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जापान: हर साल 2000 झटके, यहां क्यों आते हैं इतने ज्यादा भूकंप?

जापान में साल की पहली तारीख यानी एक जनवरी को 24 घंटों के भीतर भूकंप के 155 झटके महसूस किए गए

Japan earthquake
जापान में भूकंप (फोटो: Reuters)
अपडेटेड 2 जनवरी , 2024

जापान में साल की पहली तारीख यानी एक जनवरी को भूंकप के भयानक झटकों ने तबाही मचा दी. 7.6 तीव्रता वाले भूकंप और उसके बाद आई सुनामी में कम से कम 48 लोगों की मौत हो गई. करीब 30,000 घरों की बिजली चली गई और हजारों घरों को नुकसान पहुंचा.

24 घंटे में ही देश में भूकंप के 155 झटके महसूस किए गए, लेकिन ये सिर्फ एक दिन की घटना नहीं है. जापान में भूकंप, सूनामी और ज्वालामुखी विस्फोट की घटनाएं किसी भी देश की तुलना में सबसे ज्यादा देखने को मिलती हैं. 

आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में, रिक्टर स्केल पर 6 या इससे ज्यादा की तीव्रता वाले भूकंप में से 20% केवल जापान में आते हैं. जापान हर साल करीब 2000 बार भूकंप के झटके महसूस करता है. इसके अलावा यहां हर साल कम से कम एक बार सूनामी भी देखने को मिलती है. 

जापान में भूकंप ज्यादा क्यों?

जापान में बड़े पैमाने के भूकंप बार-बार आने के लिए इसकी भोगौलिक स्थिति जिम्मेदार है. यह एक आइलैंड देश है, जो प्रशांत महासागर में चारों तरफ से पानी से घिरा है, लेकिन इससे ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि जापान 'पेसिफिक रिंग ऑफ फायर' का हिस्सा है. 'रिंग ऑफ फायर' एक ऐसी आकृति है, जो घोड़े के नाल जैसी दिखती है (नीचे फोटो में देख सकते हैं). इसे उन बिंदुओं का समूह भी कह सकते हैं जो सबसे ज्यादा भूकंप और सूनामी की मार झेलते हैं.

'पेसिफिक रिंग ऑफ फायर'


लाइव साइंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के ज्यादातर भूकंप और सूनामी इसी 'रिंग ऑफ फायर' के अंदर आते हैं. इसका कारण ये है कि इसके चारों तरफ अलग-अलग महाद्वीपीय प्लेट हैं और बीच में प्रशांत महासागर के रूप में बहुत सारा पानी. इसमें यूरेशियन प्लेट (यूरोप+एशियन प्लेट), इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट, उत्तरी अमेरिकन प्लेट और दक्षिणी अमेरिकन प्लेट है. इन प्लेटों में हलचल होती रहती है. जब ये प्लेट सबडक्शन जोन (वो क्षेत्र जहां एक टेक्टोनिक प्लेट दूसरे के नीचे खिसकती है) में एक दूसरे से टकराती हैं तो भूकंप पैदा होता है. 

जापान इन्हीं भोगौलिक क्रियाओं के चलते भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है, लेकिन पेसिफिक रिंग और फायर में जापान अकेले नहीं है. इसमें इंडोनेशिया, फिलीपींस, चिली, पेरू और मेक्सिको समेत 15 देश हैं.

दुनिया के नक्शे में जापान


सूनामी के पीछे क्या कारण है?

सूनामी जापानी शब्द "tsu" (बंदरगाह) और "नामी" (लहर) से बना है. ये भी भूकंप का ही परिणाम है. जब समुद्र की सतह में भूकंप आता है तो बड़ी मात्रा में पानी अपनी जगह से विस्थापित होता है. जैसे-जैसे विस्थापित पानी तट की तरफ बढ़ता है तो उस पर दबाव भी बढ़ता जाता है और जितना दबाव बढ़ता है पानी की लहरें उसी हिसाब से ऊपर उठने लगती हैं, जिससे सूनामी का खतरा पैदा होता है. दुनिया भर में आने वाली हर 5 में से 4 सूनामी प्रशांत महासागर में आती है और खासकर उन देशों में जो "प्रशांत रिंग ऑफ फायर" की सीमा पर हैं.

कैसे खुद को तैयार करता है जापान?

जापान प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से संवेदनशील देश जरूर है, लेकिन इसने अपनी तैयारी भी उसी लिहाज से की है. यहां सरकार हर साल हजारों करोड़ रुपये डिजास्टर रिस्क मैनेजमेंट के लिए खर्च करती है. 2021 में जापान ने आपदा प्रबंधन के लिए 1.1 ट्रिलियन जापानी येन (करीब 6 ट्रिलियन/खरब रुपये) खर्च किए. यहां जब कोई भूकंप आने वाला होता है तो एक सेकंड के दसवें हिस्से के भी कम समये में लोगों के मोबाइल पर अलर्ट आ जाता है. इसके अलावा जापान में आपातकालीन सुविधाओं और राहत शिविर का निर्माण किया गया है. इमारतों को भी इस तरह तैयार किया जाता है कि भूकंप का उन पर कम से कम असर हो. बावजूद इन सबके हर साल सैंकड़ो लोगों की प्राकृतिक आपदाओं में मौत हो जाती है. 2021 में जापान में 186 लोग ऐसे थे जिनकी प्राकृतिक आपदाओं में मौत हो गई या लापता हो गए.

रेस्कयू में तकनीक का प्रयोग. (फोटो: रॉक गैराज वाया जापान डॉट ओआरजी)

आपदाओं से लड़ने में जापान ने अब ड्रोन को भी तैनात कर दिया है. "थर्ड आई ड्रोन सिस्टम" थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग के जरिए आपदा में फंसे हुए लोगों का आसानी से पता लगा लिया जाता है. ये जानकारी बचाव दले को भेजी जाती है फिर व्यक्ति का रेस्क्यू होता है.

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