बिहार, जो कभी प्राचीन भारत में शिक्षा का स्वर्णिम केंद्र हुआ करता था, अब अपने गौरवशाली इतिहास को फिर से जीवंत करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवन देने के बाद अब राज्य और केंद्र सरकार की नजरें विक्रमशिला विश्वविद्यालय पर टिकी हैं.
बिहार सरकार ने हाल ही में भागलपुर जिले में कहलगांव के पास अंतिचक गांव में इस प्रस्तावित केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए 202.14 एकड़ जमीन की पहचान की है. इस प्रोजेक्ट के डिजाइन में शिक्षा, पर्यटन, संस्कृति और आर्थिक विकास जैसे कई आयाम शामिल हैं.
क्या है विक्रमशिला का इतिहास?
विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना 8वीं शताब्दी के अंत में पाल वंश के शासक धर्मपाल ने की थी. यह विश्वविद्यालय नालंदा के जैसे ही प्रतिष्ठित था और अपने समय में बौद्ध शिक्षा का प्रमुख केंद्र माना जाता था. अपने समय के सबसे शानदार विश्वविद्यालयों में से एक विक्रमशिला के छात्र और भिक्षु तंत्रयान का अभ्यास करते थे, जो हीनयान और महायान के बाद भारतीय बौद्ध धर्म के तीन महान वाहनों में से अंतिम था.
जहां नालंदा विश्वविद्यालय की ख्याति गुप्त काल (320-550 ई.) से 12वीं शताब्दी तक थी, वहीं विक्रमशिला पाल काल (8वीं से 12वीं शताब्दी) के दौरान फला-फूला. नालंदा विश्वविद्यालय को अलग-अलग विषयों को पढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक प्रसिद्धि मिली, वहीं विक्रमशिला एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय था जो तांत्रिक और गुप्त अध्ययनों में विशेषज्ञता रखता था. यह विश्वविद्यालय नालंदा के प्रशासनिक कार्यों को भी संभालता था.
गंगा नदी के तट पर बसा विक्रमशिला भागलपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर था. इस विश्वविद्यालय से कई प्रख्यात विद्वान निकले. इनमें से एक अतिसा दीपांकर भी थे, जिन्होंने तिब्बत में बौद्ध धर्म की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
विक्रमशिला विश्वविद्यालय लगभग चार शताब्दियों तक समृद्ध रहा, फिर 13वीं शताब्दी के आसपास नालंदा के साथ लुप्त हो गया. इसके लिए जहां इतिहासकारों का एक तबका हिंदू धर्म के उदय और बौद्ध धर्म के पतन को वजह मानता है तो वहीं लोकप्रिय इतिहास में बख्तियार खिलजी के आक्रमण पर दोनों विश्वविद्यालयों को नष्ट करने का आरोप लगाया जाता है.
कैसे बनेगा नया विक्रमशिला?
साल 2014 में नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से शुरू करने के बाद 2024 में इसका औपचारिक उद्घाटन हुआ. अब विक्रमशिला के लिए भी ऐसा ही प्रयास शुरू हो चुका है और पुरातन स्थल से 3 किमी से भी कम दूरी पर, अंतीचक गांव में एक नए विश्वविद्यालय का विचार आकार ले रहा है.
बिहार सरकार ने पिछले साल जुलाई में कैबिनेट की बैठक में इसके लिए 87 करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत की, जो भूमि अधिग्रहण के लिए इस्तेमाल होगी. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने घोषणा की कि अगले पांच सालों में विक्रमशिला को फिर से स्थापित कर दिया जाएगा.
उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, "एनएच-80 (विक्रमशिला को भागलपुर से जोड़ने वाला नेशनल हाईवे जो 50 किलोमीटर दूर है) का निर्माण और मरम्मत का काम चल रहा है. वह समय दूर नहीं जब नए नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय आपस में सहयोग करेंगे, ठीक वैसे ही जैसे प्राचीन काल में करते थे."
हालांकि केंद्र ने 2015 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी और 500 करोड़ रुपये मंजूर किए थे, लेकिन राज्य सरकार प्रोजेक्ट के लिए उपयुक्त भूमि की पहचान करने में असमर्थ रही, इसलिए अब तक इस पर ज्यादा काम नहीं हो सका.
24 फरवरी को भागलपुर में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, "विक्रमशिला विश्वविद्यालय दुनिया के लिए ज्ञान का केंद्र था. हमने पहले ही प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के गौरव को नए नालंदा विश्वविद्यालय के साथ मिला दिया है. नालंदा के बाद, विक्रमशिला की बारी है क्योंकि हम एक केंद्रीय विश्वविद्यालय खोल रहे हैं."
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने हाल ही में संसद में कहा था कि प्राचीन विक्रमशिला के पास एक नया केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की योजना पर काम चल रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर अप्रैल-मई 2025 तक इसका शिलान्यास होने की संभावना है. इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है और निविदा प्रक्रिया भी जल्दी शुरू की जाएगी.
भागलपुर के जिला मजिस्ट्रेट नवल किशोर चौधरी ने मीडिया को बताया, "जिला प्रशासन ने प्राचीन विक्रमशिला स्थल से तीन किलोमीटर दूर 202.14 एकड़ जमीन की पहचान की है. इसमें से 27 एकड़ जमीन राज्य सरकार की है, लेकिन उस पर कुछ परिवारों का कब्जा है."
नए विक्रमशिला विश्वविद्यालय को आधुनिक शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना है. यहां स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू होंगे, जिनमें पारंपरिक विषयों के साथ-साथ तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा पर विशेष जोर होगा. अंतरराष्ट्रीय सहयोग से विदेशी छात्रों को आकर्षित करने की योजना भी है, जैसा कि नालंदा विश्वविद्यालय के साथ किया गया.
जिलाधिकारी नवल चौधरी के अनुसार, विश्वविद्यालय का ढांचा अत्याधुनिक होगा, जिसमें डिजिटल पुस्तकालय, प्रयोगशालाएं और छात्रावास जैसी सुविधाएं शामिल होंगी.
पर्यटन, सांस्कृतिक महत्व और रोजगार
विक्रमशिला का फिर से शुरू होना केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, यह पर्यटन और संस्कृति के क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव ला सकता है. प्राचीन विक्रमशिला के खंडहर पहले से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं. एएसआई द्वारा संरक्षित इस स्थल को देखने हर साल हजारों देशी-विदेशी सैलानी आते हैं. नए विश्वविद्यालय के निर्माण से इस क्षेत्र में पर्यटन के और बेहतर होने की संभावना है.
बिहार सरकार के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा. होटल, परिवहन और गाइड सेवाओं की मांग बढ़ेगी. साथ ही यह प्राचीन बौद्ध धरोहर को संरक्षित करने में भी मददगार होगा.
विक्रमशिला विश्वविद्यालय का निर्माण भागलपुर और आसपास के क्षेत्रों के आर्थिक विकास में योगदान देगा. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की मानें तो भागलपुर को बिहार की आर्थिक राजधानी बनाने की योजना है. इसके लिए उद्योगों और बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है. विश्वविद्यालय के साथ-साथ क्षेत्र में एनटीपीसी और बिजली परियोजनाओं की स्थापना भी प्रस्तावित है. इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सुधार होगा.