scorecardresearch

उत्तर प्रदेश : दलित वोट बैंक को वापस पाने के लिए कांग्रेस क्या करने जा रही है?

उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के ढलान पर जाने और हालिया लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन से उत्साहित कांग्रेस अब नए सिरे से दलित मतदाताओं को साथ जोड़ने की रणनीति पर चल रही है

एक दलित के घर भोजन करते प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय और अन्य कार्यकर्ता
एक दलित के घर भोजन करते प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय और अन्य कार्यकर्ता
अपडेटेड 9 जुलाई , 2024

18वीं लोकसभा के शुरुआती सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संसद में काफी आक्रामक तेवर दिखाए थे. उसके बाद वे गुजरात से लेकर मणिपुर तक लगातार दौरे पर भी हैं और यह सक्रियता अब पार्टी में भी खूब दिख रही है. इसकी एक बड़ी बानगी इन दिनों उत्तर प्रदेश में भी दिखी. पार्टी यहां दलित मतदाताओं को रिझाने के लिए नए सिरे से जुटती दिख रही है. 

6 जुलाई को देश के पहले दलित उप प्रधानमंत्री और संविधान सभा के सदस्य रहे जगजीवन राम की 38वीं पुण्यतिथि‍ थी. इस मौके पर कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में तीन दिवसीय सहभोज की शुरुआत की है. इस दिन यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय लखनऊ के खुर्रमनगर इलाके के एक दलित परिवार में पहुंचे और उन्होंने वहां भोजन किया.

अजय राय की तर्ज पर ही कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी उस दिन कई जगह दलितों के घर जाकर उनके साथ खाना खाया. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अगले दिन यानी 7 जुलाई को वाराणसी पहुंचे जहां से वे लोकसभा चुनाव लड़ते हैं. यहां भी उन्होंने एक दलित के घर भोजन किया.

इसके बाद उनका कहना था, "बाबू जगजीवन राम पीढ़ियों से समाज और दलित समुदाय के सदस्यों के लिए प्रेरणा रहे हैं. इस अभियान को शुरू करने के लिए इससे बेहतर दिन नहीं हो सकता था." लोकसभा चुनाव के दौरान दलित मतदाताओं ने यूपी में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के गठबंधन पर जिस तरह से विश्वास जताया है उससे इंडिया गठबंधन के ये दल काफी उत्साहित हैं. 

दलितों के इसी समर्थन को आगे उपचुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव में भी बरकरार रखने के लिए कांग्रेस अपने अभियान में जुट गई है. दलित समुदाय के बीच जनाधार बढ़ाने का हौसला कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन के नाते मिला है. यूपी में इंडिया गठबंधन के घटक दल के रूप में 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़कर कांग्रेस ने छह सीटें जीतीं. 

2009 के लोकसभा चुनाव के बाद यह पार्टी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. 2024 के आम चुनाव में दलित जनाधार वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को केवल 9.39 फीसद वोट मिले. यह 1991 के यूपी विधान सभा चुनाव के बाद से बसपा का सबसे खराब प्रदर्शन था. यूपी की कुल आबादी में दलित समुदाय की करीब 21 फीसद की हिस्सेदारी है. कांग्रेस ने यूपी के राजनीतिक परिदृश्य में बसपा के उदय के साथ दलित मतदाताओं का आधार खो दिया था. अब बसपा से दलित जनाधार के खिसकने के साथ कांग्रेस की उम्मीदें भी परवान चढ़ रही हैं.

उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति की आबादी में अलग-अलग जातियों की हिस्सेदारी
उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति की आबादी में अलग-अलग जातियों की हिस्सेदारी

हाल ही में लखनऊ में राज्य कांग्रेस मुख्यालय में एक उच्च स्तरीय बैठक में, राज्य भर के प्रमुख दलित नेताओं के सुझावों को सुनने के बाद एक विस्तृत 15-दिवसीय कार्यक्रम तैयार किया गया. इस कार्यक्रम में दलितों के बीच विशेष सदस्यता अभियान, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में प्रभावशाली दलित हस्तियों की पहचान, साथ ही उनके मुद्दों पर बात करने के लिए मंडल स्तरीय "सम्मेलन" और जिला स्तरीय "दलित चौपाल" आयोजित करना शामिल है.

राजनीतिक विश्लेषक और लखनऊ के कान्यकुब्ज कॉलेज में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर ब्रजेश मिश्र बताते हैं, "लोकसभा चुनाव में जिस तरह कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संविधान की किताब को हाथ में लेकर संविधान बचाने की बात कही उससे दलित समुदाय में एक सकारात्मक संदेश गया. यही कारण था कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता ने दलितों के बीच जो माहौल बनाया उसका फायदा पूरे इंडिया गठबंधन को मिला. अब कांग्रेस अपने परंपरागत दलित वोट बैंक को दोबारा साथ लाने की कोशिश कर रही है. इसके लिए यह सबसे उपयुक्त समय भी है."

हालिया लोकसभा चुनाव में सपा ने 7 तो कांग्रेस ने 1 आरक्षित सीट पर कब्जा जमाया था. दलितों के बीच जनाधार मजबूत करने के लिए तैयार की जा रही रणनीति में यूपी के ऐसे क्षेत्रों में दलित सम्मेलनों की शुरुआत की जाएगी जहां से आसपास के इलाकों में भी इन मतदाताओं के बीच संदेश पहुंचाया जा सके. इसके तहत पहले चार दलित सम्मेलन पूर्वी यूपी के गोरखपुर और वाराणसी जिलों में जो कि क्रमश: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र है, मध्य यूपी के लखनऊ जिले और पश्च‍िमी यूपी के मेरठ जिले में आयोजित करने की योजना है.

यूपी कांग्रेस के अनुसूचित जाति (एससी) विभाग के प्रमुख और यूपी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष आलोक प्रसाद कहते हैं, "दलित परंपरागत रूप से हमारे समर्थक रहे हैं, लेकिन बीच में कुछ गलतफहमियों के कारण वे समय के साथ हमसे दूर हो गए थे. लोकसभा चुनावों में राहुल जी द्वारा उठाए गए मुद्दों के आधार पर दलितों ने कांग्रेस का समर्थन किया. अगर दलित हमारा समर्थन करने के लिए एक कदम बढ़ाते हैं, तो अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनसे संपर्क करने के लिए एक और कदम बढ़ाएं."

आलोक प्रसाद के मुताबिक दलितों की जमीन हड़पने, आरक्षण का लाभ उठाने से जुड़े मुद्दे, छात्रवृत्ति के नाम पर लोगों को बरगलाने समेत कई मामले हैं जिन पर दलितों का उत्पीड़न किया जा रहा है. दलितों के बीच जाकर उनसे संवाद करके कांग्रेस पार्टी उनके मुद्दों को सुनेगी ओर उनका समाधान निकालने के लिए सरकार पर दबाव बनाएगी.

दलितों के बीच संवाद स्थापित करने के लिए तैयार की जा रही रणनीति के मुताबिक गोरखपुर से मंडल स्तरीय 'दलित सम्मेलन' शुरू करने के बाद, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से कम से कम 1,000 पहचाने जाने वाले और प्रमुख दलित चेहरों को जोड़ने के लिए सदस्यता अभियान शुरू किया जाएगा. 

पार्टी की जिला इकाइयों के साथ समन्वय में दलितों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में हर पखवाड़े कम से कम एक बार "दलित चौपाल" का आयोजन किया जाएगा. इतना ही नहीं कांग्रेस यूपी में दलितों का भरोसा जीतने के लिए संगठन में प्रमुख दलित चेहरों को नई जिम्मेदारियां देने पर विचार कर रही है.

प्रदेश भर में दलितों के केंद्र‍ित अभि‍यान के तहत कांग्रेस पार्टी समुदाय के पेशेवरों जैसे डॉक्टरों या शिक्षकों से भी संपर्क करने की योजना बना रही है. पार्टी की राय है कि आगे इन तबकों के मुद्दों को भी उठाया जाएगा. साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में दलित चेतना सम्मेलन करवाया था, जिसमें मौजूदा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी आए थे. कांग्रेस 2027 के चुनाव के पहले इस तरह का सम्मेलन करवाने के बारे में भी विचार कर रही है.

Advertisement
Advertisement