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‘मार्क्सवादी’ पवन कल्याण क्यों बनना चाहते हैं हिंदुत्व का नया ‘पोस्टर बॉय’?

कभी मार्क्सवादी क्रांतिकारी चे ग्वेरा को अपनी प्रेरणा मानने वाले जनसेना पार्टी के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण आजकल हिंदू धर्म की ‘शुद्धि’ में लगे हैं

पवन कल्याण
पवन कल्याण
अपडेटेड 11 अक्टूबर , 2024

आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण अपनी 11 दिनों की ‘प्रायश्चित-दीक्षा (तपस्या)’ के बाद जब लौटे, तो पारंपरिक सफेद खद्दर और माथे पर भगवा तिलक के साथ उनकी राजनीति में भी एक आक्रामक बदलाव दिख रहा था. जनसेना पार्टी (जेएसपी) के मुखिया के मुताबिक यह बदलाव सनातन धर्म के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता का संकेत है.

पवन ने 'सुडो-सेक्युलर (छद्म धर्मनिरपेक्ष)' लोगों के खिलाफ अपनी राजनीतिक बयानबाजी तेज कर दी और धार्मिक रूप से प्रेरित एजेंडे पर जोर देने लगे. साथ ही चुनावी रैलियों में तलवार उठाने वाले उनके कुछ पुराने वीडियो की क्लिप्स सोशल मीडिया पर भी खूब शेयर हुईं और एक तबके ने कहा कि अब 'सनातन धर्म' को नया योद्धा मिल गया है. लेकिन क्या वाकई ऐसा है?

4 अक्टूबर को तिरुपति में अपनी 'वाराही घोषणा' में कल्याण ने सनातन धर्म को मजबूत करने के उद्देश्य से कई मांगें उठाईं. इनमें सनातन धर्म की रक्षा के लिए एक मजबूत राष्ट्रीय कानून, 'सनातन धर्म संरक्षण बोर्ड' की स्थापना, और धर्म को बदनाम करने वाले या उसके खिलाफ नफरत फैलाने वाले लोगों या संगठनों के साथ असहयोग करने की प्रतिबद्धता अहम थी.

इस घोषणा में कुछ दिखे न दिखे एक रणनीतिक राजनीतिक पैंतरेबाजी जरूर दिखती है साथ ही धर्म को लेकर पवन कल्याण के वैचारिक रुख में आए बदलाव का भी साफ संकेत इसमें है. कल्याण की राजनीतिक यात्रा 2008 में प्रजा राज्यम पार्टी की युवा विंग प्रमुख के रूप में पहली बार मैदान में उतरने से शुरू हुई. शुरुआत में धर्मनिरपेक्ष नजरिए की वकालत करने वाले कल्याण ने अब एक कट्टर धार्मिक पहचान अपना ली है.

कल्याण, जो मार्क्सवादी क्रांतिकारी चे ग्वेरा को अपनी प्रेरणा मानते थे, ने 2014 में जेएसपी की स्थापना की थी. उस साल पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन बीजेपी-टीडीपी गठबंधन का समर्थन किया. हालांकि, 2019 के आंध्र प्रदेश चुनावों में जेएसपी ने वाम दलों और बसपा के साथ गठबंधन किया, लेकिन 175 विधानसभा क्षेत्रों में से सिर्फ़ एक सीट जीती, जबकि कल्याण खुद गजुवाका और भीमावरम दोनों क्षेत्रों से हार गए.

फिर भी, 2024 में एक बड़े उलटफेर में, पवन की जेएसपी ने टीडीपी और बीजेपी के साथ गठबंधन में लड़ी गई सभी 21 विधानसभा और दो लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की. वाईएसआरसीपी को 151 सीटों से घटाकर सिर्फ़ 11 पर लाने में पवन की भूमिका, साथ ही लोकसभा चुनावों में एनडीए के मज़बूत प्रदर्शन में उनके योगदान को पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वीकार किया. जून में एनडीए संसदीय दल की बैठक के दौरान पीएम मोदी ने उन्हें 'आंधी' की उपमा भी दी. तब पीएम ने कहा था, "ये पवन नहीं आंधी है."

अब कल्याण की यह नई छवि सामने आने के बाद आलोचकों ने उनके पिछले धर्मनिरपेक्ष अवतार के पुराने फुटेज फिर से सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू किया और धर्म के प्रति उनकी 'सच्ची निष्ठा' पर सवाल उठाने लगे. इन सब के बावजूद कल्याण अडिग हैं और कहते हैं कि सनातन धर्म की आलोचना बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए.

कल्याण की ‘प्रायश्चित दीक्षा’ हिंदू धर्म के खिलाफ कथित अपराधों के लिए प्रायश्चित करने के लिए की गई थी, जिसमें तिरुपति में लड्डू प्रसादम में के घी में कथित मिलावट जैसे विवाद शामिल थे. उनके अनुष्ठानों में कनक दुर्गा मंदिर में 'आलय शुद्धि' (मंदिर की सफाई की रस्में) में भाग लेना और तिरुपति से तिरुमाला पहाड़ियों तक नंगे पैर चलना शामिल था.

इंडिया टुडे के वरिष्ठ पत्रकार अमरनाथ के मेनन अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं, "विश्लेषकों का मानना ​​है कि तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के सुप्रीमो और मुख्यमंत्री नायडू और उनके डिप्टी कल्याण के सनातन प्रचारक के रूप में उभरने से शुरू हुआ लड्डू विवाद एक राजनीतिक चाल है. दरअसल सत्तारूढ़ गठबंधन विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के खिलाफ अपनी लड़ाई में धार्मिक मोर्चा खोल रहा है."

राज्य में हिंदुत्व की राजनीति के उदय की संभावना देखते हुए नायडू ने अपना ध्यान 'पशु चर्बी से दूषित घी' विवाद से हटाकर पूर्व सीएम वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी के घर पर बाइबल पढ़ने की आलोचना पर केंद्रित कर दिया. यह बदलाव रेड्डी के साथ एक मौखिक टकराव का हिस्सा था. दरअसल जब लड्डू विवाद सामने आया तो रेड्डी ने घोषणा की थी कि वे मंदिर जाएंगे. नायडू ने इसके जवाब में कहा कि वहां उन्हें एक फॉर्म भरकर भगवान वेंकटेश्वर के प्रति अपनी आस्था जतानी होगी. अब चूंकि रेड्डी क्रिश्चियन हैं, उन्होंने इसके बाद मंदिर जाने की योजना रद्द कर दी.

वहीं उपमुख्यमंत्री कल्याण की तरफ से सनातन धर्म के प्रति आस्था का आक्रामक प्रदर्शन, वाईएसआरसीपी के खिलाफ अपने आधार को मजबूती देने का रणनीतिक राजनीतिक कदम है. पवन कल्याण का सनातन प्रचारक में तब्दील हो जाना उनकी राजनीतिक पहचान में एक जरूरी बदलाव को दिखाता है. अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को धार्मिक भक्ति के साथ जोड़कर, कल्याण का लक्ष्य जन सेना पार्टी के लिए एक ऐसा व्यापक आधार तैयार करना है, जो भविष्य के चुनावों में इसे एक दुर्जेय शक्ति बना सके. इसके साथ वे दक्षिण भारत से हिंदुत्व के नए ‘पोस्टर बॉय’ के रूप में भी उभरने की कोशिश करेंगे.

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