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आखिर क्या वजह है कि इंडियन आर्ट के मुरीद बीते 25 सालों में कई गुना बढ़ गए?

देश की सबसे बड़ी कला प्रदर्शनी इंडिया आर्ट फेयर के हाल ही में संपन्न 16वें एडीशन में रिकॉर्ड संख्या में एग्जीबिटर्स ने भाग लिया, जिनमें कुछ आर्ट गैलरियों ने पहले दिन ही अपने स्टॉल का 90 फीसद हिस्सा बेच दिया

अमृता शेरगिल की पेंटिंग 'द स्टोरी टेलर' (फाइल फोटो)
अमृता शेरगिल की पेंटिंग 'द स्टोरी टेलर' (फाइल फोटो)
अपडेटेड 10 अप्रैल , 2025

करीब दो साल पहले यानी 2023 में भारत के एक प्रमुख ऑक्शन हाउस 'सैफ्रॉनआर्ट' ने अमृता शेरगिल की एक पेंटिंग नीलाम की. पेंटिंग का नाम था - द स्टोरी टेलर. इस नीलामी की चर्चा इसलिए ज्यादा हुई, क्योंकि इसे तब 61.80 करोड़ रुपये में बेचा गया, जो इसकी अनुमानित कीमत 28-38 करोड़ रुपये से कहीं ज्यादा था.

'द स्टोरी टेलर' ने तब आधुनिक भारतीय कला के लिए एक शानदार रिकॉर्ड कायम किया. लेकिन यह रिकॉर्ड ज्यादा दिन तक टिका नहीं. इसी साल मार्च में क्रिस्टी ने मकबूल फिदा हुसैन की अनटाइटल्ड (ग्राम यात्रा) को करीब 119 करोड़ रुपये में बेचा, जो अब तक बेची गई सबसे महंगी आधुनिक भारतीय पेंटिंग बन गई है.

पिछले साल अप्रैल में एक ऑनलाइन ऑक्शन हाउस 'अस्तगुरु' ने अनीश कपूर की स्टेनलेस स्टील और रेजिन मूर्ति को 9.61 करोड़ रुपये में बेचा, जो इसके 5 करोड़ रुपये के अनुमान से लगभग दोगुना था.

स्टेनलेस स्टील और रेजिन मूर्तिकला अनीश कपूर द्वारा
स्टेनलेस स्टील और रेजिन मूर्तिकला अनीश कपूर द्वारा

देश की सबसे बड़ी कला प्रदर्शनी इंडिया आर्ट फेयर के हाल ही में संपन्न 16वें एडीशन में रिकॉर्ड संख्या में 120 प्रदर्शकों (एग्जीबिटर्स) ने भाग लिया, जिनमें वढेरा आर्ट जैसी गैलरियों ने पहले दिन ही अपने स्टॉल का 90 फीसद हिस्सा बेच दिया. इनकी कीमतें 2,500 डॉलर से लेकर 300,000 डॉलर (दो लाख से ढाई करोड़ रुपये) तक थीं, जिनमें सुधीर पटवर्धन, अतुल डोडिया, शिल्पा गुप्ता और विवान सुंदरम की कलाकृतियां शामिल थीं.

ग्रांट थॉर्नटन भारत और इंडियन आर्ट इन्वेस्टर की 'स्टेट ऑफ द इंडियन आर्ट मार्केट रिपोर्ट FY23' के मुताबिक, ऑक्शन में इंडियन आर्ट मार्केट का मूल्य 2023 में $144 मिलियन (1,253 करोड़ रुपये) से अधिक था.

DAG (पहले दिल्ली आर्ट गैलरी था) के सीईओ और प्रबंध निदेशक आशीष आनंद के मुताबिक, गैलरी और डीलरों सहित कुल आर्ट मार्केट का आकार लगभग 3,000 करोड़ रुपये है. यह इस सदी की शुरुआत में 15-20 करोड़ रुपये हुआ करता था, इस तरह इंडियन आर्ट मार्केट में यह तीव्र बढ़ोत्तरी है.

आनंद कहते हैं, "तब भारतीय कला बाजार का कुल मूल्य आज की सिर्फ एक पेंटिंग के मूल्य के बराबर था." हुसैन की 'ग्राम यात्रा' की रिकॉर्ड तोड़ बिक्री की बात करते हुए आनंद कहते हैं, "इसने भारतीय कला को विश्व मानचित्र पर ला खड़ा किया है..." वे कहते हैं कि हालांकि पिछले 25 सालों में बाजार में काफी बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन, हम वैश्विक कला बाजार की तुलना में बहुत छोटे हैं जो लगभग 65 बिलियन डॉलर (5.42 लाख करोड़ रुपये) का है.

अस्तगुरु ऑक्शन हाउस के चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर सिद्धनाथ शेट्टी कहते हैं, "लेकिन हम तब बढ़ रहे हैं जब वैश्विक कला बाजार स्थिर हो गया है. हम पिछले साल की तुलना में 2023 में लगभग 11.7 फीसद बढ़े, जबकि वैश्विक कला बाजार स्थिर रहा था. ऐसा केवल इसलिए है क्योंकि मांग और आपूर्ति भारत से आने लगी है."

विकास को बढ़ावा क्या दे रहा है?

इसके पीछे कई वजहें हैं, जिनमें बढ़ती अर्थव्यवस्था, उच्च व्यय योग्य आय, एसेट क्लास के रूप में आर्ट के बारे में बढ़ती जागरूकता और संग्रहकर्ता की बदलती डेमोग्राफी शामिल हैं.

धनी परिवारों की दूसरी और तीसरी पीढ़ी के अलावा युवा उद्यमियों और पेशेवरों की एक पूरी नस्ल है जो अपने संग्रह में आर्ट को जोड़ने के लिए पहुंच और उस पर पैसे खर्च करने की क्षमता रखती है.

वी एस गायतोंडे की एक अनटाइटल्ड कृति
वी एस गायतोंडे की एक अनटाइटल्ड कृति

शेट्टी कहते हैं, "स्वाभाविक रूप से आप ऐसी कला एकत्र करते हैं, जिससे आप पारंपरिक या सांस्कृतिक रूप से जुड़ सकते हैं. और यही कारण है कि भारतीय कला बढ़ रही है, क्योंकि ग्राहक खुद बढ़ रहे हैं." उनका मानना ​​है कि इससे समकालीन कला बाजार को बढ़ने में मदद मिल रही है क्योंकि सुबोध गुप्ता और अतुल डोडिया जैसे कलाकारों को 30 और 40 की उम्र के युवा कलेक्ट कर रहे हैं. वे कहते हैं, "ये संग्रहकर्ता पारंपरिक ढांचे को तोड़ने वाले बोल्ड, नए माध्यमों में रुचि रखते हैं."

सैफ्रॉनआर्ट में करीब 30-40 फीसद ग्राहक 40 साल से कम उम्र के हैं और उनमें से ज्यादातर कंटेपररी आर्ट खरीदते हैं. सैफ्रॉनआर्ट के सीईओ और सह-संस्थापक दिनेश वजीरानी कहते हैं, "यह उनकी एस्थेटिक सेंसिबिलिटी को पूरा करता है और कला बाजार में प्रवेश करने के लिए उनके लिए आसान कीमत पर भी उपलब्ध है."

बेशक, बाजार पर मॉडर्न आर्टिस्टों का दबदबा बना हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक, बाजार का 60 फीसद हिस्सा केवल एम.एफ. हुसैन, एफ.एन. सूजा और एस.एच. रजा की कलाकृतियों का है, जबकि शेष 40 फीसद अन्य सभी का है. आनंद कहते हैं, "हम अन्य आधुनिक कलाकारों की बढ़ती मांग देख रहे हैं और यह तभी और बढ़ेगी जब संग्रहकर्ता महसूस करेंगे कि उनके कामों की कीमत में काफी अंतर है."

एम.एफ.हुसैन द्वारा बनाई गई पेंटिंग
एम.एफ.हुसैन द्वारा बनाई गई पेंटिंग

दिल्ली स्थित धूमिमल गैलरी के उदय जैन का मानना ​​है कि इन दिनों गैलरी संचालक प्रोग्रेसिव समूह से परे आधुनिक कलाकारों को भी बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं. वे कहते हैं, "बीसी सान्याल, केएस कुलकर्णी आदि जैसे कई भूले-बिसरे कलाकार हैं, जिन्हें अब मॉडर्न गैलरी द्वारा उनका हक दिया जा रहा है."

जैन का मानना ​​है कि एक श्रेणी जिस पर संग्रहकर्ताओं को ध्यान देना चाहिए, वह है 1990 के दशक के मध्य से लेकर 2000 के दशक के मध्य तक के समकालीन कलाकार जो अब लगभग आधुनिक श्रेणी में आ चुके हैं जैसे अतुल डोडिया, चित्तोवानु मजूमदार, जीआर इरन्ना, जितिश कल्लत आदि. 2007-08 की वित्तीय मंदी के दौरान उनके कामों की कीमतें काफी गिर गई थीं, लेकिन उसके बाद से कीमतों में उछाल आया है.

सैफ्रॉनआर्ट और अस्तगुरु जैसे ऑक्शन हाउस ने भी कलाकृति खरीदना आसान बना दिया है, जिससे यह अधिक पहुंच में हो गया है क्योंकि अब संग्रहकर्ता न केवल महानगरों से बल्कि अहमदाबाद, अमृतसर, वडोदरा आदि जैसे टियर-2 शहरों से भी आ रहे हैं.

वजीरानी कहते हैं, "पिछले 25 सालों में तकनीक की भूमिका ने कला को डेमोक्रेटिक बना दिया है. आप देश में कहीं भी रहकर अपनी पसंद की कलाकृति के लिए बोली लगा सकते हैं, जिससे यह और भी सुलभ हो गया है."

उनका मानना ​​है कि सोशल मीडिया ने भी कला को लोकतांत्रिक बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है. वजीरानी के ही शब्दों में, "इसने वास्तव में गैलरियों, डीलरों और ऑक्शन हाउस को अपने कामों को बाजार में उतारने में मदद की है. आप कलाकारों से सीधे बातचीत भी कर सकते हैं और उनके काम के बारे में ज्यादा जान सकते हैं. यह एक बड़ी मदद है."

अगर आप पहली बार कोई आर्ट संग्रह करना चाहते हैं, तो वजीरानी धैर्य रखने की सलाह देते हैं. वे कहते हैं, "जल्दबाजी न करें. कलाकार के इतिहास को समझें और जानें कि कोई पेंटिंग अच्छी या महत्वपूर्ण क्यों है. कला उस समय कलाकार के इर्द-गिर्द की संस्कृति, समाज, राजनीति का प्रतिबिंब होती है - यह लगभग इतिहास का दस्तावेजीकरण है. इसलिए, उस इतिहास को समझना, यह पता लगाना कि आपको सौंदर्य की दृष्टि से क्या आकर्षित करता है और निवेश पक्ष को संतुलित करने वाला क्या है, बहुत अहम है. देखें, सीखें और धैर्य रखें."

यह वाकई एक ऐसे बाजार के लिए बुद्धिमानी भरी सलाह है जो अवसर के अनुरूप आगे बढ़ने के लिए तैयार है.

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