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बंगाल में रामनवमी के भव्य आयोजनों से ममता बनर्जी डरी हुई क्यों हैं?

विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) रामनवमी के मौके पर पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर आयोजन करने की योजना बना रही है

कोलकाता में रामनवमी का जुलूस
कोलकाता में रामनवमी का जुलूस
अपडेटेड 4 अप्रैल , 2025

विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) पश्चिम बंगाल में रामनवमी (6 अप्रैल) मनाने के लिए पूरा जोर लगा रही है. अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव हैं और उससे पहले यह आयोजन भगवा पक्ष के लिए वोट साधने की बड़ी कवायद बनाया जा सकता है.

हिंदुत्ववादी हलकों में हिंदू नववर्ष की शुरुआत मानते हुए 30 मार्च से ही वीएचपी ने भव्य राम महोत्सव कार्यक्रमों की मेजबानी शुरू कर दी है. पश्चिम बंगाल में अनुमानित 1 लाख जगहों को कवर करते हुए सिलसिलेवार तरीके से ये महोत्सव आयोजित किए जा रहे हैं.

ये समारोह 12 अप्रैल तक चलेंगे जो भगवान हनुमान की जयंती है, और इसमें अलग-अलग सामाजिक-आर्थिक तबके के लोगों को साधने की कोशिश की जाएगी. इन तबकों में आदिवासी गांवों और शहरी झुग्गियों से लेकर कोलकाता और दूसरे शहरों की ऊंची इमारतों तक के वोटर शामिल हैं.

वीएचपी का दावा है कि इतने बड़े स्तर पर आयोजन केवल एक साझा धार्मिक पहचान के तहत हिंदुओं के बढ़ते एकीकरण को दर्शाता है. वहीं विश्लेषक इसे बहुसंख्यक वोटों का ध्रुवीकरण करने की एक स्पष्ट रणनीति के रूप में देखते हैं. अतीत में, रामनवमी, हनुमान जयंती और दूसरे हिंदू त्योहारों ने अक्सर सांप्रदायिक तनाव या झड़पों के साथ बंगाल में कानून व्यवस्था की परीक्षा ली है.

रानीगंज में 2018 में रामनवमी के दौरान, आसनसोल में 2019 में, हावड़ा में 2022 और 2023 में और मुर्शिदाबाद में पिछले साल हिंसा की खबरें आई थीं. ममता बनर्जी सरकार पर इन स्थितियों से निपटने में पक्षपात (हिंदू विरोधी) करने का आरोप लगाया गया है, जबकि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस बीजेपी और संघ परिवार से जुड़े संगठनों पर उपद्रव भड़काने का आरोप लगाती है.

पिछले साल, वीएचपी ने बंगाल के आसपास लगभग 45,000 जगहों पर रामनवमी समारोह आयोजित किए थे. अगस्त में अपनी 60वीं वर्षगांठ के मौके पर, संगठन ने 2025 में अपने विस्तार कार्यक्रम को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने का संकल्प लिया. इसी के तहत, वीएचपी ने रामनवमी पर 2,000 से अधिक जुलूस आयोजित करने की योजना बनाई है, जो पिछले साल आयोजित 1,000 जुलूसों से दोगुना है.

वीएचपी के पूर्वी क्षेत्र सचिव अमिया कुमार सरकार ने कहा कि रामनवमी रैलियां अलग-अलग बैनरों के तले आयोजित की जाएंगी. उन्होंने कहा, "हम एकजुट हिंदू समुदाय की ताकत को प्रदर्शित करने के लिए कई छोटी रैलियों को बड़ी रैलियों में बदलने का प्रयास कर रहे हैं."

यह रणनीति उत्सव के तात्कालिक तमाशे से आगे तक फैली हुई हैं. सरकार के ही मुताबिक राम महोत्सव सामाजिक विभाजनों से परे हिंदू समुदायों को जोड़ने का एक माध्यम होगा. प्रत्येक स्थानीय वीएचपी इकाई को कम से कम पांच ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया गया है, जिसके बाद संगठन की उपस्थिति का विस्तार करने के प्रयास किए जाएंगे. यह रणनीति जमीनी स्तर पर अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए एक सुनियोजित प्रयास मालूम होती है.

अपने वैचारिक मूल संगठन आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की तरह ही वीएचपी ने भी बंगाल में पिछले कुछ सालों में व्यवस्थित तरीके से अपना नेटवर्क बढ़ाया है. संगठन अब हर जिले और सभी 345 प्रशासनिक ब्लॉकों में अपनी इकाइयों का दावा करता है. इसका दावा है कि इसने 80 प्रतिशत पंचायत क्षेत्रों में अपनी पैठ बना ली है, जबकि गांव और वार्ड स्तर पर इसकी एक लाख से अधिक इकाइयां काम कर रही हैं. तृणमूल कांग्रेस के लिए बंगाल के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में इतनी गहरी पैठ बनाना बड़ी चुनौती है.

वीएचपी के अलावा बीजेपी ने भी व्यापक स्तर पर रामनवमी मनाने का आह्वान किया है. विपक्ष के नेता और नंदीग्राम से पार्टी विधायक सुवेंदु अधिकारी 6 अप्रैल को अपने निर्वाचन क्षेत्र में राम मंदिर की आधारशिला रखने वाले हैं. उनका दावा है कि इस साल बंगाल में रामनवमी उत्सव में करीब 1 करोड़ लोग शामिल होंगे.

विश्लेषक इस अभियान को चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए भगवा अभियान के रूप में देखते हैं. बंगाल में ऐतिहासिक रूप से विधानसभा चुनावों में औसतन 68-70 प्रतिशत मतदान होता रहा है. राजनीतिक टिप्पणीकार निर्मल्या मुखर्जी कहते हैं हिंदुत्व समूह इस आंकड़े को बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं क्योंकि मतदाताओं की अधिक भागीदारी बीजेपी के पक्ष में होने की संभावना है. मुखर्जी, "बीजेपी और उसके सहयोगी वोटिंग को अधिकतम करना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि भागीदारी में किसी भी तरह की बढ़ोतरी से हिंदू मतदाताओं के अधिक लामबंद होने और उनके चुनावी आधार को मजबूत मिलने की संभावना है."

कुल मिलाकर रामनवमी के अवसर पर वीएचपी का आक्रामक अभियान एक धार्मिक आयोजन से कहीं अधिक है; आलोचक इसे 2026 में राज्य चुनावों से पहले मतदाताओं की भावनाओं को प्रभावित करने और बीजेपी को मुख्य लाभार्थी के रूप में स्थापित करने के लिए एक सुनियोजित प्रयास के रूप में देखते हैं.

रामनवमी और हनुमान जयंती का अप्रत्यक्ष रूप से जिक्र करते हुए ममता बनर्जी ने 2 अप्रैल को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी समुदायों से धार्मिक आयोजनों के दौरान शांति बनाए रखने का आग्रह किया और सांप्रदायिक दंगे भड़काने की कोशिशों के खिलाफ चेतावनी दी. उन्होंने कहा, "दंगे भड़काकर कोई भी राजनीतिक रूप से कुछ हासिल नहीं कर सकता. बंगाल संस्कृति और सद्भाव की भूमि है. हम रामकृष्ण और विवेकानंद को मानते हैं, 'जुमला' पार्टी (बीजेपी) को नहीं. हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और उन लोगों को गले लगाते हैं जो सभी का स्वागत करते हैं. राज्य भर में कई धार्मिक आयोजन होने वाले हैं, इसलिए किसी को भी परेशान नहीं किया जाना चाहिए."

प्रशासन ने 1 से 9 अप्रैल तक पुलिसकर्मियों की सभी छुट्टियां रद्द कर दी हैं. हालांकि कोई औपचारिक कारण नहीं बताया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि अधिकारी इस वार्षिक आयोजन के प्रबंधन में लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहते, क्योंकि पहले भी ऐसे आयोजनों के कारण सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनती रही है.

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