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दिल्ली चुनाव: 2% कम मतदान का क्या मतलब; BJP को फायदा मिलेगा या AAP को?

दिल्ली विधानसभा के पिछले 3 चुनावों के मुकाबले इस बार कम वोटिंग हुई है

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कम वोटिंग से BJP या AAP को फायदा?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कम वोटिंग से BJP या AAP को फायदा?
अपडेटेड 7 फ़रवरी , 2025

दिल्ली में पिछले 31 सालों में 9 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. इनमें विधानसभा चुनाव 2025 भी शामिल है. इस बार के चुनाव को छोड़ दें तो पिछले 8 बार के विधानसभा चुनाव में सिर्फ दो बार सरकार बदली है.

एक खास बात यह है कि दो में से एक बार वोटिंग प्रतिशत घटने और एक बार वोटिंग प्रतिशत बढ़ने से दिल्ली में सरकार बदली है. 1998 में पिछली विधानसभा की तुलना में 12 फीसद कम वोटिंग हुई थी.

तब दिल्ली में बीजेपी की सरकार बदली थी और शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी. इसी तरह 2013 में नई पार्टी AAP के बनने के बाद दिल्ली में 8 फीसद वोटिंग बढ़ी तो 15 साल बाद कांग्रेस सरकार सत्ता से बेदखल हो गई.

कांग्रेस को इस चुनाव में 35 सीटों का नुकसान हुआ और सिर्फ 8 सीटों पर जीत मिलीं. केजरीवाल के नेतृत्व में AAP और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनी.

इस बार दिल्ली में पिछली विधानसभा चुनाव की तुलना में करीब 2% कम वोटिंग हुई है. लेकिन, क्या इस बार दिल्ली में सरकार बदलेगी और कम वोटिंग से आखिर किस पार्टी को कितना फायदा हो सकता है?

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दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए बुधवार को वोटिंग हुई. इस बार 60.44% मतदान हुआ है. सबसे ज्यादा 66.25% वोटिंग नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में और सबसे कम 56.31% वोटिंग साउथ-ईस्ट दिल्ली में हुई. चौंकाने वाली बात तो ये है कि भाजपा सांसद मनोज तिवारी के संसदीय क्षेत्र में ही पिछले 12 सालों में यह सबसे कम वोटिंग हुई है.

दिल्ली विधानसभा के पिछले 3 चुनावों के मुकाबले इस बार कम वोटिंग हुई है. साल 2013 में 65.63% वोटिंग हुई थी. 2015 में 67.12% और 2020 में 62.59% वोटिंग हुई थी.  तीनों बार दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी. इस बार 60.44% वोटिंग हुई है, जो पिछली बार से करीब 2% कम है.

वहीं, अगर लोकसभा चुनाव 2024 में हुई 58.69% वोटिंग से तुलना करें तो इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में 1.73% ज्यादा वोटिंग हुई है. हालांकि फाइनल आंकड़ा अभी जारी होना बाकी है.

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8 चुनाव में अब तक 2 बार वोटर टर्नआउट घटा, सिर्फ एक बार बदली सरकार

1993 से लेकर 2020 के बीच दिल्ली में 8 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. इनमें 6 बार वोटर टर्नआउट बढ़ा है और 2 बार घटा है. कम वोटर टर्नआउट से 1998 में BJP को नुकसान हुआ था और बीजेपी की सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी. 2020 में वोटिंग टर्नआउट घटने से सत्ताधारी पार्टी आप को सिर्फ 5 सीटों को नुकसान हुआ. दिल्ली में बीते 8 विधानसभा चुनावों में 6 बार ज्यादा टर्नआउट रहा, लेकिन सरकार सिर्फ एक बार 2013 में बदली थी.

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केजरीवाल जहां से चुनाव लड़ रहे, वहां वोटिंग टर्नआउट बढ़ा

दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. ये सीट नई दिल्ली जिले में आता है. ये पूरे दिल्ली प्रदेश में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के अलावा दूसरा ऐसा जिला है, जहां 2020 विधानसभा चुनाव के मुकाबले ज्यादा वोटिंग हुई है. इस बार नई दिल्ली जिला में 57.13% वोटिंग हुई है, जो पिछली बार यहां हुई 56.24% वोटिंग से करीब 0.89% ज्यादा है.

अगर सीट वाइज देखें तो मुस्तफाबाद में सबसे अधिक 69 प्रतिशत मतदान हुआ. सीलमपुर 68.7 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर रहा, जबकि सीमापुरी आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र में 65.3 प्रतिशत वोट पड़े. वहीं, दूसरी ओर, महरौली में सबसे कम 53 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि मॉडल टाउन में 53.4 प्रतिशत मतदान हुआ.

2025 में वोटर टर्नआउट घटने से AAP को नुकसान या फायदा होगा?

पॉलिटिकल एक्सपर्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं, “अगर दिल्ली का वोटिंग टर्नआउट फाइनल है तो इसका मतलब है कि दिल्ली में पिछली बार से करीब 2.5 फीसद कम वोटिंग हुई. मेरा मानना है कि लोग कम घर से वोट करने निकले मतलब सरकार से नाराजगी कम है. या फिर विपक्षी दलों को जिताने के लिए लोगों में उत्साह नहीं है. हालांकि, 1998 में 12% कम वोटिंग के बावजूद सरकार बदली, लेकिन ये अपवाद था. चुनाव आयोग, राजनीतिक दल, NGO के प्रयास के बावजूद अगर वोटिंग कम हुई, मतलब लोगों में विपक्ष को जिताने के लिए उत्साह कम है.”

अमिताभ के मुताबिक गुजरात इसका सबसे अच्छा उदाहरण है कि वहां दो बार से कम वोटिंग हुई है और बीजेपी सत्ता में बनी हुई है. पिछले लोकसभा चुनाव में नेशनल वोटिंग एवरेज करीब 65.7 फीसद है. अगर किसी राज्य में इससे ज्यादा या इतना वोटिंग टर्नआउट रहा तो मतलब है कि लोगों का गुस्सा वोट में बदला है. सरकार बदल सकती है. दिल्ली की बात करें तो 2020 विधानसभा चुनाव में नेशनल एवरेज से कम करीब 62% वोटिंग हुई थी. इस बार इससे भी कम हुआ यानी ये AAP के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है.

पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई का भी कहना है कि कम वोटिंग टर्नआउट का सीधा मतलब है कि लोगों में केजरीवाल के खिलाफ गुस्सा कम है. आमतौर पर माना जाता है कि मुस्लिम और गरीब ज्यादा वोटिंग के लिए घर से निकलते हैं. हालांकि, इस बार पिछली बार से कम मुस्लिम घर से वोटिंग के लिए निकले हैं. इसके बावजूद बाकी सीटों की तुलना में यहां ज्यादा वोटिंग हुई है. ऐसे में कहीं ऐसा तो नहीं है कि मिडिल क्लास और अपर क्लास वोटिंग के लिए घरों से कम निकले. अगर ऐसा हुआ तो भी AAP को ज्यादा फायदा होता दिख रहा है. 

पॉलिटिकल सर्वे एजेंसी सी-वोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख के मुताबिक पिछले विधानसभा चुनाव के रिजल्ट को देखें तो दिल्ली में कम या ज्यादा मतदान के आधार पर जीत सत्ता पक्ष या विपक्ष की होगी, ये कह पाना मुश्किल है. इसकी वजह ये है कि इस बार के चुनाव को छोड़कर बीते 8 बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 6 बार वोटिंग टर्नआउट बढ़ा लेकिन सरकार सिर्फ एक बार बदली है.

दिसंबर 2023 से अब तक 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं. इन 11 में से सिर्फ 5 राज्यों, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में सरकार बदली है. जबकि 6 राज्यों में जनता ने सत्ता के पक्ष में वोट किया है. ऐसे में पिछले चुनाव की तुलना में मतदान प्रतिशत की जांच करके कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता.

नवंबर 2023 से अब तक हुए चुनाव में जम्मू कश्मीर को शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि आर्टिकल 370 हटने के कई साल बाद यहां पहली बार चुनाव हुआ था.
नवंबर 2023 से अब तक हुए चुनाव में जम्मू कश्मीर को शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि आर्टिकल 370 हटने के कई साल बाद यहां पहली बार च

अमिताभ तिवारी के मुताबिक अभी ये भी बता पाना मुश्किल है कि इस बार कौन सी पार्टी का वोटर मतदान के लिए निकला और कौन सी पार्टी का नहीं निकला, इसे पता करने का कोई पैमाना भी नहीं है.

विपक्षी नेताओं का कहना है कि AAP के वोटर उत्साहित नहीं हैं, इसलिए मतदान के लिए कम निकल रहे हैं. AAP कह रही है कि टर्नआउट कम होने के पीछे वजह है कि विपक्ष का वोटर मतदान के लिए नहीं निकल रहा है.

8 तारीख को अगर BJP चुनाव जीत गई तो इसका मतलब है कि AAP का वोटर नहीं निकला. यह एक तरह कि नैरेटिव की लड़ाई है. चुनाव के परिणाम आने के बाद ही ऐसी चीजें स्पष्ट हो पाएगीं.

वोटर टर्नआउट कम होने से किस पार्टी को फायदा या नुकसान हो सकता है?

सी-वोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख के मुताबिक 5 फरवरी 2025 को मतदान के दिन कम वोटिंग टर्नआउट तीन वजहों से चौंकाने वाला है…

1. झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके अच्छी वोटिंग, फिर क्यों कम टर्नआउट: गरीब मतदाता मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग के मतदाताओं की तुलना में बहुत अधिक संख्या में मतदान केंद्रों पर पहुंचे हैं. पॉश इलाकों की तुलना में झुग्गी-झोपड़ियों और उसके आसपास के इलाकों में AAP का कैडर बीजेपी से ज्यादा मजबूत है.सी-वोटर के ट्रैकर और सर्वे से पता चलता है कि AAP को गरीब मतदाताओं के बीच भाजपा पर काफी बढ़त हासिल है.

2. RSS ने बीजेपी समर्थकों को बूथ तक पहुंचाया, फिर भी क्यों कम रहा वोटिंग टर्नआउट: दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आम लोगों और बीजेपी समर्थकों को मतदान केंद्रों तक ले जाने के लिए काफी मेहनत की है. इसके बावजूद बीजेपी जिस दक्षिणी दिल्ली में मजबूत स्थिति में है, वहां कम वोटिंग होना हैरानी की बात है. हालांकि, इससे बीजेपी को फायदा जरूर मिल सकता है. इसलिए AAP की बढ़त इतनी बड़ी नहीं है कि निर्णायक साबित हो सके.

3. मुस्लिम इलाकों में इस बार कम वोटिंग हुई: मुस्लिम वोट, जिसकी बड़ी आबादी पर आप को उम्मीद है. पिछली बार से इनकी कम वोटिंग हुई है. भाजपा के लिए अच्छी खबर यह है कि बाहरी, मध्य और यमुना पार दिल्ली में उच्च जाति के मतदाताओं ने 58 से 62 प्रतिशत तक मतदान किया है, जो दर्शाता है कि बीजेपी समर्थक मिडिल क्लास ने इस बार इन इलाके में घर से निकलकर मतदान किया है. दिलचस्प बात ये भी है कि पूर्वांचली मतदाता, जिन्होंने 2015 और 2020 में AAP को बहुत पसंद किया था. इस बार ऐसे संकेत हैं कि उनका वोट बंट सकता है.

ग्राफिक्स:नीलिमा सचान

दिल्ली विधानसभा चुनाव से जुड़ी डेटा स्टोरी सीरीज में पढ़िए इंडिया टुडे की इंडेप्थ स्टोरी...

1. दिल्ली चुनाव : क्या पूर्वांचली तय करेंगे हार-जीत? 2020 में AAP को मिले थे BJP से 15 फीसद ज्यादा वोट!

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फरवरी की 8 तारीख को दिल्ली विधानसभा चुनाव का नतीजा आना है. चुनाव परिणाम के बाद जीत चाहे जिस भी दल की हो, लेकिन पूर्वांचली वोटर निर्णायक भूमिका निभाने जा रहे हैं. पूरी स्टोरी यहां क्लिक कर पढ़ें

2. दिल्ली विधानसभा चुनाव : सिर्फ 6% वोट घटे तो कैसे खतरे में आ जाएगी AAP सरकार?

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3. दिल्ली चुनाव : आंकड़ों में AAP को बीजेपी पर बढ़त, लेकिन नैरेटिव में कांटे की टक्कर!

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