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बार-बार उम्मीदवार बदलना समाजवादी पार्टी की दुविधा है या रणनीति?

समाजवादी पार्टी (सपा) कन्नौज, बदायूं समेत कुल 10 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार बदल चुकी है. ताजा मामला शाहजहांपुर का है जहां 26 अप्रैल को पार्टी ने प्रत्याशी बदला है

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव
अपडेटेड 29 अप्रैल , 2024

समाजवादी पार्टी (सपा) ने जब से शाहजहांपुर (सुरक्ष‍ित) लोकसभा सीट पर राजेश कश्यप को उम्मीदवार घोषित किया था, तब से पार्टी के स्थानीय संगठन में असंतोष के स्वर दिखाई दे रहे थे. दरअसल राजेश कश्यप ने राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने खुद को अनुसूचित जाति का साबित करते हुए पार्टी सिंबल पा लिया था और 22 अप्रैल को चुनाव नामांकन भी करा लिया. 

हालांकि तब से ही उनका नामांकन खारिज होने की प्रबल संभावना लग रही थी. स्थानीय सपा नेतृत्व ने नामांकन खारिज होने की आशंका और स्थानीय संगठन को प्रत्याशी पसंद नहीं आने की रिपोर्ट लखनऊ मुख्यालय भेजी थी. इससे पहले जिला पंचायत और फिर महापौर के चुनाव में सपा के घोषित प्रत्याशी के पाला बदलकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में जाने के घटनाक्रम से सीख लेते हुए लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी ने प्लान बी तैयार रखा था. 

आशंका के मुताबिक 26 अप्रैल को नामांकन पत्रों की जांच के दौरान राजेश कश्यप का नामांकन खारिज हो गया. लेकिन इसके साथ ही सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहीं ज्योत्सना गोंड सपा का सिंबल लेकर चुनावी मैदान में उतर गईं. यह सपा संगठन की रणनीति थी कि अगर राजेश का पर्चा खारिज हुआ तो ज्योत्सना चुनाव मैदान में उतरेंगी. संगठन की तरफ से राजेश कश्यप को अंतिम समय तक यही आश्वासन दिया जाता रहा कि वे ही पार्टी के प्रथम प्रत्याशी हैं. 

शुक्रवार को नामांकन पत्रों की जांच के बाद राजेश कश्यप का पर्चा खारिज कर दिया गया. राजेश कहते हैं, ''पार्टी प्रमुख के कहने पर मैं करीब तीन साल से चुनाव की तैयारी कर रहा था. पार्टी ने करीब दो महीने पहले ही मेरी उम्मीदवारी घोषित कर दी थी. 21 अप्रैल को पार्टी ने मुझे चुनाव चिह्न आवंटित किया और मैंने अगले दिन फॉर्म ए और बी के साथ अपना पर्चा दाखिल किया. मुझे इसकी जानकारी नहीं थी कि उन्होंने 24 अप्रैल को एक और पत्र जारी किया है, जिसमें पार्टी ने मेरा नाम रद्द कर दिया और ज्योत्सना गोंड को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया. दूसरे पत्र के बारे में मुझे जानकारी न देकर पार्टी ने मुझे अंधेरे में रखा. कागजात की जांच के दौरान ही मुझे इसके बारे में पता चला.” 

26 वर्षीय ज्योत्सना गोंड, जो सपा के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष व पूर्व एमएलसी राजपाल कश्यप की भतीजी हैं, का मुकाबला भाजपा के अरुण कुमार सागर और बसपा के दोदराम वर्मा से होगा. वर्तमान लोकसभा चुनाव में सपा कांग्रेस से गठबंधन करके यूपी की 62 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. शाहजहांपुर दसवीं लोकसभा सीट है जहां से सपा ने अपना उम्मीदवार बदला है. 

शाहजहांपुर लोकसभा सीट से ऐन मौके पर उम्मीदवाद बदलने वाली सपा ने दो दिन पहले 24 अप्रैल को भी कन्नौज लोकसभा सीट से पूर्व घोषित उम्मीदवार तेज प्रताप सिंह यादव उर्फ तेजू का टिकट काटते हुए पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को प्रत्याशी घोषि‍त कर दिया. लगातार उम्मीदवार बदलने के कारण भाजपा और सपा की पूर्व सहयोगी पार्टी जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने सपा पर कटाक्ष करते हुए उसे 'भ्रमित पार्टी' बताया. 

राजनीतिक विश्लेषक और लखनऊ में अवध गर्ल्स कॉलेज की प्राचार्य बीना राय बताती हैं, “जिन वजहों से सपा अपने उम्मीदवारों को बार-बार बदल रही है उससे साबित होता है कि पार्टी ने चुनाव से पहले किसी भी प्रकार का कोई होमवर्क नहीं किया है. लगातार उम्मीदवार बदलने से पार्टी के समर्थकों में न केवल गुटबाजी बढ़ती है बल्क‍ि मतदाताओं में भी दुविधा पैदा होती है. इसका असर उन सीटों पर भी पड़ता है.” 

उम्मीदवारों के लगातार बदलाव के बारे में सपा में लोहिया वाहिनी से जुड़े एक नेता योगेश कुमार बताते हैं, “पार्टी ने जातिगत समीकरणों के आधार पर चुनाव लड़ने के लिए कई नेताओं को चुना है. कई बार दूसरी पार्टियों के उम्मीदवारों की घोषणा के बाद रणनीति के तहत पूर्व घोषित उम्मीदवारों को बदलकर दूसरे नेताओं को उम्मीदवार बनाया गया. चूंकि इस बार पार्टी ने काफी पहले अपने टिकट इसीलिए घोषित किए हैं ताकि जहां जरूरत महसूस हो वहां जरूरी बदलाव किए जा सकें.” 

दस लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार बदले जाने को लेकर भाजपा और उसके सहयोगी दल लगातार सपा नेतृत्व को निशाने पर लिए हुए हैं. भाजपा सपा के असंतुष्ट नेताओं के जरिये साइकिल की राह कठिन करने में जुटी हुई है. समाजवादी पार्टी ने सुल्तानपुर सीट पर पहले भीम निषाद को प्रत्याशी घोषित किया था. बाद में पार्टी ने कुछ पूर्व विधायकों के दबाव में टिकट बदलकर गोरखपुर निवासी पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद को प्रत्याशी बना दिया. आठ महीने से सुल्तानपुर जिले की खाक छान रहे भीम निषाद का खेमा इस निर्णय से सन्न रह गया. जिले के एकमात्र सपा विधायक ताहिर खान भी भीम निषाद की पैरवी में जुटे रहे लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व ने भीम निषाद को ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया है, जिससे कि वे संतुष्ट हो सकें.

ऐसे में अचानक भीम निषाद 25 अप्रैल को अंबेडकर नगर के सांसद रितेश पांडेय के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने पहुंच गए. मुख्यमंत्री के एकाउंट से शेयर मुलाकात की फोटो में हालांकि इसे अनौपचारिक भेंट बताया गया है लेकिन इतना तो साफ है कि भीम निषाद के इस कदम से सपा के स्थानीय संगठन में विवाद की स्थ‍िति भी बन गई है. हालांकि पार्टी का बचाव करते हुए सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता फ़राजुद्दीन किदवई कहते हैं, “भाजपा ने मीनाक्षी लेखी, पूर्व जनरल वीके सिंह और परवेश वर्मा सहित कई मौजूदा सांसदों को टिकट देने से इनकार कर दिया. हर राजनीतिक दल की अपनी रणनीति होती है. भाजपा ने यह जानते हुए भी कई सांसदों को टिकट नहीं दिया कि उनके सांसदों ने पिछले पांच वर्षों में कोई काम नहीं किया है और वे अपनी विफलताओं से लोगों का ध्यान हटाने के लिए लगातार अप्रासंगिक मुद्दे उठा रहे हैं.” 

इन सीटों पर बदले उम्मीदवार 

मेरठ: सपा ने सरधना विधायक अतुल प्रधान को मैदान में उतारने से पहले 15 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के वकील भानु प्रताप सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया और फिर नामांकन दाखिल करने की 4 अप्रैल की समय सीमा से ठीक एक दिन अतुल प्रधान का भी टिकट काटकर सुनीता वर्मा को पार्टी का उम्मीदवार बना दिया.  

बागपत: पहले सपा ने मनोज चौधरी को मैदान में उतारा, जिन्होंने 2012 और 2017 में छपरौली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे. बाद में मनोज की जगह साहिबाबाद से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से पूर्व विधायक अमरपाल शर्मा को उम्मीदवार घोषित कर दिया.

गौतमबुद्ध नगर: सपा ने 16 मार्च को पूर्व कांग्रेस जिला अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नागर को मैदान में उतारा, फिर राहुल अवाना को अपना उम्मीदवार घोषित किया. 12 दिन बाद वापस डॉ. महेंद्र नागर को उम्मीदवार घोषि‍त कर दिया. 

बदायूं: रुहेलखंड की इस हाईप्रोफाइल सीट से सपा ने तीन बार अपना प्रत्याशी बदला. सबसे पहले, पूर्व सांसद और अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा और फिर कुछ दिनों बाद सपा प्रमुख के चाचा और वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव को उम्मीदवार बनाया. फिर 14 अप्रैल को पार्टी ने घोषणा की कि शिवपाल के बेटे आदित्य इस सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे.

मिश्रिख: इस सीट से पार्टी ने पहले पूर्व सांसद रमाशंकर भार्गव को उम्मीदवार बनाया, फिर विधायक रामपाल राजवंशी को, फिर उनके बेटे मनोज को और अंत में मनोज की पत्नी संगीता को मैदान में उतारा. अंततः इसने इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए अपनी मूल पसंद रमाशंकर भार्गव को सपा ने उम्मीवार बनाया. 

बिजनौर: सपा ने 15 मार्च को नगीना के पूर्व सांसद यशवीर सिंह की उम्मीदवारी की घोषणा की. एक हफ्ते बाद, उसने नूरपुर विधायक राम अवतार सैनी के बेटे दीपक सैनी को मैदान में उतारा.

सुल्तानपुर: पार्टी ने इस सीट से सपा के प्रदेश सचिव भीम निषाद को मैदान में उतारा था लेकिन 14 अप्रैल को बसपा के पूर्व मंत्री राम भुवाल निषाद को अपना उम्मीदवार बनाया. ऐसी अटकलें हैं कि पार्टी एक बार फिर सीट से अपना उम्मीदवार बदल सकती है.

मुरादाबाद: सपा ने पहले मौजूदा सांसद एसटी हसन को मैदान में उतारा, लेकिन 28 मार्च को सीट से नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन, दिग्गज नेता आजम खान की करीबी सहयोगी, बिजनौर की पूर्व विधायक रुचि वीरा को अपना चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया.

कन्नौज: सपा ने 22 अप्रैल को घोषणा की कि अखिलेश के भतीजे तेज प्रताप यादव कन्नौज लोकसभा सीट से पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार हैं, लेकिन दो दिन बाद घोषणा की कि सपा प्रमुख खुद उस सीट से चुनाव लड़ेंगे जो यादव परिवार का गढ़ है.

शाहजहांपुर: पार्टी ने 43 वर्षीय राजेश कश्यप को मैदान में उतारा था लेकिन 26 अप्रैल को उनकी जगह 26 वर्षीय ज्योत्सना गोंड को उम्मीदवार बना दिया गया है.

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