पटरी दुकानदारों को ऋण मुहैया कराकर रोजगार में मदद करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी पीएम स्वनिधि योजना पर बैंकों की मनमानी भारी पड़ रही है. लखनऊ के ही प्रकरण को लीजिए. जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) ने बैंक आफ इंडिया की निरालानगर शाखा में पीएम स्वनिधि योजना के 238 प्रार्थना पत्र भेजे थे. शाखा प्रबंधक ने 103 लाभार्थियों का प्रार्थनापत्र अपात्र और 26 अभ्यर्थियों का प्रार्थना पत्र अस्वीकार कर दिया. 109 लाभार्थियों को ऋण दिया गया लेकिन उन्हें पूरी धनराशि न देकर जयादातर को सांकेतिक ऋण वितरित किया गया. केंद्र सरकार ने निर्देश दिया था कि जिन प्रार्थनापत्रों को अस्वीकार या अपात्र घोषित किया गया है उनके कागजातों को दुरुस्त करते हुए लाभार्थियों को ऋण मुहैया कराया जाए. डूडा ने सभी कागजात दुरुस्त भी करा दिए बावजूद इसके बैंक ने ऋण मुहैया नहीं कराया. बैंक ने 3 मार्च को 12 लाभार्थियों को ऋण वितरण के लिए बुलाया. सभी लाभार्थी समय पर बैंक पहुंच गए. दिन भर बैठे रहने के बाद इन लाभार्थियों को यह बता दिया गया कि प्रबंधक बैंक में नहीं हैं. ऐसे में मजदूरों को न केवल ऋण नहीं मिल पाया बल्कि उनकी दिहाड़ी का भी नुकसान हुआ. इसके बाद डूडा, लखनऊ की जिला प्रबंधक ने बैंक प्रबंधक के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, गरीब लाचार पटरी दुकानदारों से दुर्व्यवहार करने, केंद्र सरकार की योजना के लक्ष्यों की पूर्ति में बाधा उत्पन्न करने के आरोप में एफआइआर दर्ज करने के लिए तहरीर दी है.
केंद्र सरकार की पीएम स्वनिधि योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर्स (फेरी व ठेले वाले) को 10 हजार रुपए का लोन दिया जा रहा है, लोगों को जानकारी है या नहीं, इसे देखने खुद कानपुर के डीएम आलोक तिवारी 2 मार्च को निरीक्षण पर निकले और स्ट्रीट वेंडर्स से बात की. पी रोड स्थित एक मोची ने डीएम को बताया कि उसने बैंक ऑफ बड़ौदा में लोन अप्लाई किया था, लेकिन लोन नहीं मिला. डीएम तत्काल मोची को अपनी गाड़ी से लेकर बैंक गए और बैंक मैनेजर से बात की. मैनेजर ने एड्रेस गांव का बताया. डीएम ने मैनेजर को कड़े शब्दों में कहा कि जब नगर निगम सर्टिफिकेट दे रहा है तो क्या प्रॉब्लम है. मैनेजर ने तत्काल लोन पास कर दिया.
उत्तर प्रदेश में कई जिलों में बैंक पीएम स्वनिधि योजना के तहत लाभार्थियों को लोन देने में आनाकानी कर रहे हैं. पीएम स्वनिधि योजना में शहरी इलाकों के स्ट्रीट वेंडर्स को एक साल की अवधि के लिए 10,000 रुपये तक का कोलेट्रल फ्री लोन मिलता है. यानी लोन के लिए किसी तरह की गारंटी नहीं ली जाएगी. लोन का मासिक किस्तों में भुगतान करना होगा. पीएम स्वनिधि स्कीम में मिलने वाले लोन के नियमित पुनर्भुगतान पर 7 फीसद सालाना की ब्याज सब्सिडी है. ब्याज सब्सिडी की राशि सीधे लाभार्थी के खाते में तिमाही आधार पर आएगी. लोन का समय से पहले भुगतान करने पर सब्सिडी एक ही बार में खाते में आ जाएगी. साथ ही तय तरीके से डिजिटल ट्रांजेक्शन करने वालों के लिए 1,200 रुपये सालाना तक का कैशबैक भी मिलता है. पहले लोन के समय पर और जल्द भुगतान की स्थिति में लाभार्थी अधिक लोन प्राप्त करने का पात्र हो जाता है. पीएम स्वनिधि योजना में लभार्थियों को लोन दिलाने में बैंकों के अड़ंगेबाजी के चलते कानपुर में 63 हजार के सापेक्ष केवल 15 हजार को ही लोन मिल सका है. पीएम स्वनिधि योजना के तहत ऋण वितरण करने के लिए कानपुर के जिलाधिकारी आलोक तिवारी ने 27 फरवरी को बैंकों को खोलने का आदेश दिया था. डीएम के आदेश के बावजूद सेंट्रल बैंक आर्यनगर, गोविंदनगर, हंसपुरम, नौघड़ा और रूमा के मैनेजरों ने बैंक नहीं खोला. जिलाधिकारी ने इन सब बैंक मैनेजरों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
पीएम स्वनिधि योजना में लाभार्थियों के स्तर पर भी गड़बडि़यां पकड़ी गई हैं. पीएम स्वनिधि योजना का लाभ पाने के लिए बैंकों के डिफाल्टर और अपात्रों ने भी आवेदन कर दिए हैं. इससे बैंकों के सामने समस्या खड़ी हो गई है. योजना का लाभ स्ट्रीट वेंडरों को मिलना है लेकिन इससे इतर लोगों ने भी आवेदन कर दिए हैं. मेरठ के एक बैंक के प्रबंधक बताते हैं, “आवेदनों की जांच में पता चला है कि आवेदकों ने टीवी, फ्रिज आदि लोन पर ले रखे हैं, इसकी किस्त समय पर नहीं दी. इससे उनका सिबिल भी खराब हो गया है. ऐसे आवेदकों की संख्या करीब 15 फीसद है. इनको लोन देने में तकनीकी दिक्कतें भी आ रही हैं.”
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