दिसंबर, 1996 में अंजाम दिए गए इस समझौते की समीक्षा की मांग की है. लेकिन असल में नीतीश के निशाने पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद लगते हैं जो बनर्जी के विपरीत, ''संधि के मूक गवाह बने रहे'' और ''बिहार को नुक्सान पहुंचाने वाले'' समझौते को रोक पाने में नाकाम रहे.

नीतीश ने यह मुद्दा 12 सितंबर को उठाया. यानी उन्होंने ऐसा तब किया जब बनर्जी के तीस्ता समझौते को पटरी से उतारने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ बांग्लादेश जाने से इनकार किए हुए हफ्ता भी नहीं बीता था.

मुख्यमंत्री के हमले ने ऐसे समय में राजद को सुरक्षात्मक रुख अपनाने पर मजबूर किया है जब 11 अक्तूबर को लालकृष्ण आडवाणी की कथित 'सांप्रदायिक' रथ यात्रा को नीतीश की ओर से हरी झंडी दिखाए जाने के फैसले पर उन्हें घेरने के लिए राजद अपनी कमर कस रहा था.

शायद पार्टी रथ यात्रा का विरोध कर अपनी स्थिति कुछ मजबूत करना चाहती थी क्योंकि दो दशक पहले बतौर मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने आडवाणी को उनकी रथ यात्रा के बीच में गिरफ्तार किया था और वे धर्मनिरपेक्षता के मसले पर सबके चहेते बनकर उभरे थे. लेकिन जल समझौते ने पार्टी को अपने सभी संसाधन लालू के बचाव में लगाने के लिए मजबूर कर दिया है.

फरक्का जल समझैते में कहा गया है कि बांग्लादेश को खराब सीजन यानी पश्चिम बंगाल के फरक्का में 70,000 क्यूसेक (घन फुट प्रति सेकंड) पानी उपलब्ध होने की स्थिति में भी 50 फीसदी से कम पानी नहीं दिया जा सकता. बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी का कहना था, ''सबसे सूखे मई माह में भी बिहार को बांग्लादेश के लिए जहां 1,500 क्यूसेक पानी छोड़ना पड़ता है, वहीं बक्सर जिले से बिहार में प्रवेश करने वाली गंगा नदी से उसे 450 क्यूसेक पानी ही मिलता है. बांग्लादेश के साथ फरक्का बांध के जरिए पानी का बंटवारा गर्मियों में बिहार के लिए पानी का गंभीर संकट पैदा करता है, वहीं गंगा के जलग्रहण क्षेत्र में इससे भारी मात्रा में गाद भी जमा हो जाती है.''

फरक्का समझौते को उस समय अंजाम दिया गया था जब एच.डी. देवेगौड़ा प्रधानमंत्री हुआ करते थे और लालू प्रसाद, जिनकी उस समय केंद्र सरकार में बड़ी भागीदारी थी, मुख्यमंत्री थे. लेकिन चौधरी कहते हैं, ''लालू ने बिना किसी विरोध के बिहार के हितों की अनदेखी की.''

राजद ने फरक्का जल समझैते पर तत्कालीन सरकार के रुख से रू-ब-रू कराने का जिम्मा पार्टी सांसद जगदानंद सिंह को सौंपा है. उनका कहना है, ''राजद सरकार ने तब इस जल समझौते का विरोध किया था. हमने कहा था कि बिहार को भरोसे में लिए बगैर ऐसा समझौता नहीं किया जाना चाहिए. हमने इसे रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाया.''

ऐसे समय में जब राजद सोच रहा था कि वह नीतीश को घेर सकता है, उसे अपनी साख बचाने के लिए पूरी जान झोंकनी पड़ रही है. 

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