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क्या होता है ड्राई पोर्ट, जो बिहार के इंडस्ट्रियल क्षेत्र में 'क्रांति' लाने वाला है?

21 अक्टूबर को बिहार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने राज्य के पहले 'ड्राई पोर्ट एंड इनलैंड कंटेनर डिपो' का उद्घाटन किया. मिश्रा के मुताबिक यह सुविधा राज्य के इंडस्ट्रियल क्षेत्र को बदल कर रख देगी

तस्वीर साभार - एक्स@IndustriesBihar
तस्वीर साभार - एक्स@IndustriesBihar
अपडेटेड 24 अक्टूबर , 2024

अक्टूबर की 21 तारीख को बिहार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने राज्य के पहले 'ड्राई पोर्ट एंड इनलैंड कंटेनर डिपो' का उद्घाटन किया. इसे राजधानी पटना के पास बिहटा में स्थापित किया गया है. इस सुविधा का उद्देश्य वेयरहाउसिंग, सीमा शुल्क सेवाओं और मल्टी-मॉडल परिवहन के जरिए लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा देना है. उद्घाटन वाले दिन ही यहां से 90 कंटेनरों की पहली खेप रूस भेजी गई.

इस ड्राई पोर्ट के चालू होने से बिहार ने अंतरराष्ट्रीय निर्यात के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है. पहले जहां राज्य के निर्यातकों और आयातकों को माल भेजने या लाने के लिए हजारों किलोमीटर दूर स्थित बंदरगाहों से कस्टम क्लीयरेंस लेना पड़ता था, वहीं अब इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) बिहटा के शुरू होने से यह राज्य में ही हो सकेगा. आइए समझते हैं कि ड्राई पोर्ट होता क्या है और बिहार को क्यों इसकी जरूरत थी? 

क्या होता है ड्राई पोर्ट ?

ड्राई पोर्ट को एक पोस्ट ऑफिस की तरह समझा जा सकता है, जहां स्थानीय और आस-पास के इलाके के लोग अपनी चिट्ठी डालने आते हैं. फिर वो सारी चिट्ठियां डाकिये के जरिए अपने संबंधित स्थानों पर आसानी से पहुंच जाती हैं. कहने का मतलब कि यह एक सहूलियत वाली सेवा होती है. ड्राई पोर्ट भी कुछ ऐसा ही है. इसे इनलैंड पोर्ट भी कहा जाता है. यह एक तरह का ऐसा कार्गो टर्मिनल है जो सड़क या रेलवे नेटवर्क के जरिए बंदरगाहों से सीधा जुड़ा होता है. 

विभिन्न जगहों से बंदरगाहों तक माल लाने और ले जाने के दौरान ड्राई पोर्ट एक पुल की तरह काम करता है. यहां कंटेनर और अन्य सामानों को अस्थायी रूप से रखा जाता है. फिर जरूरत और समय के अनुसार माल को ड्राई पोर्ट से बंदरगाहों या फिर उसके गंतव्य तक पहुंचाया जाता है. बिहार के लिए यह एक बहुत ही जरूरी पहल थी, जहां राज्य के विभिन्न इलाकों में भारी मात्रा में मुख्य रूप से कृषि आधारित, वस्त्र और चमड़े के उत्पाद बनाए जाते हैं. लेकिन लॉजिस्टिक्स की मुश्किल सुविधा होने की वजह से गंतव्य तक पहुंचने में कठिनाई होती थी और इसकी लागत भी ज्यादा होती थी. 

कैसे करेगा ये काम?

आईसीडी बिहटा का निर्माण पी-पी-पी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की तर्ज पर किया गया है. पीपीपी दरअसल, सरकारी सेवाएं और बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र की इकाई के बीच एक साझेदारी है. इसे प्रिस्टीन मगध इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और राज्य उद्योग विभाग द्वारा संचालित किया जा रहा है. साथ ही, इस ड्राई पोर्ट को केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग द्वारा अंतर्देशीय कंटेनर डिपो के रूप में मंजूरी दी गई है.

यह ड्राई पोर्ट रेलवे नेटवर्क के जरिए पश्चिम बंगाल में कोलकाता और हल्दिया, आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम, महाराष्ट्र में न्हावा शेवा, गुजरात में मुंद्रा आदि के गेटवे बंदरगाहों से जुड़ा हुआ है. उदाहरण के तौर पर, उद्घाटन वाले ही दिन (21 अक्टूबर) 90 कंटेनरों की पहली खेप रूस के लिए रवाना हुई. यह रेल मार्ग से होते हुए पहले कानपुर जाएगी. वहां से मुंबई पहुंचेगी. फिर दूसरे डिपो में जाएगी. रेल मार्ग के जरिए सामान भेजना काफी आसान है. इससे पैसों की भी बचत होगी.  

सबसे खास बात कस्टम क्लीयरेंस क्लीयरेंस की सुविधा  

जैसा कि ऊपर जिक्र है कि अब आईसीडी बिहटा में विभिन्न शिपर्स के कार्गो को अस्थायी रूप से रखा जा सकता है. इनमें रेफ्रिजेरेटेड कंटेनर भी शामिल होंगे. लेकिन इसकी सबसे खास बात है कि अब निर्यातकों-आयातकों को कस्टम क्लीयरेंस संबंधी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए अब हजारों किलोमीटर दूर बंदरगाहों पर नहीं जाना पड़ेगा, बल्कि आईसीडी बिहटा में ही ये काम पूरा होगा. इससे बंदरगाहों पर भीड़-भाड़ भी कम होगी.

कस्टम क्लीयरेंस या सीमा शुल्क निकासी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार माल का कानूनी रूप से आयात या निर्यात करने की प्रक्रिया है. इसमें यह सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए जाते हैं कि माल स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का अनुपालन करता है, और सही करों और शुल्कों का भुगतान किया जाता है. इसमें माल की घोषणा सीमा शुल्क प्राधिकारी के सामने ही की जाती है, साथ ही उसके मूल्य, कहां से आया और कहां जाने वाला है, इसका विवरण भी दिया जाता है.

उद्घाटन करते वक्त उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने कहा भी, "यह सुविधा हमारे औद्योगिक क्षेत्र को बदल देगी. इससे पहले बिहार के निर्यातकों और आयातकों को अपने गृह राज्य से हजारों किलोमीटर दूर बंदरगाहों या दूसरे राज्यों में कस्टम क्लीयरेंस लेना पड़ता था. आईसीडी बिहटा के खुलने से वे वैश्विक बाजारों में खुद को स्थापित करने और प्रतिस्पर्धात्मक रूप से भाग लेने में सक्षम होंगे, क्योंकि यहां कस्टम क्लीयरेंस की सुविधाएं उपलब्ध हैं."

बिहार के लिए क्यों था जरूरी?

दरअसल, कृषि प्रधान राज्य बिहार से अनाज और खाद्य वस्तुओं के निर्यात की भरपूर संभावनाएं हैं. यह राज्य आलू, टमाटर, केला, लीची और मखाना जैसे फलों और सब्जियों का एक प्रमुख उत्पादक है. इसके अलावा यह मक्का (राज्य के सभी 38 में से 11 जिलों में प्रमुखता से उगाई जाने वाली फसल), स्पंज आयरन, पैक्ड फूड, रद्दी कागज, अखबारी कागज, चावल और मांस के निर्यात की भी अहम क्षमता रखता है. मक्का का पैदावार मुख्य रूप से उत्तर बिहार के खगड़िया, बेगूसराय, सहरसा और पूर्णिया जैसे जिलों में केंद्रित है.

इसके अलावा राज्य सरकार ने उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण जिलों में कई चमड़ा और परिधान इकाइयां शुरू की हैं. वैशाली, नालंदा, पटना और बेगूसराय में भी खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निर्यात की अपार संभावनाएं हैं. हाल ही में आधा दर्जन निवेशकों ने राज्य में चमड़ा मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयां खोली हैं. उद्योग मंत्री मिश्रा के शब्दों में, "राज्य में चमड़ा और परिधान के निर्यात की अपार संभावनाएं हैं. हम अधिक से अधिक निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए अपने भूमि बैंक को बढ़ा रहे हैं."

बिहार सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य ने वित्त वर्ष 2022-23 में करीब 20,000 करोड़ रुपये का निर्यात दर्ज किया. अब आईसीडी बिहटा की मौजूदगी के साथ राज्य अपनी निर्यात क्षमता को और बढ़ाने की ओर देख रहा है. इसकी एक और खास बात ये है कि यह बिहार के अलावा यह पूरे पूर्वी भारत को कवर करते हुए, खासकर पड़ोसी राज्यों झारखंड, उत्तर प्रदेश और ओडिशा के मालों को लॉजिस्टिक सेवा उपलब्ध कराने में मदद कर सकता है. 

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