अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लगाने के बाद भारत की ज्यादातर कंपनियां ‘वेट एंड वॉच’ के मोड में है. कोई भी नया फैसला लेने से पहले ये कंपनियां टैरिफ के असर को परखना चाहती है.
शुरुआती रूझानों से तो लगता है कि देश में शॉर्ट टर्म में नौकरियों के अवसर कम हो सकते हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म में देखें तो कई क्षेत्रों में नौकरियों के नए अवसर खुल सकते हैं.
विभिन्न कंपनियों के लिए भर्ती प्रक्रिया से जुड़ी वेबसाइट ‘रिक्रूटरफ्लो’ के सह-संस्थापक अमृतांशु आनंद कहते हैं, "टैरिफ की वजह से अनिश्चितता की स्थिति पैदा हुई है, जिसके कारण कंपनियां शॉर्ट टर्म में भर्ती प्रक्रिया को रोक सकती हैं.”
वहीं, रिक्रूटमेंट प्रोसेस से जुड़ी एक और कंपनी ‘एक्सफेनो’ के सह-संस्थापक कमल कारंत कहते हैं, “पिछले 3-4 हफ्तों से नई भर्तियों में मंदी साफ-साफ देखी जा रही है. हालांकि, वित्तीय वर्ष की शुरुआत में भर्ती में सामान्य रूप से कमी आती है, क्योंकि कंपनियां मैनपावर प्लानिंग को लेकर फिर से विचार करती हैं. हालांकि, कारोबारी माहौल में अनिश्चितता के कारण कुछ कंपनियों ने फिलहाल भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा रखी है."
कारंत बताते हैं कि इस समय कंपनियों में व्हाइट-कॉलर पदों पर (मैनेजर और सलाहकार स्तर के पद) 70 हजार से 80 हजार कम नौकरियां हैं. फरवरी में इन पदों पर औसतन 3,10,000 नौकरियों के मौके थे, जो अब घटकर 2.20 लाख से 2.40 लाख रह गए हैं. हालांकि सभी क्षेत्र की नौकरियों में ऐसा नहीं है, लेकिन यह परिस्थिति मंदी या इकोनॉमिक स्लोडाउन की ओर इशारा जरूर करती है.
कारंत ने आगे कहा कि कोई कंपनी पहले से जिस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है, उसे जारी रखने के लिए वह जरूरत के हिसाब से अलग-अलग पदों पर नियुक्तियां करेंगी. हालांकि, नई नियुक्तियों की संख्या में गिरावट जरूर आने की संभावना है.
रिक्रूटमेंट और स्टाफिंग फर्म सीआईईएल एचआर के प्रबंध निदेशक और सीईओ आदित्य नारायण मिश्रा कहते हैं, "टैरिफ की वजह से इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, ऑटो और ज्वैलरी जैसे उद्योगों पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की संभावना है. दरअसल ये निर्यात और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भर हैं. काफी हद तक संभावना है कि इन क्षेत्रों की कंपनियां नए निवेश करने से बचेगी या योजनाओं के विस्तार में देरी करेगी.”
'रिक्रूटरफ्लो' के सह-संस्थापक अमृतांशु आनंद कहते हैं कि लंबी अवधि में मांग कम नहीं होगी. बाजार नए रास्ते और तरीके खोज लेगा क्योंकि उत्पादन धीरे-धीरे कम टैरिफ वाले देशों में स्थानांतरित होगा और फिर दोबारा से बाजार में संतुलन स्थापित हो जाएगा.
वे आगे यह भी बताते हैं कि पूरी दुनिया में सप्लाई चेन प्रभावित होने की वजह से अभी भर्ती रुकी हुई है, लेकिन जैसे ही सबकुछ सही होगा आने वाले समय में एक फिर से भर्ती प्रक्रिया में तेजी आने की संभावना है.
वहीं, सीआईईएल एचआर के प्रबंध निदेशक आदित्य नारायण मिश्रा का मानना है कि अमेरिका ने वियतनाम, बांग्लादेश, चीन, ताइवान और इंडोनेशिया जैसे निर्यात करने वाले देशों पर भारी टैरिफ लगाया है. ऐसे में भारत वैश्विक खरीदारों के लिए एक वैकल्पिक गंतव्य के रूप में उभरा है. अगर भारतीय फर्म इस नई परिस्थिति का लाभ उठाने के लिए तेजी से आगे बढ़ने में सक्षम हैं, तो इससे निकट भविष्य में निर्यात-आधारित विनिर्माण के क्षेत्र में नई नौकरियां पैदा होने की संभावना है.