महाराष्ट्र के शिरडी मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों की यात्रा अब पहले से ज्यादा आसान और आरामदायक हो गई है. इसकी वजह ये है कि शिरडी हवाई अड्डे पर अब रात में भी विमानों के लैंडिंग की सुविधा शुरू हो चुकी है. इससे राज्य में हवाई संपर्क और धार्मिक पर्यटन दोनों को बढ़ावा मिलने की संभावना बढ़ गई है.
मार्च की 30 तारीख को गुड़ी पड़वा के दिन हैदराबाद से शिरडी पहुंची इंडिगो विमान की लैंडिंग के साथ ही यह सेवा शुरू हो गई. 350 हेक्टेयर में फैला ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट शिरडी के पास काकडी में स्थित है. 2017 में इस एयरपोर्ट का उद्घाटन किया गया था. इस एयरपोर्ट के बनने के बाद यह आध्यात्मिक शहर विश्व के कई बड़े शहरों और धार्मिक स्थलों से जुड़ गया.
इस एयरपोर्ट ने औरंगाबाद, नांदेड़, कोल्हापुर और नासिक जैसे पुराने एयरपोर्ट को पीछे छोड़ दिया है और मुंबई, पुणे और नागपुर के बाद राज्य का चौथा सबसे व्यस्त एयरपोर्ट बन गया है.
महाराष्ट्र एयरपोर्ट डेवलपमेंट कंपनी की उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक स्वाति पांडे ने कहा कि रात्रिकालीन उड़ानों के शुरू होने से श्रद्धालु साईं बाबा मंदिर में काकड़ आरती यानी सुबह की आरती में शामिल हो सकेंगे.
शिरडी में दक्षिणी राज्यों, खास तौर पर आंध्र प्रदेश से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. स्वाति पांडे बताती हैं, "शिरडी में इंस्ट्रूमेंटल लैंडिंग सिस्टम चालू कर दिया गया है. एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल चौबीसों घंटे काम करेगा. शिरडी एयरपोर्ट का इस्तेमाल अब आपातकालीन लैंडिंग के लिए बैक-अप या स्टैंडबाय एयरपोर्ट के तौर पर भी किया जा सकेगा."
हवाई अड्डा से फिलहाल प्रतिदिन लगभग 11 विमानों की आवाजाही होती हैहैदराबाद, विजयवाड़ा, बेंगलुरु, चेन्नई, नई दिल्ली और इंदौर से यहां के लिए सीधी फ्लाइट है. स्वाति पांडे बताती हैं, "2027 में नासिक और त्र्यंबकेश्वर में कुंभ मेला होने वाला है. ऐसे में शिरडी एयरपोर्ट पर रात में लैंडिंग शुरू होने से यह सुनिश्चित होगा कि कुंभ मेले के दौरान यह हवाई अड्डा एक बैक-अप की तरह काम करेगा. हम भविष्य के योजनाओं पर काम करते हुए इस सेवा को शुरू कर रहे हैं."
पांडे ने कहा कि इस धार्मिक नगरी में रात में विमान उतारने की सुविधा को बेहद कम समय में अंजाम दिया गया है. 6 जनवरी को एक बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस सेवा को शुरू करने का निर्देश दिया था. उन्होंने कहा था, "विमानन सेवाओं को दुरुस्त करना उनकी प्राथमिकता है."
शिरडी की आबादी करीब 45,000 है, लेकिन यहां रोजाना औसतन 60,000 श्रद्धालु आते हैं, जो छुट्टियों के मौसम में 80,000 और गुरु पूर्णिमा, दशहरा और राम नवमी जैसे त्योहारों के दौरान 200,000 तक पहुंच जाते हैं. भीड़भाड़ वाले मौसम में श्रद्धालुओं को छह घंटे तक कतार में खड़े रहना पड़ता है.
इस साल शिरडी हवाई अड्डे पर कार्गो सुविधा भी शुरू होने की उम्मीद है, जबकि नए टर्मिनल भवन का काम नवंबर 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है. नया टर्मिनल बनने से यह हवाई अड्डे प्रति घंटे लगभग 1,200 यात्रियों के भार को आसानी से संभाल सकेगा. जबकि कार्गो सुविधा क्षेत्र में कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगी.
यहां 2,500 मीटर लंबे रनवे को फिर से बनाया जा रहा है और इसे 3,200 मीटर तक बढ़ाया जा रहा है. अपने कमीशनिंग के समय, शिरडी हवाई अड्डे की क्षमता केवल 150 आगमन और इतनी ही संख्या में प्रस्थान को संभालने की थी.
सिर्फ शिरडी नहीं बल्कि राज्य के कई हिस्सों में विमानन का महत्वपूर्ण विस्तार होने वाला है. स्वाति पांडे ने बताया कि विदर्भ के अमरावती हवाई अड्डे को हवाई अड्डा लाइसेंस दिया गया है और एलायंस एयर जल्द ही यहां से मुंबई के लिए उड़ानें शुरू करने जा रही है.
गुड़ी पड़वा पर हवाई अड्डे पर पहली ट्रायल फ्लाइट की लैंडिंग हो चुकी है. इस हवाई अड्डे से मध्य भारत के कुछ हिस्सों के अलावा अमरावती, अकोला, वर्धा और यवतमाल जिलों के लोगों को काफी फायदा पहुंचने की उम्मीद है.
महाराष्ट्र में 13 कार्यात्मक हवाई अड्डे हैं, जिनमें से पांच अंतरराष्ट्रीय हैं- मुंबई, पुणे, नागपुर, छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) और नासिक. नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो मुंबई हवाई अड्डे का भार कम करेगा, इस वर्ष चालू होने की उम्मीद है. यह सबसे बड़े ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों में से एक होगा, जिसकी सालाना 9 करोड़ यात्रियों और 2.5 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो को संभालने की क्षमता होगी.
महाराष्ट्र एयरपोर्ट डेवलपमेंट कंपनी गढ़चिरौली जिले में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए जमीन भी खरीद रही है, जो महाराष्ट्र में वामपंथी उग्रवाद का गढ़ है. राज्य के पूर्वी छोर पर विदर्भ में स्थित इस जिले में हेलीपैड तो है, लेकिन रात में उतरने की सुविधा नहीं है. राज्य सरकार ने एयरपोर्ट के लिए 490 एकड़ जमीन की पहचान की है. इसमें एयरबस ए320 नियो जैसे बड़े विमानों के लिए 2,350 मीटर लंबा रनवे बनाया जाएगा.
इस आदिवासी बहुल क्षेत्र में हवाई अड्डे के बनने से न सिर्फ यहां के इस्पात और खनन कंपनियों तक पहुंच आसान होगा, बल्कि छत्तीसगढ़ और तेलंगाना से सटे जिले में वामपंथी उग्रवाद से निपटने में भी यह एयरपोर्ट काफी मददगार साबित होगा. इसके बनते ही पर्यटक गढ़चिरौली जिले के चारमोशी में भगवान शिव के मार्कंडा मंदिर, कालाहांडी जिले के भद्रकाली गांल स्थित इंद्रावती के संगम, गढ़चिरौली के भामरागढ़ और एटापल्ली में सुरजागढ़ पहाड़ियों जैसी खूबसूरत जगहों पर जा सकेंगे.