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राजस्थान : कोचिंग सेंटर बिल छात्रों से लेकर कोचिंग सेंटर वालों को भी क्यों कर रहा है परेशान?

जनवरी 2024 में केंद्र सरकार की कोचिंग सेंटरों को लेकर जारी की गई गाइडलाइंस के बाद राजस्थान सरकार ने इस पर कानून बनाने का फैसला किया था

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा राज्य विधानसभा में बोलते हुए/एएनआई
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा राज्य विधानसभा में बोलते हुए/एएनआई
अपडेटेड 21 मार्च , 2025

मार्च की 19 तारीख को राजस्थान विधानसभा में कोचिंग सेंटरों को रेगुलेट और कंट्रोल करने के लिए एक बिल पेश किया गया. इसका मकसद वहां पढ़ने वाले छात्रों को सुरक्षित और मददगार शैक्षणिक माहौल मुहैया करना है. यह बिल राज्य में कोचिंग हब के रूप में प्रसिद्ध कोटा में छात्रों की आत्महत्या की लगातार बढ़ती घटनाओं के बीच लाया गया है.

इस तरह के कानून की बरसों से मांग की जा रही थी. जयपुर और कोटा जैसे शहरों में, जहां लाखों की संख्या में छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आते रहे हैं और जिसमें कोचिंग सेंटर और आवासीय स्कूल उनकी मदद करते रहे हैं, वहां एक जबरदस्त दबाव वाले एकेडमिक माहौल में पिछले कुछ सालों में कई छात्रों के सुसाइड के मामले सामने आए हैं.

19 मार्च को उच्च शिक्षा विभाग का प्रभार संभाल रहे उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने राजस्थान कोचिंग सेंटर (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) विधेयक, 2025 को सदन में पेश किया और इसे कोचिंग छात्रों के लिए कल्याणकारी उपाय बताया.

राज्य कैबिनेट ने 8 मार्च को बिल को मंजूरी दी थी, जिसमें कहा गया था कि कई कोचिंग सेंटरों द्वारा बनाए गए हाई प्रेशर वाले माहौल के कारण छात्रों में बड़े पैमाने पर निराशा और हताशा पैदा हुई है. बैरवा ने कहा कि जब परिणाम उम्मीदों के मुताबिक नहीं आए, तो जबरदस्त तनाव के चलते कई मामलों में आत्महत्या की घटनाएं हुईं.

प्रस्तावित कानून में सभी कोचिंग संस्थानों के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य कर दिया गया है. 50 या उससे अधिक छात्रों वाले कोचिंग सेंटरों को कानूनी दायरे में लाया जाएगा. कानून के लागू होने की देखरेख के लिए राज्य में एक कोचिंग सेंटर कंट्रोल एंड रेगुलेशन अथॉरिटी भी स्थापित की जाएगी. हालांकि इस बिल के कुछ हिस्सों को लेकर आलोचना भी की जा रही है.

क्या कहता है विधेयक?

राजस्थान सरकार ने कहा है कि प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य "कोचिंग संस्थानों के व्यावसायीकरण पर अंकुश लगाना है और यह सुनिश्चित करना है कि वे छात्रों की भलाई और सफलता को प्राथमिकता देते हुए एक तय ढांचे के भीतर काम करें."

इसमें न्यूनतम क्वालिटी स्टैंडर्ड, कोचिंग सेंटरों के रजिस्ट्रेशन और छात्रों के लिए सायकोलॉजिकल काउंसिलिंग को अनिवार्य बनाने का प्रावधान है. बिल के मुताबिक, अगर कोचिंग सेंटर कुछ नियमों का उल्लंघन करते हैं तो पहली बार उल्लंघन करने के लिए उनपर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा, दूसरी बार के लिए 5 लाख रुपये का, और अगर फिर उल्लंघन करते हैं तो उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा.

हालांकि, कोचिंग सेंटरों के रेगुलेशन के लिए केंद्र सरकार ने जनवरी 2024 में जो गाइडलाइंस जारी की थी, उसमें कोचिंग सेंटरों द्वारा तय नियमों के पहले उल्लंघन के लिए 25 हजार रुपये, दूसरे उल्लंघन के लिए 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है. इसके बाद के उल्लंघन के लिए रजिस्ट्रेशन रद्द करने की बात है. इस तरह, यह एक ऐसा पहलू है जहां राजस्थान सरकार का प्रस्तावित कानून, केंद्र सरकार की गाइडलाइंस की तुलना में अधिक सख्त है.

बहरहाल, प्रस्तावित कानून के तहत राजस्थान में कोचिंग संस्थानों को अब मनमानी फीस वसूलने की अनुमति नहीं होगी और उन्हें छात्रों के लिए तनाव मुक्त माहौल मुहैया कराना होगा. साथ ही, अगर किसी कारणवश कोचिंग बंद हो जाती है तो फीस वापस करनी होगी. छात्रों की काउंसलिंग के लिए एक राज्य स्तरीय पोर्टल और हेल्पलाइन भी बनाई जाएगी.

क्यों उठ रहे हैं सवाल?

जनवरी 2024 में केंद्र सरकार की कोचिंग सेंटरों को लेकर जारी की गई गाइडलाइंस के बाद राजस्थान सरकार ने इस पर कानून बनाने का फैसला किया था. पहले के ड्राफ्ट में गाइडलाइंस के अनुरूप ही यह स्पष्ट किया गया था कि केवल 16 साल की आयु वाले या सेकंडरी स्कूल की परीक्षा पास करने वाले छात्र ही कोचिंग सेंटरों में दाखिला ले सकते हैं. हालांकि, 19 मार्च को पेश बिल में आयु संबंधी मानदंड का कोई जिक्र नहीं है.

इस तरह के कानून के अभाव में कोचिंग सेंटरों को लाभ मिल सकता है, खासकर कोटा में. इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज के लिए स्टूडेंट हब बनने के बाद शहर में हाल ही में छात्रों के नामांकन में भारी गिरावट देखी गई है. इसके पीछे की वजहों में केंद्र की गाइडलाइंस के अलावा छात्रों की आत्महत्या की खबरों की मीडिया में बड़े पैमाने पर कवरेज, और देश के अन्य हिस्सों में नए सेंटरों के खुलने को बताया जा रहा है.

पहले कुछ मामलों में छात्र केंद्रों से गायब हो गए और उनके परिवारों को बहुत बाद में पता चला. बिल के पहले ड्राफ्ट में फेस रिकग्निशन तकनीक के जरिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस को अनिवार्य किया गया था. अगर कोई छात्र बिना पूर्व सूचना के दो दिनों से अधिक समय तक गैरहाजिर रहता है, तो केंद्रों को "अभिभावक को सूचित करना" होगा. प्रस्तावित विधेयक में अटेंडेंस के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है.

एक ड्राफ्ट में यह भी कहा गया था कि कोचिंग सेंटरों को "राष्ट्रीय छुट्टी, जिला कलेक्टर द्वारा घोषित लोकल छुट्टी और त्योहारों के संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी आदेशों का पालन करना होगा." जबकि हालिया पेश बिल में कहा गया है कि कोचिंग सेंटरों को त्योहारों के साथ मेल खाने के लिए छुट्टियों को कस्टमाइज करने का प्रयास करना चाहिए, इसमें राष्ट्रीय और स्थानीय छुट्टियों का जिक्र नहीं है.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ अभिभावक संघों ने छात्रों की आत्महत्या के मामले में कोचिंग सेंटरों के लिए जुर्माना निर्धारित करने की जरूरत पर जोर दिया है और उनके द्वारा वसूली जाने वाली मनमानी फीस पर अंकुश लगाने के लिए उपाय करने की मांग की है.

विधेयक की आलोचना करते हुए 'संयुक्त अभिभावक संघ' ने आरोप लगाया कि विधेयक को "कोचिंग सेंटरों के मार्गदर्शन में" तैयार किया गया है. इसके प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि विधेयक में कोचिंग सेंटरों द्वारा ली जाने वाली फीस निर्धारित करने के लिए एक समिति का कानून होना चाहिए.

राज्य में विपक्ष के नेता कांग्रेस के टीका राम जूली ने कहा कि पहले के मसौदे में 16 साल की न्यूनतम आयु सीमा का जिक्र किया गया था, लेकिन अब सरकार फिर से छात्रों पर बोझ डालने की योजना बना रही है. उन्होंने गाइडलाइंस और विधेयक के बीच अंतर की ओर इशारा करते हुए कहा, "ऐसा लगता है कि राज्य सरकार ने कोचिंग सेंटरों के साथ मिलकर आयु मानदंड में फिर से ढील दी है. शायद सरकार एक मजबूत विधेयक नहीं लाना चाहती. हम इसका विरोध करेंगे और अपने सुझाव देंगे."

इधर, कोटा, जयपुर और सीकर के कोचिंग संस्थान के मालिकों ने बिल के नियमों और उनके कारोबार पर पड़ने वाले संभावित असर को लेकर चिंता जताई है. संस्थान संचालकों के मुताबिक, कोचिंग फीस का रेगुलेशन, संस्थानों के लिए आचार संहिता, छात्रों की संख्या पर प्रतिबंध, प्रॉस्पेक्टस की निगरानी और काउंसलर सहायता प्रदान करने की जिम्मेदारी कोचिंग अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी.

कोटा में पिछले दो साल में 45 छात्रों ने की आत्महत्या

कोटा में 2023 में 28 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं, जबकि 2024 में 17 छात्रों ने सुसाइड किया. इस साल भी अब तक कम से कम आठ स्टूडेंट आत्महत्या कर चुके हैं. पिछले दो-एक सालों में वहां पढ़ने आने वाले छात्रों की संख्या में भी जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है.

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में ढाई लाख से ज्यादा स्टुडेंट्स मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग के लिए कोटा आए थे. लेकिन साल 2024 के अक्टूबर तक महज 1.30 लाख स्टुडेंट्स ने ही वहां का रुख किया. इस भारी गिरावट से शहर की अर्थव्यवस्था पर भी जबरदस्त असर पड़ा है.

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