नवंबर की 25 तारीख को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति यानी CCEA ने आयकर विभाग के PAN2.0 प्रोजेक्ट को मंजूरी दी. कुल 1,435 करोड़ रुपये की इस परियोजना का उद्देश्य सभी परमानेंट अकाउंट नंबर या पैन कार्ड संबंधी सेवाओं को एक ही पोर्टल के तहत लाना है और पैन कार्ड को व्यवसायों के लिए एक 'कॉमन आइडेंटिफायर' बनाना है.
कॉमन आइडेंटिफायर या साझा पहचानकर्ता दरअसल, एक यूनीक डेटा होता है जिसका इस्तेमाल विभिन्न डेटासेटों में आंकड़ों को लिंक करने के लिए किया जाता है. केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत मौजूदा पैन सिस्टम को अपग्रेड किया जाएगा और इसकी आईटी प्रणाली को दुरुस्त किया जाएगा.
सरकार ने ऐलान किया है कि पैन के लिए एक नया प्लेटफॉर्म अगले साल तक शुरू कर दिया जाएगा, हालांकि इसके लॉन्च होने की अभी तक कोई तारीख नहीं बताई गई है. ऐसे में आइए समझते हैं कि आयकर विभाग को PAN2.0 परियोजना पेश करने की जरूरत क्यों पड़ी, और इससे यूजर्स को क्या फायदा होगा?
क्या होता है PAN?
असल में पैन आयकर (आईटी) विभाग द्वारा भारतीय करदाताओं को जारी किया जाने वाला एक यूनिक 10 डिजिट अल्फान्यूमेरिक नंबर है. इसी यूनीक पैन के आधार पर आईटी विभाग किसी व्यक्ति के सभी कर-संबंधी लेन-देन और जानकारी को रिकॉर्ड करता है. इससे टैक्स अधिकारी को सभी कर-संबंधी गतिविधियों को विभाग से लिंक करने में भी मदद मिलती है.
पैन मुख्य रूप से सभी निजी लेनदेन के लिए एक डेटाबेस के रूप में काम करता है. निजी लेनदेन में टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह)/टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) क्रेडिट, आयकर भुगतान, उपहार/निवेश/संपत्ति पर रिटर्न आदि शामिल हैं. सीधे शब्दों में कहें तो पैन ही आईटी विभाग को किसी व्यक्ति के कर-संबंधी लेनदेन की पहचान करने में सक्षम बनाता है, और आवंटित होने के बाद हमेशा वही रहता है.
आईटी विभाग किसी व्यक्ति का एक फिजिकल कार्ड पर पैन कार्ड जारी करता है. इस कार्ड में धारक की पैन संख्या, फोटो, नाम और जन्म तिथि जैसी जानकारी शामिल होती है. आईटी विभाग ने सभी कर-संबंधी लेन-देन पर इनकम टैक्स रिटर्न में पैन का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया है. जब लेन-देन पर नजर रखने और किसी व्यक्ति के पैसे के आने-जाने की निगरानी की बात आती है, तो पैन एक जरूरी दस्तावेज होता है.
PAN 2.0 प्रोजेक्ट की जरूरत क्यों पड़ी?
पैन जहां आईटी विभाग को कर भुगतान, टीडीएस/टीसीएस क्रेडिट और इनकम टैक्स रिटर्न जैसे लेन-देन को विभाग के साथ जोड़ने में सक्षम बनाता है, वहीं एक TAN नंबर भी होता है. TAN यानी टैक्स डिडक्शन एंड कलेक्शन अकाउंट नंबर. TAN भी आईटी विभाग द्वारा जारी किया गया 10 अंकों का एक अल्फान्यूमेरिक नंबर होता है. जिन लोगों का सोर्स पर टैक्स डिडक्शन या कलेक्शन होता है, उन्हें यह नंबर हासिल करना होता है.
इसके अलावा लोगों को TDS/TCS रिटर्न, किसी भी TDS/TCS पेमेंट चालान और TDS/TCS सर्टिफिकेट में TAN का जिक्र करना अनिवार्य है. जाहिर है कि लोगों को अलग-अलग पहचान नंबर की जरूरत पड़ती है. यही वजह है कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि PAN2.0 प्रोजेक्ट के तहत मौजूदा पैन सिस्टम को अपग्रेड किया जाएगा और इसकी आईटी प्रणाली को दुरुस्त किया जाएगा.
उन्होंने कहा, "उद्योग जगत की ओर से एक 'कॉमन बिजनेस आइडेंटिफायर' की मांग बार-बार की जाती रही है. वे कहते थे कि उन्हें अलग-अलग (पहचान) नंबर नहीं चाहिए, एक ही नंबर फायदेमंद होगा. इस प्रोजेक्ट में पैन को कॉमन बिजनेस आइडेंटिफायर बनाने का प्रयास किया जाएगा. सभी पैन/टैन/टिन को इस व्यवस्था के तहत शामिल किया जाएगा."
क्या है PAN 2.0 प्रोजेक्ट की खासियत?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य ऑनलाइन सत्यापन सेवा के जरिए वित्तीय संस्थानों, सरकारी एजेंसियों और केंद्र और राज्य सरकार के विभागों सहित पैन डेटा का इस्तेमाल करने वाली सभी संस्थाओं के लिए "अनिवार्य पैन डेटा वॉल्ट सिस्टम" स्थापित करना है. वैष्णव ने कहा, "पैन से संबंधित जानकारी का इस्तेमाल कई संस्थाएं जैसे बैंक, बीमा कंपनियां करती हैं. इसलिए जो संस्थाएं पैन का विवरण लेती हैं, उन्हें डेटा वॉल्ट सिस्टम के माध्यम से अनिवार्य रूप से पैन डेटा सुरक्षित रखना होगा."
अभी तक कुल 78 करोड़ पैन कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें 98 फीसद निजी हैं. वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि "जिन पैन धारकों के पास बिना क्यूआर कोड वाला पुराना पैन कार्ड है, उनके पास क्यूआर कोड वाले नए कार्ड के लिए आवेदन करने का विकल्प है. PAN2.0 में आवेदन ऑनलाइन (पेपरलेस) जमा किए जाएंगे." साथ ही, PAN2.0 डुप्लिकेट पैन को खत्म करने और एक व्यक्ति के पास एक से ज्यादा पैन रखने की घटनाओं को कम करने में मदद करेगा.
PAN2.0 में एक अहम अपग्रेड नए कार्ड पर डायनेमिक क्यूआर कोड की शुरूआत है, जो मौजूदा कार्ड पर स्टैटिक क्यूआर कोड की जगह लेगा. डायनेमिक क्यूआर को बनाने या प्रिंट करने के बाद भी अपडेट किया जा सकता है, जबकि एक स्टैटिक क्यूआर कोड में निश्चित जानकारी होती है और उसे बदला नहीं जा सकता.
डायनेमिक क्यूआर कोड की सुविधा आवेदक के विवरण का तुरंत सत्यापन करने में सक्षम बनाएगी, जिससे नियोक्ताओं (एंप्लॉयर्स) और वित्तीय संस्थानों के लिए बैकग्राउंड की जांच करना आसान हो जाएगा. डायनेमिक क्यूआर कोड आवेदक की फोटो, हस्ताक्षर, नाम, माता-पिता का नाम और जन्म तिथि जैसी जानकारी प्रदर्शित करेगा.
यूजर्स के लिए कैसे फायदेमंद?
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, PAN2.0 के तहत यूजर्स एक ही पोर्टल से पैन के लिए आवेदन कर सकेंगे, अपना विवरण अपडेट कर सकेंगे, गलतियों को ठीक कर सकेंगे, आधार-पैन लिंक कर सकेंगे, उन्हें दोबारा जारी करने का अनुरोध कर सकेंगे और यहां तक कि पैन को मान्य भी कर सकेंगे. इसके अलावा, इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य पैन से संबंधित अपडेट को पूरी तरह से डिजिटल और पेपरलेस बनाना है, जिससे दस्तावेजों को सत्यापन के लिए भौतिक रूप से भेजने की बाध्यता खत्म हो जाएगी.
यह प्रोजेक्ट सुरक्षा भी बढ़ाएगी और यूजर्स के सवालों और मुद्दों के समाधान के लिए एक समर्पित कॉल सेंटर और हेल्पडेस्क स्थापित करेगी. मौजूदा समय में पैन-संबंधी सेवाएं तीन प्लेटफार्मों से संचालित या वितरित की जाती हैं. पहला - ई-फाइलिंग पोर्टल, इसका इस्तेमाल आयकर संबंधी सेवाओं के लिए किया जाता है. दूसरा - यूटीआईआईटीएसएल पोर्टल, जहां पैन कार्ड के लिए आवेदन किए जाते हैं. और तीसरा - प्रोटीन ई-गवर्नेंस पोर्टल, इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल भुगतान और पैन कार्ड सत्यापन के लिए किया जाता है.
इस तरह, पैन 2.0 प्रोजेक्ट के तहत इन सभी पैन-संबंधित पोर्टल को एक सिंगल, यूजर-फ्रेंडली प्लेटफॉर्म में एकीकृत किया जाएगा, जिससे यह करदाताओं के लिए अधिक उपयोगी हो जाएगा.
मौजूदा पैन धारकों को चिंता करने की जरूरत नहीं
PAN2.0 प्रोजेक्ट से मौजूदा धारकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि उनके मौजूदा पैन कार्ड PAN2.0 के तहत वैध रहेंगे. सरकार ने जो बारंबार पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) जारी किए हैं, उसके मुताबिक मौजूदा पैन धारकों को नए कार्ड के लिए अनिवार्य रूप से आवेदन करने की जरूरत नहीं है, लेकिन वे अपने पैन को मुफ्त में अपग्रेड कर सकते हैं.
अपग्रेड करने पर उनका पैन नंबर वही रहेगा. पैन का आवंटन या अपडेट या सुधार मुफ्त में किया जाएगा और पंजीकृत ईमेल आईडी पर ई-पैन भेजा जाएगा. अगर किसी आवेदक को भौतिक पैन कार्ड चाहिए तो उसे 50 रुपये के शुल्क के साथ अनुरोध करना होगा. भारत के बाहर कार्ड की डिलेवरी के लिए अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा.