सहारनपुर से दिल्ली की ओर जाने वाले हाइवे पर मौजूद ननौता गांव 7 अप्रैल को ठाकुर समाज के लोगों के जुटान का एक बड़ा केंद्र बन गया. 'क्षत्रिय समाज की संघर्ष समिति' की ओर से नानौता में आयोजित 'क्षत्रिय स्वाभिमान महाकुंभ' में हिस्सा लेने के लिए पश्चिमी यूपी के जिलों समेत राजस्थान और हरियाणा से लोग जुटने लगे थे.
दोपहर तक पहुंची हजारों की भीड़ ने हाइवे को पूरी तरह से जाम कर दिया. सभा में मौजूद वक्ताओं ने आरोप लगाया कि उनके इतिहास के साथ छेड़छाड़ की जा रही है. राजनीतिक द्वेष भावना से समाज को कमजोर किया जा रहा है. मिहिर भोज और लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे का मुद्दा भी महाकुंभ में उठा.
इस दौरान किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष ठाकुर पूरन सिंह ने सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वोट नहीं देने का प्रस्ताव रखा, जिस पर सभी ने एकजुट होकर सहमति जताई और कहा कि समाज की उपेक्षा का नुकसान भाजपा को उठाना पड़ेगा. इस दौरान 16 अप्रैल को मेरठ जनपद में सरधना के खेड़ा गांव में महापंचायत का निर्णय भी लिया गया.
पिछले चुनावों में भाजपा के साथ पूरे लगन से खड़ा रहा ठाकुर समाज इस बार कई मसलों पर उपेक्षा के आरोपों के चलते खिन्न है. पश्चिमी यूपी में पिछले करीब 25 दिन से ठाकुर समाज के लोग गांव-गांव जाकर भाजपा पर धोखा देने जैसे आरोप लगाकर जनसमर्थन बटोरने में जुटे हैं. पश्चिमी यूपी के ठाकुर समाज के भीतर पनपे असंतोष की पृष्ठभूमि पिछले वर्ष 29 मई से तैयार होने लगी थी.
इसी दिन सहारनपुर में सम्राट मिहिर भोज को अपनी-अपनी जाति का दावा करते हुए गुर्जर और ठाकुर समाज के लोग आमने सामने आ गए थे. नकुड़ के फंदपुरी में सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार गौरव यात्रा निकाले जाने की सूचना के बाद राजपूत समाज के लोग जिला राजपूत सभा के आह्वान पर बड़ी संख्या में मल्होपुर रोड स्थित राजपूत भवन पर एकत्र हो गए थे.
बैरिकेडिंग लगाकर राजपूत समाज को रोकने का प्रयास किया, परंतु भीड़ बेरिकेडिंग को तोड़ते हुए कलक्ट्रेट तिराहे पहुंची, जहां राजपूत सभा ने सोडीओ को ज्ञापन दिया था. सभा के लोगों ने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में राजपूत सम्राट मिहिर भोज के संदर्भ में अन्य समाज द्वारा कोई दावेदारी की जाती है, तो ठाकुर समाज उसका घोर विरोध करेगा.
राजपूत सभा का तर्क था कि गुर्जर समाज द्वारा निकाली गई यात्रा उस प्रकरण की भी अवहेलना है जो मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में विचाराधीन है. इस प्रकरण में राजपूत सम्राट मिहिर भोज के कानूनी वारिस अरुणोदय सिंह परिवर द्वारा भी स्वयं को मिहिरभोज का जीवित वारिस बताया गया है, जो मध्य प्रदेश सरकार के समस्त सरकारी दस्तावेज में स्पष्ट रूप से अंकित है. इसके बाद कई मौकों पर गुर्जर और ठाकुर समाज के लोग एक दूसरे के विरोध में आ गए थे.
इस पूरे प्रकरण में ठाकुर समाज कैराना से भाजपा सांसद और वर्तमान में लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार प्रदीप चौधरी की भूमिका से काफी नाराज है. ठाकुर पूरन सिंह बताते हैं, "पिछले वर्ष प्रदीप चौधरी और मेरठ से सपा विधायक अतुल प्रधान के उकसाने पर ही सहारनपुर से मिहिर भोज प्रतिहार गौरव यात्रा निकाली गई थी. इसके बाद से ठाकुर समाज प्रदीप चौधरी का विरोध कर रहा है."
पूरन सिंह के मुताबिक पश्चिमी यूपी का 90 फीसदी ठाकुर मतदाता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वोद देता रहा है. सिंह का कहना है, "हमने शासन के जरिए भाजपा सरकार से निवेदन किया था कि कैराना लोकसभा सीट से सैनी, कश्यप, ब्राह्मण, त्यागी, दलित किसी भी समाज से अगर भाजपा उम्मीदवार बनाएगी तो उसके साथ हम तन मन धन से काम करेंगे. लेकिन प्रदीप चौधरी को टिकट न दिया जाए क्योंकि यह हमारा वोट लेकर सांसद बना और फिर हमारे महापुरुषों का ही अपमान किया. लेकिन भाजपा ने इससे भी ज्यादा ठाकुर समाज का अपमान लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में प्रदीप चौधरी को उम्मीदवार बनाकर किया."
पश्चिमी यूपी में भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची की घोषणा होते ही कैराना, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर लोकसभा सीटों के ठाकुर समाज के लोगों की मीटिंग बुलाई गई जिसमें भाजपा का विरोध करने का निर्णय लिया गया. 'क्षत्रिय समाज की संघर्ष समिति' के झंडे तले सहारनपुर में शाकंभरी देवी मंदिर से अमन यज्ञ करके 'क्षत्रिय स्वाभिमान गौरव यात्रा व जनसंपर्क अभियान' की शुरुआत की. पूरन सिंह बताते हैं कि इस यात्रा में सैनी, ब्राह्मण, त्यागी समेत अन्य समाज के लोगों के बीच जाकर ठाकुर समाज के लोग अपनी बात कह रहे हैं.
पूरन सिंह के मुताबिक हमें इस बात का कष्ट नहीं है कि ठाकुर समाज के लोगों के टिकट कट गए बल्कि सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि क्षत्रिय समाज ने देश भर में महापुरुषों की हजारों प्रतिमाएं लगाईं लेकिन किसी भी मूर्ति में महापुरुष के नाम के आगे राजपूत सम्राट नहीं लिखा. हमने हिंदू हृदय सम्राट या क्षत्रिय सम्राट लिखा लेकिन जाति सूचक शब्द का प्रयोग नहीं किया.
ठाकुर समाज की नाराजगी गाजियाबाद से सांसद वी. के. सिंह को लोकसभा उम्मीदवार न बनाए जाने को लेकर भी तेज हो गई है. भाजपा ने गाजियाबाद लोकसभा सीट पर वी. के. सिंह की जगह अतुल गर्ग को उम्मीवार बनाया है. नाराज ठाकुर नेताओं का तर्क है कि भाजपा ने जीती हुई सीट पर वैश्य समाज से उम्मीदवार बनाया है और हारी सीटों पर ठाकुर समाज का उम्मीदवार उतारा है.
सुदूर पश्चिमी यूपी में 13 और ब्रज क्षेत्र में 14 लोकसभा सीट आती हैं. इनमें प्रत्येक में ठाकुर समाज की आबादी औसतन 70 हजार से डेढ़ लाख के बीच है. सबसे ज्यादा नोएडा में ढाई लाख से ज्यादा ठाकुर समाज की आबादी है. इस सीट पर लंबे समय से ठाकुर नेता अपना दावा पेश कर रहे थे लेकिन वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार न बनाए जाने से भी ये नाराज हैं.
मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान पश्चिमी यूपी में भाजपा के फायरब्रांड चेहरे रहे सुरेश राणा, संगीत सोम और चंद्रमोहन को हाशिए पर भेजे जाने से भी ठाकुर समाज में नाराजगी है. सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ में पकड़ रखने वाले सुरेश राणा को भाजपा ने बरेली मंडल की जिम्मेदारी सौंपी है वहीं चंद्रमोहन बागपत जिले के प्रभारी हैं, जो सीट भाजपा के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के खाते में गई है. पश्चिमी यूपी में जो ठाकुर चौबीसी भाजपा की जीत की कहानी लिखती थी, उसी ठाकुर चौबीसी ने भाजपा के बहिष्कार का एलान कर दिया है. इन बगावती तेवरों ने सबसे ज्यादा मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से प्रत्याशी संजीव बालियान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
गाजियाबाद में ठाकुर को टिकट न देने ने आग में घी डालने का काम कर दिया. राजपूत उत्थान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय सोम का इस मामले पर कहना है, "हम भाजपा और मुजफ्फरनगर लोकसभा प्रत्याशी डॉ संजीव बालियान का खुलकर विरोध करेंगे. ठाकुरों को जब प्रतिनिधित्व ही नहीं दिया जा रहा तो भाजपा को वोट क्यों दें. गाजियाबाद सीट भी हमसे छीन ली गई. अभी गांव-गांव पोस्टर लगे हैं और हम गांव-गांव पंचायत करेंगे. पूरे पश्चिमी यूपी में इस बार ठाकुर भाजपा से आर पार करेंगे."
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में 49 विधायक ठाकुर समाज से जीतकर आए हैं, जिनमें बीजेपी गठबंधन से 43, सपा से 4, बसपा से एक और जनसत्ता पार्टी से राजा भैया हैं. सहारनपुर के देवबंद से लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने वाले बृजेश सिंह को योगी सरकार में लोक निर्माण विभाग के राज्यमंत्री के रूप में जगह दी गई है. इसके अलावा ठाकुर समाज से आने वाले सत्येंद्र सिसोदिया को पश्चिमी यूपी में भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है.
पश्चिम यूपी के ठाकुरों की नाराजगी के साथ भाजपा की टेंशन भी बढ़ गई है. डैमेज कंट्रोल के लिए भाजपा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जिम्मेदारी सौंपी है. गाजियाबाद में भाजपा उम्मीदवार अतुल गर्ग के नामांकन के दौरान राजनाथ सिंह खुद मौजूद थे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पश्चिमी यूपी में अपनी सभाओं के दौरान नाराज नेताओं के बीच सुलह करवाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं.
31 मार्च को मेरठ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से दो दिन पूर्व खतौली विधानसभा के ठाकुर बाहुल्य ग्राम मढ़करीमपुर में संजीव बालियान अपने जनसंपर्क में गए थे. जहां उनके काफिले पर हमला हुआ. इसमें कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हुईं. मेरठ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद मुख्य मंच के पीछे बने सेफ हाउस में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले का संज्ञान लिया और सरधना के पूर्व विधायक संगीत सोम व केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान के साथ एक बैठक भी की.
जानकारी के मुताबिक संजीव बालियान ने आरोप लगाया कि उनपर हमला संगीत सोम के इशारे पर हुआ है और संगीत सोम के भाई एक दिन पहले इस गांव में गए थे जिस पर संगीत ने स्पष्ट किया कि उनके भाई उस गांव में काफी दिन से नहीं गए है. उन्होंने इस घटना में अपनी संलिप्तता से भी साफ इंकार किया. आधा घंटा चली इस बैठक में संजीव बालियान और संगीत सोम ने अपनी-अपनी नाराजगी जाहिर की जिसके बाद मुख्यमंत्री ने दोनों बड़े नेताओं को समझाते हुए लोकसभा चुनाव में साथ मिलकर चुनाव लड़ने के निर्देश दिए.
ठाकुरों की नाराजगी पर पश्चिमी यूपी में भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष सतेंद्र सिसोदिया बताते हैं, "ठाकुर समाज भाजपा का कोर वोटर है. उनकी नाराजगी को दूर करने के लिए उनके बीच जाऊंगा और उन्हें मना लूंगा. यदि प्रतिनिधित्व में कही कटौती हुई है तो राष्ट्रीय नेतृत्व से इस मसले पर बात करूंगा और कुछ बड़ा दिलवा दूंगा. मुझे विश्वास है नाराज लोग मान जाएंगे और ये विरोध बस कुछ दिन का है.".
भाजपा नेताओं के दावों के बावजूद पश्चिमी यूपी में ठाकुर समाज की नाराजगी बदस्तूर जारी है. 'क्षत्रिय समाज की संघर्ष समिति' के लोग गांव-गांव दस्तक देकर 16 अप्रैल को मेरठ में होने वाली महापंचायत के लिए समर्थन जुटाने में जुट गए हैं. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी पश्चिमी यूपी में ठाकुर समाज की नाराजगी के पीछे अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं को कठघरे में खड़ा करते हैं.
भूपेंद्र चौधरी विश्वास जताते हैं, "भाजपा के कुछ नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते पश्चिमी यूपी में ठाकुर समाज में असंतोष दिखाई दे रहा है. इसे जल्द ही मिल बैठकर सुलझा लिया जाएगा." फिलहाल तो पश्चिमी यूपी में ठाकुर मतदाता भाजपा की परेशानी का सबब बने हुए हैं.