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उत्तर प्रदेश : मुलायम और लालू के दामादों की चुनावी जंग! कौन फतेह करेगा करहल का किला?

करहल विधानसभा सीट पर हो रहे हाई प्रोफाइल उपचुनाव में सपा ने तेज प्रताप यादव तो भाजपा ने अनुजेश यादव पर लगाया दांव. यह पहला मौका है जब भाजपा ने मुलायम सिंह यादव परिवार के किसी सदस्य को सीधे तौर पर चुनावी राजनीति में उतारा है

तेज प्रताप यादव (बाएं), अनुजेश प्रताप यादव (दाएं)
तेज प्रताप यादव (बाएं), अनुजेश प्रताप यादव (दाएं)
अपडेटेड 2 नवंबर , 2024

इटावा जिले से मैनपुरी को जाने वाले हाइवे पर 25 किलोमीटर की दूरी पर समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का पैतृक गांव सैफई पड़ता है. हाइवे पर पांच किलोमीटर आगे चलने पर सैफई की सीमा से सटे जैन इंटर कॉलेज, करहल से मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट की सीमा शुरू होती है. 

ऐसा माना जाता है कि करहल का नाम कभी यहां पाए जाने वाले औषधीय गुणों से युक्त करहर वृक्ष के नाम पर पड़ा था जिसे मेनफल या मदनफल भी कहा जाता है. कालांतर में करहर का अपभ्रंश करहल हो गया और इसी नाम से मैनपुरी जिले का यह इलाका पहचाना जाने लगा. साल 1955 में मुलायम सिंह यादव ने जैन इंटर कॉलेज में कक्षा 9 में प्रवेश लिया था. बाद में 1963 में इसी कालेज में उन्होंने सहायक अध्यापक के रूप में नौकरी शुरू की. 

साल 1974 में मुलायम राजनीतिक शास्त्र विभाग के प्रवक्ता बने. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में पहली बार करहल विधानसभा सीट से उनके परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में उतरा था. समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 31 जनवरी, 2022 को करहल विधानसभा सीट से नामांकन करने से पहले जैन इंटर कॉलेज पहुंचकर शि‍क्षकों का आशीर्वाद लिया था. 

शिक्षकों से आशीर्वाद लेने की यह परंपरा तेज प्रताप यादव ने भी निभाई. अखि‍लेश यादव के कन्नौज से सांसद निर्वाचित हो जाने के बाद खाली हुई करहल विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में मुलायम सिंह यादव के पोते और अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव सपा उम्मीदवार हैं. तेजप्रताप यादव साल 2014 के लोकसभा उपचुनाव में मैनपुरी से सांसद भी चुने गए थे. तेज प्रताप राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं. उनकी शादी लालू यादव की सबसे छोटी बेटी राजलक्ष्मी से हुई है.

करहल विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को वोटिंग होनी है. यहां पहली बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुलायम सिंह यादव परिवार के किसी सदस्य को सीधे तौर पर चुनावी मैदान में उतारा है. पार्टी ने करहल सीट से अनुजेश यादव को उम्मीदवार बनाया है जो मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई अभय राम यादव की बेटी संध्या यादव के पति हैं. अनुजेश, फिरोजाबाद जिले के भरौल गांव के रहने वाले हैं. ये गांव मैनपुरी बॉर्डर से सटा है.

अनुजेश की पत्नी और आजमगढ़ से सपा सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव की एक पहचान यह भी है कि वे मुलायम परिवार की पहली बेटी हैं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा था. संध्या साल 2015 से 2020 तक मैनपुरी से जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं. इसी दरम्यान अनुजेश फिरोजाबाद में जिला पंचायत सदस्य रहे. मैनपुरी जिले में साल 2007 तक पांच विधानसभा थीं. इनमें से एक घिरोर विधानसभा भी थी. साल 2009 से पहले हुए परिसीमन में घिरोर सीट समाप्त हो गई और इसका एक बड़ा हिस्सा करहल विधानसभा क्षेत्र से जोड़ दिया गया. कुछ हिस्सा सिरसागंज विधानसभा क्षेत्र में चला गया. 

अनुजेश यादव के ताऊ जगमोहन सिंह लोकदल के टिकट पर साल 1985 में घिरोर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे. साल 1989 के विधानसभा चुनाव में जगमोहन सिंह जनता दल से विधायक बने. अनुजेश की मां उर्मिला यादव घिरोर विधानसभा से सपा के टिकट पर 1993 और 1996 में विधायक चुनी गई थीं. इस तरह अनुजेश के परिवार की इस इलाके में अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है.

स्थानीय राजनीति में होड़ के चलते अनुजेश की मुलायम सिंह यादव परिवार से दूरियां बढ़ गई थीं. अनुजेश की पत्नी संध्या यादव साल 2015 में मैनपुरी की जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गईं थीं. दो साल बाद 2017 में सपा का एक स्थानीय गुट संध्या यादव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया. संकट के वक्त संध्या को भाजपा का सहयोग मिला और उन्होंने अपनी कुर्सी बचा ली थी. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अनुजेश भाजपा में शामिल हो गए. बाद में उनकी पत्नी संध्या यादव ने भी भगवा चोला ओढ़ लिया. 

24 मार्च, 2019 को धर्मेंद्र यादव के नाम से सोशल मीडिया पर एक पत्र वायरल हुआ था. इसमें लिखा था, “जो कोई भी भाजपा में शामिल होता है, वो मेरा रिश्तेदार नहीं हो सकता.” यहीं से सपा के साथ अनुजेश के रिश्तों में खटास बढ़ गई थी. साल 2021 में पंचायत चुनाव हुए तो संध्या को भाजपा ने मैनपुरी जिला पंचायत सदस्य के लिए उम्मीदवार बनाया. हालांकि, वे यह चुनाव हार गईं. 

अब करहल विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में अनुजेश यादव पर भाजपा उम्मीदवार के रूप में 17 साल से जारी भगवा दल की जीत के सूखे को समाप्त करने की न केवल जिम्मेदारी है बल्क‍ि 22 साल पहले इस क्षेत्र उनके परिवार का राजनीति में जो वर्चस्व था उसका वापस लाने की भी जिम्मेदारी है. 

मैनपुरी के सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश शाक्य बताते हैं, “मुलायम सिंह‍ यादव के राजनीतिक कौशल ने  करहल विधानसभा सीट को समाजवादी पार्टी का सबसे मजबूत गढ़ बना दिया था.” साल 1992 में सपा के गठन के बाद मुलायम की पार्टी 1993 के विधानसभा चुनाव में पहली बार उत्तरी थी. इस चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने तीन बार के विधायक बाबूराम यादव को करहल सीट से प्रत्याशी बनाया था. 

बाबूराम यादव जीतकर विधायक बने. साल 1996 के चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की. साल 2002 में समाजवादी पार्टी ने उनके बेटे अनिल यादव को प्रत्याशी बनाया. भाजपा ने उनके सामने मुलायम सिंह यादव के धुर विरोधी रहे दर्शन सिंह यादव के भाई सोबरन सिंह यादव को उतारा. सोबरन सिंह यादव 925 मतों के बारीक अंतर से जीत हासिल करने में सफल रहे. दिनेश शाक्य बताते हैं “चुनाव हारने के बाद मुलायम ने भाजपा की ताकत बढ़ने से रोकने की रणनीति बनाई. सोबरन सिंह के परिवार की एक शादी समारोह में मुलायम सिंह यादव शामिल हुए और लंबे समय से चली आ रही अदावत को दूर कर दिया. इसके बाद सोबरन सिंह भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए. सपा ने उन्हें साल 2007, 2012 और 2017 में करहल से प्रत्याशी बनाया और तीनों चुनावों में जीत हासिल की.” साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सोबरन सिंह यादव के अनुरोध पर ही अखिलेश यादव ने करहल से विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया था. 

राजनीतिक विशेषज्ञों के आकलन के अनुसार करहल विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा सवा लाख यादव मतदाता हैं. दूसरे नंबर पर शाक्य मतदाता आते हैं जिनकी संख्या 40 हजार के आसपास मानी जाती है. क्षत्र‍िय और जाटव मतदाताओं की संख्या 30-30 हजार के करीब है. पाल-धनगर मतदाता 25-25 हजार के आसपास हैं. कठेरिया और लोधी मतदाताओं की तादाद 18-18 हजार के करीब बैठती है तो ब्राह्मण और मुसलमान मतदाता 15-15 हजार हैं. 

सपा को यादव मतदाताओं की एकजुटता पर भरोसा है तो भाजपा इसमें सेंधमारी की आस लगाए हुए है. लखनऊ में बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के प्रोफेसर और यूपी की जातिगत राजनीति पर शोध करने वाले सुशील पांडेय बताते हैं, “करहल विधानसभा सीट पर अनुजेश यादव को टिकट देकर भाजपा साल 2002 के चुनाव जैसा करिश्मा दोहराना चाहती है लेकिन तब भाजपा उम्मीवार के सामने मुलायम सिंह यादव परिवार का कोई सदस्य नहीं था. इस बार तेज प्रताप सपा उम्मीदवार हैं जो मुलायम सिंह यादव के लिए मैनपुरी लोकसभा सीट का चुनावी प्रबंधन देखते थे और बाद में खुद भी सांसद बने. इसके बाद वे डिंपल यादव के लिए भी मैनपुरी लोकसभा सीट पर सफलता पूर्वक चुनावी प्रबंधन कर चुके हैं.” 

राजनीतिक विश्लेषकों को लगता है कि अनुजेश भाजपा उम्मीदवार के रूप में यादव मतों में जितनी सेंधमारी करने में कामयाब होगे तेज प्रताप के सामने उनकी चुनौती उतनी ही मजबूत हो पाएगी. अनुजेश के लिए एक राहत भरी बात यह भी है कि योगी सरकार में पर्यटन विभाग के कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह भी भाजपा को चुनावी जंग में बढ़त दिलाने के लिए पसीना बहा रहे हैं. जयवीर सिंह की अनुजेश के परिवार से राजनीतिक अदावत भी रही है. जयवीर सिंह ने बसपा के टिकट पर साल 2002 में अनुजेश की मां तत्कालीन सपा प्रत्याशी उर्मिला यादव और साल 2007 में स्वयं अनुजेश यादव को सपा उम्मीदवार के रूप में घिरोर विधानसभा सीट से पराजित किया था. 

करहल विधानसभा सीट पर साइकिल को तेजी से दौड़ाने के‍ लिए सपा का फिलहाल सबसे ज्यादा जोर करहल विधानसभा क्षेत्र में आने वाले घिरोर और बरनाहल ब्लॉक पर है. जब घिरोर विधानसभा सीट हुआ करती थी तो यहां से भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव की मां दो बार विधायक रही हैं. सपा ने पूर्व ए‌मएलसी और पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल कश्यप को घिरोर ब्लाक का जिम्मा दिया है. 

साथ ही पार्टी ने पूर्व एमएलसी लीलावती कुशवाहा को बरनाहल ब्लॉक में सक्रिय किया है. वहीं मैनपुरी ब्लाक में पूर्व एमएलसी राजेश यादव राजू को लगाया गया है. तीनों नेता अपने सजातीय मतदाताओं को जोड़ने के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में रात्र‍ि प्रवास कर रहे हैं. करहल विधानसभा सीट में शाक्य मतदाताओं के बीच समर्थन बटोरने के लिए एटा के सपा सांसद देवेश शाक्य लगातार क्षेत्र में नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं.

इनके अलावा पार्टी ने सांसद बाबू सिंह कुशवाहा, फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से सपा प्रत्याशी रहे नवल किशोर शाक्य को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है. यादव के साथ अन्य पिछड़ी जातियों को साथ लेकर बनाए जा रहे सपा के चक्रव्यूह को अनुजेश यादव कितना भेद पाते हैं? उसी से करहल विधानसभा सीट पर भाजपा का भविष्य तय होगा. 

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