राजस्थान में सरकारी बंगलों की अलग सियासत चल रही है. विधायक जहां विधानसभा के पास बनाए गए लग्जरी फ्लैट में मनचाहा फ्लैट लेने की जुगाड़ लगा रहे हैं, वहीं मंत्री सिविल लाइंस में पसंद का सरकारी बंगला चाह रहे हैं.
राजस्थान में मंत्रियों को सिविल लाइंस, अस्पताल मार्ग और गांधी नगर में सरकारी बंगले आवंटित किए जाते हैं लेकिन सबसे ज्यादा मांग सिविल लाइंस के बंगलों की रहती है. सिविल लाइंस के उन पांच बंगलों की मांग सबसे ज्यादा है जो अन्य बंगलों से बड़े हैं.
ढाई दशक बाद खाली होगा भैरोंसिंह शेखावत का बंगला
सिविल लाइंस का बंगला नंबर 14 पिछले ढाई दशक से राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के परिवार के पास था. लेकिन अब यह बंगला उन्हें खाली करना पड़ेगा. भैरोंसिंह शेखावत की मृत्यु (2010) के बाद से ही इस बंगले को खाली कराए जाने की कवायद चल रही है. 2011 में जब यह बंगला खाली कराने की कोशिश शुरू हुई तो कई जनप्रतिनिधि और संगठन इसके विरोध में उतर आए जिसके चलते सरकार को यह बंगला शेखावत के परिवार को ही आवंटित करना पड़ा.
कुछ दिन यह बंगला भैरोंसिंह शेखावत की पत्नी सूरज कंवर के पास रहा और उनकी मृत्यु के बाद उनके दामाद व विधायक नरपत सिंह राजवी यहां रहने लगे. राजवी 1993 व 2003 में चित्तौड़गढ़ और 2008, 2013 व 2018 में विद्याधर नगर से विधायक रहे हैं. भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में राजवी को विद्याधर नगर की जगह चित्तौड़गढ़ सीट से मौका दिया, लेकिन चंद्रभान आक्या की बगावत के कारण उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
राजवी की हार के बाद अब सरकार ने यह बंगला कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को आवंटित कर दिया है. हालांकि, सामान्य प्रशासन विभाग ने डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को पहले सिविल लाइंस का बंगला नंबर 18 जारी किया था, लेकिन बाद में उसे बदलकर उन्हें भैरोंसिंह शेखावत का बंगला नंबर 14 आवंटित किया गया है.
दस साल चली वसुंधरा राजे के 13 नंबर बंगले की सियासत
2008 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान में भाजपा की हार के बाद वसुंधरा राजे को पूर्व मुख्यमंत्री के नाते बंगला नंबर 13 आवंटित किया गया, लेकिन 2013 में जब राजस्थान में फिर से वसुंधरा राजे की सरकार बनी तब भी उन्होंने यह बंगला खाली नहीं किया. 2013 में जब भाजपा को 200 में से 163 सीटों पर जीत मिली तो वसुंधरा राजे ने इसे बंगला नंबर 13 की करामात माना और इसी बंगले से मुख्यमंत्री निवास चलाने का फैसला किया.
इस बंगले को विधानसभा पूल में शामिल कर तत्कालीन मुख्यमंत्री ने खुद के नाम आवंटित करवा लिया. हालांकि, 2003 में जब वसुंधरा राजे पहली बार मुख्यमंत्री बनी थीं तब वो मुख्यमंत्री आवास के लिए निर्धारित बंगला नंबर 8 में ही रही थी.
2013 में जब वसुंधरा राजे ने बंगला नंबर 13 खाली नहीं किया तो राजस्थान में भाजपा के पूर्व मंत्री और मौजूदा राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने इसका विरोध करते हुए राज्यपाल से शिकायत की. वसुंधरा राजे के इस बंगले का मामला कोर्ट में भी पहुंचा, लेकिन विधानसभा पूल में शामिल होने के बाद वसुंधरा राजे को यह बंगला आवंटित हो गया. 2018 में राजस्थान में भाजपा के चुनाव हारने के बाद भी वे इसी बंगले में रहीं और अब 2023 में भाजपा के चुनाव जीतने के बाद भी वसुंधरा राजे इसी बंगले में रह रही हैं. करीब 16 साल से वे इसी बंगले हैं.
विधायक होते हुए भी मंत्री वाले बंगले में रह रहे हैं पायलट
केंद्रीय मंत्री रहते हुए 13 जनवरी 2014 को जब सचिन पायलट को राजस्थान कांग्रेस का मुखिया बनाया गया था तब उन्होंने जयपुर के जालुपूरा क्षेत्र में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. शीशराम ओला के पुत्र बृजेंद्र ओला के विधायक निवास को अपना ठिकाना बनाया.
चार साल यहां रहने के बाद वर्ष 2018 में जब उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया तो सिविल लाइंस का बंगला नंबर 11 आवंटित हुआ. पहले यह बंगला कांग्रेस के दिग्गज नेता परसराम मदेरणा और शीशराम ओला जैसे नेताओं का ठिकाना रहा था. जुलाई 2020 में 19 विधायकों के साथ राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ मानेसर पहुंचकर बगावत करने पर सचिन पायलट को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा, तब यह कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें यह बंगला भी खाली करना पड़ेगा.
सूत्रों के मानें तो कांग्रेस आलाकमान के निर्देशों के बाद अशोक गहलोत सरकार ने पायलट से यह बंगला खाली नहीं करवाया. 2013 में राजस्थान में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन चुकी है, लेकिन पायलट अभी भी इसी बंगले में जमे हुए हैं.
कल्ला ने सरकार जाने से पहले ही छोड़ दिया था बंगला
राजस्थान के पूर्व शिक्षामंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने सरकार जाने से पहले ही अपना सरकारी बंगला नंबर 382 ए खाली कर दिया था. बताया जा रहा है कि कल्ला को किसी ज्योतिषी ने यह सलाह दी कि अगर उन्हें विधानसभा का चुनाव जीतना है तो सरकारी बंगला खाली कर अपने निजी आवास में जाना पड़ेगा. यह सलाह मानकर कल्ला ने बंगला खाली भी कर दिया, लेकिन वो चुनाव फिर भी नहीं जीत पाए. हालांकि, बंगला खाली करने के पीछे कल्ला यह हवाला देते रहे कि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से यह बंगला खाली किया है.
राजस्थान में विधायकों को सरकारी आवास का आवंटन विधानसभा सचिवालय और मुख्यमंत्री और मंत्रियों को आवास आवंटन सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से किया जाता है. सरकार अपनी इच्छा से किसी भी सरकारी बंगले को विधानसभा पूल में शामिल कर सकती है. पूल में शामिल होने के बाद उस बंगले का आवंटन विधानसभा सचिवालय कर सकता है. किसी बंगले के आवंटन को लेकर शिकायत या विरोध होता है तो उसे विधानसभा पूल में डालकर आवंटन कर दिया जाता है. राजस्थान में विधानसभा पूल की आड़ में कई विधायक भी सिविल लाइंस के बड़े बंगलों में अपना डेरा जमाए रहते हैं. पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री पद से हटने के बाद भी गोविंद सिंह डोटासरा, रघु शर्मा और हरीश चौधरी सरकारी बंगलों में रहते रहे. दरअसल, इनको ये बंगले विधानसभा पूल की आड़ में दिए गए थे.
दो माह से चल रही है बंगलों की अदला-बदली
राजस्थान में नई सरकार के गठन के बाद मंत्रियों व विधायकों में बंगलों की अदला-बदली का खेल चल रहा है. अब तक 10 मंत्रियों को पहले आवंटित बंगलों की जगह दूसरे बंगले आवंटित किए जा चुके हैं. शिक्षामंत्री मदन दिलावर को पहले बंगला नंबर 380 आवंटित किया गया था जिसकी जगह उन्हें अब सिविल लाइंस का बंगला नंबर 385 दिया गया है और बाद में इसे बदलकर 18 नंबर बंगला आवंटित कर दिया गया.
जनजाति विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी को पहले बंगला नंबर 383 ए आवंटित हुआ था जिसकी जगह अब उन्हें 380 नंबर बंगला दिया गया है. इसी तरह जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत को बंगला नंबर 385 ए की जगह 50, भूजल मंत्री कन्हैयालाल चौधरी को बंगला नंबर 18 ए की जगह बंगला नंबर 31 गांधी नगर, नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा को बंगला नंबर 18 की जगह भगत सिंह मार्ग स्थित बंगला नंबर बी – 3 आवंटित किया गया है.
राजस्व मंत्री विजय सिंह को अस्पताल रोड स्थित बंगला नंबर 3 की जगह सिविल लाइंस का बंगला नंबर 383 ए दिया गया और बाद में इसे बदलकर बंगला नंबर 385 दे दिया गया. कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा को पहले सिविल लाइंस का बंगला नंबर 18 मिला था जिसके स्थान पर अब उन्हें भैरोंसिंह शेखावत के परिवार का बंगला नंबर 14 दिया गया है. राजस्व मंत्री हेमंत मीणा को बंगला नंबर बी-2 की जगह 382 ए मिला है.