रविवार 9 जून को नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल के शपथग्रहण से कुछ देर पहले एक खबर आई. इसमें एनसीपी (अजित पवार गुट) के नेता प्रफुल्ल पटेल केंद्रीय राज्यमंत्री का पद स्वीकार करने से मना कर रहे थे. इसके बजाय वे कैबिनेट मंत्री पद की मांग कर रहे थे. उनका कहना था कि वे भारत सरकार में (यूपीए सरकार के समय) पहले कैबिनेट मंत्री का पद संभाल चुके हैं, ऐसे में उनके लिए राज्यमंत्री का पद स्वीकार करना मुश्किल है.
पटेल के मुताबिक, केंद्रीय राज्यमंत्री का पद लेना उनके लिए डिमोशन (पदावनति) या कद घटाने जैसा है. बहरहाल, नरेंद्र मोदी 3.0 सरकार में प्रधानमंत्री मोदी समेत 72 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली है. इनमें 30 कैबिनेट मंत्री, पांच राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 36 नेताओं ने राज्य मंत्री की शपथ ली है. यहां अब एक सवाल ये उठता है कि इन तीनों में क्या अंतर होता है? और इन तीनों को बाकी सांसदों से क्या अलग भत्ता मिलता है?
दरअसल, हमारे संविधान के अनुच्छेद 74 के तहत यह व्यवस्था है कि राष्ट्रपति की सहायता और उसे सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद् या मंत्रिमंडल का गठन किया जाएगा. इसका अगला अनुच्छेद यानी 75 कहता है कि प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर की जाएगी. अब इस मंत्रिमंडल में तीन तरह के मंत्री होते हैं - कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री.
इस मंत्रिमंडल में सबसे ताकतवर कैबिनेट मंत्री होता है. उसके बाद राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और फिर राज्य मंत्री होता है. यहां सवाल उठ सकता है ऐसा क्यों? दरअसल, कैबिनेट मंत्री सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं. ये केंद्र सरकार के महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों जैसे-गृह, रक्षा, वित्त, विदेश मामलों आदि के प्रमुख होते हैं. इन्हें जो भी मंत्रालय दिया जाता है, उसकी पूरी जिम्मेदारी उनकी ही होती है. कैबिनेट मंत्री को एक से ज्यादा मंत्रालय भी दिए जा सकते हैं. इनका कैबिनेट बैठकों में शामिल होना जरूरी होता है. सरकार अपने सभी फैसले कैबिनेट बैठक में ही लेती है.
अब आते हैं राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पर. ये भी सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं लेकिन कैबिनेट मंत्रियों की तरह ये कैबिनेट की बैठकों में हिस्सा नहीं लेते. वास्तव में ये कैबिनेट मंत्री के बाद स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री होते हैं. इनके पास अपना मंत्रालय होता है और ये राज्य मंत्रियों की तरह कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट नहीं करते. इसे ऐसे समझिए कि इन्हें या तो मंत्रालयों/विभागों का स्वतंत्र प्रभार दिया जा सकता है या कैबिनेट मंत्रियों से संबद्ध किया जा सकता है.
इस श्रेणी में इन दोनों से कम ताकतवर राज्य मंत्री होते हैं. दरअसल कैबिनेट मंत्री की मदद के लिए राज्य मंत्री बनाए जाते हैं. इनकी रिपोर्टिंग कैबिनेट मंत्री को होती है. एक मंत्रालय में एक से ज्यादा भी राज्य मंत्री बनाए जा सकते हैं. कैबिनेट मंत्री की गैरमौजूदगी में मंत्रालय की सारी जिम्मेदारी राज्य मंत्री की होती है. राज्य मंत्री भी कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होते.
इन तीनों में अंतर समझने के बाद अब इनके वेतन और भत्ते भी समझ लेते हैं. वैसे तो लोकसभा के हर सदस्य की सैलरी और भत्ते तय हैं. लेकिन जो सांसद प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री या राज्य मंत्री बनते हैं, उन्हें हर महीने बाकी सांसदों की तुलना में एक अलग से भत्ता भी मिलता है. आजतक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, सांसदों को मिलने वाली सैलरी और भत्ते सैलरी एक्ट के तहत तय होती है. इसके मुताबिक, लोकसभा के हर सदस्य को हर महीने 1 लाख रुपये की बेसिक सैलरी मिलती है.
इसके साथ ही 70 हजार रुपये निर्वाचन भत्ता और 60 हजार रुपये ऑफिस खर्च के लिए अलग से मिलते हैं. इसके अलावा जब संसद का सत्र चलता है तो दो हजार रुपये का डेली अलाउंस भी मिलता है. प्रधानमंत्री और मंत्रियों को हर महीने सत्कार भत्ता भी मिलता है. प्रधानमंत्री को 3 हजार रुपये, कैबिनेट मंत्री को 2 हजार, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को 1 हजार और राज्य मंत्री को 600 रुपये का सत्कार भत्ता हर महीने मिलता है. ये पैसे मंत्रियों से मिलने आने वाले लोगों की आवभगत पर खर्चा होता है.
इसे ऐसे समझिए कि एक लोकसभा सांसद को सैलरी और भत्ते मिलाकर हर महीने कुल 2.30 लाख रुपये मिलते हैं. जबकि, प्रधानमंत्री को 2.33 लाख, कैबिनेट मंत्री को 2.32 लाख, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को 2.31 लाख और राज्य मंत्री को 2,30,600 रुपये मिलते हैं. अगर टैक्स की बात करें तो चाहे सांसद हो या प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति, सभी को इनकम टैक्स देना पड़ता है. नियमों के मुताबिक, लोकसभा-राज्यसभा के सांसद, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति सिर्फ सैलरी पर ही टैक्स भरते हैं. बाकी जो अलग से भत्ते मिलते हैं उन पर कोई टैक्स नहीं लगता.