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ट्रंप के टैरिफ की मार भारतीय दवा कंपनियों पर, लेकिन चोट अमेरिकियों पर भी!

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब तक दवाओं पर टैरिफ का ऐलान नहीं किया था लेकिन अब उन्होंने इसका भी इशारा दे दिया है

ट्रंप ने दवाओं पर भी टैरिफ लगाने की चेतावनी दी
ट्रंप ने दवाओं पर भी टैरिफ लगाने की चेतावनी दी
अपडेटेड 9 अप्रैल , 2025

अप्रैल के पहले हफ्ते में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई दूसरे देशों के साथ भारतीय सामानों के आयात पर 26 फीसद पारस्परिक टैरिफ लगाया था. हालांकि, फार्मास्यूटिकल्स यानी दवाओं को इससे बाहर रखा था, जिससे भारत ने राहत की सांस ली थी.

हालांकि, यह खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाई क्योंकि ट्रंप ने 9 अप्रैल को ऐलान किया है कि हम जल्द ही दवाइयों पर भारी टैरिफ लगाने जा रहे हैं. ट्रंप ने कहा कि उनका मकसद घरेलू दवा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है.

ट्रंप ने अपनी पार्टी के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, "हम जल्दी ही फार्मास्यूटिकल्स पर एक बड़ा टैरिफ लगाने की घोषणा करने जा रहे हैं... हालांकि एक बार जब हम ऐसा करेंगे, तो वे हमारे देश में वापस आ जाएंगे, क्योंकि हम उनके लिए बड़ा बाजार हैं."

घरेलू दवा उत्पादन की कमी पर चिंता जताते हुए ट्रंप ने कहा कि प्रस्तावित टैरिफ से दवा कंपनियों को अपना परिचालन अमेरिका में स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. उन्होंने आगे कहा, "हम चाहते हैं कि ये कंपनियां अपने उत्पाद यहीं, अमेरिका में बनाएं, न कि चीन या कहीं दूसरी जगहों पर बनाएं.”

टैरिफ का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

प्रस्तावित टैरिफ का असर न केवल भारत बल्कि अमेरिकी नागरिकों पर भी पड़ेगा. लेकिन, सबसे पहले फार्मास्यूटिकल्स के कारोबार को समझते हैं. भारत एक फार्मास्युटिकल हब है और जेनेरिक दवाओं का दुनिया में सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. वैश्विक बाजारों में भारत की 20 फीसदी हिस्सेदारी है.

2023-24 वित्तीय वर्ष में अमेरिका को भारत का दवा और फार्मास्युटिकल निर्यात यानी एक्सपोर्ट करीब 970 करोड़ डॉलर था. अमेरिका जेनेरिक दवाओं के लिए भारत पर काफी निर्भर है और लगभग 45 फीसदी दवाओं का आयात भारत से करता है. यह कोई दबी-छिपी बात नहीं है कि शीर्ष भारतीय फार्मा कंपनयां अमेरिका को दवा निर्यात करके अपने मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा कमाती हैं.

अनुमान के अनुसार, भारतीय फार्मा कंपनियों का 50 फीसद से अधिक कारोबार अमेरिका में है. जाहिर है कि ऐसे में टैरिफ से भारतीय फार्मा कंपनियों को कड़ी चोट लगने की आशंका है, लेकिन इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी असर पड़ेगा. इससे जेनेरिक दवाओं की कीमतें बढ़ जाएंगी. भारतीय फर्मों के लिए इसका मतलब है उत्पादन लागत में वृद्धि और अन्य देशों के प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में उनकी मूल्य प्रतिस्पर्धा में कमी.

एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर अमेरिका में आयातित सभी दवाओं पर टैरिफ लगाया जाता है, तो कम कीमत वाली जेनेरिक दवाओं की कीमत प्रति गोली 0.12 डॉलर तक बढ़ जाएगी. इसका मतलब है कि हर साल करीब 42 डॉलर (3,700 रुपये) की अतिरिक्त लागत आएगी. नतीजतन अमेरिका में कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं सहित महंगी दवाओं की कीमत में 10,000 डॉलर तक की बढ़ोतरी हो सकती है.

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