
19 फरवरी 2024 को श्री कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी संभल पहुंचे थे. इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “राम की तरह ही कल्कि को भी भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. जब भगवान राम ने शासन किया, तब वह हजारों साल तक महसूस किया गया. भगवान राम की तरह कल्कि भी हजारों साल तक प्रभाव रखेंगे.”
करीब 9 महीने बाद 19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन ने संभल सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया कि संभल की जामा मस्जिद ही हरिहर मंदिर था. उन्होंने बताया कि उन्हें सपना आया है कि इसी मंदिर में कल्कि भगवान का जन्म होना है. तब से संभल के अलग-अलग जगहों पर खुदाई और सर्वे का काम चल रहा है.
इस स्टोरी में जानते हैं कि आखिर UP का संभल शहर मंदिर-मस्जिद लड़ाई का अखाड़ा कैसे बना और क्या इस विवाद का 2027 विधानसभा चुनाव से कोई कनेक्शन है?
सबसे पहले जानिए संभल मंदिर-मस्जिद विवाद का अखाड़ा कैसे बना?
इस साल नवंबर महीने में नए सिरे से संभल में मस्जिदों और मंदिरों को लेकर विवाद की शुरुआत हुई. तीन 3 मुख्य घटनाओं की वजह से ये विवाद बढ़ता चला गया…
1. मस्जिद की जगह पर ही पहले मंदिर होने का दावा: 19 नवंबर को संभल सिविल कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के वकील ने जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए एक याचिका दायर की. महज 6 घंटे में दलील सुनने के बाद कोर्ट ने मस्जिद के अंदर सर्वे कराने की इजाजत दी. शाम 6 बजते-बजते सर्वे टीम मस्जिद पहुंची और सर्वे का काम पूरा कर लिया गया. इस टीम में जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्ननर भी मौजूद थे.
2. दोबारा सर्वे शुरू होते ही हिंसा: 5 दिन बाद यानी 24 नवंबर को टीम सर्वे के लिए फिर जामा मस्जिद पहुंची. वहां सर्वे के खिलाफ लोगों की भीड़ जमा हो गई. विरोध प्रदर्शन हिंसक होने पर पथराव और गोलीबारी में 5 लोगों की मौत हो गई. इसी के साथ मस्जिद के नीचे मंदिर होने के विवाद में एक नया एपिसोड जुड़ गया. हालांकि, हिंसा होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 जनवरी तक के लिए सर्वे रोकने के आदेश दिए हैं.

3. बिजली चोरी रोकने गए अधिकारियों को मिला मंदिर: 14 दिसंबर को संभल के मुस्लिम बहुल इलाके में बिजली चोरी को लेकर छापेमारी के दौरान बिजली विभाग और पुलिस की टीम को 46 साल से बंद पड़ा एक मंदिर मिला था.
इन तीन घटनाओं के बाद से ही लगातार प्रशासन अलग-अलग जगहों पर सर्वे और खुदाई का काम करा रहा है.
इस तरह आज के समय में UP का ये शहर मस्जिद-मंदिर विवाद का आखाड़ा बन गया है.

नवंबर 2024 के बाद अब तक संभल में खुदाई और सर्वे में क्या-क्या मिला है?
'मृत्यु कूप': संभल में सरथल चौकी के पास ये प्राचीन कूप मिला है, जो शाही जामा मस्जिद से महज 150 मीटर की दूरी पर है. नगर पालिका की टीम ने जामा मस्जिद से इस पुराने 'मृत्यु कूप' की खुदाई शुरू कर दी है. इस कूप को लेकर लोगों की मान्यता है कि पहले के समय में इसके पानी से नहाने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती थी.
रानी की बावड़ी: लक्ष्मणगंज इलाके में 150 साल पुरानी बावड़ी मिली है. इसको लेकर डीएम को एक शिकायती पत्र दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि लक्ष्मण गंज में पहले बिलारी की रानी की बावड़ी थी. यहां खुदाई की गई तो तीन मंजिला रानी की बावड़ी मिली. बीते पांच दिनों से चल रही खुदाई में अभी तक पहली ऊपरी मंजिल ही मिल पाई है.
चंदौसी के रहने वाले अनुज वार्ष्णेय एक इंटरव्यू में बताते हैं, “ये बावड़ी 1857 की बनी है. पुराने राजा-महाराजा अपनी सैनिक टुकड़ी और व्यापारियों को ठहराने के लिए इन बावड़ियों को बनवाते थे. बावड़ी के पीछे राधा कृष्ण मंदिर है. बावड़ी से निकलने वाली सुरंग इसी मंदिर तक जाती है. हमने डीएम से कहा है कि जर्जर पड़े राधा कृष्ण मंदिर का भी जीर्णोद्धार कराया जाए.”

संभल में सर्वे और खुदाई पर क्या बोले UP के सीएम योगी आदित्यनाथ?
सीएम योगी आदित्यनाथ ने शीतकालीन सत्र के दौरान 16 दिसंबर को UP विधानसभा में कहा, “ संभल में 1947 से सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश हुई है. आजादी से अब तक यहां 209 हिंदुओं की मौत सांप्रदायिक हिंसा में हुई है, लेकिन किसी दल ने इस पर कुछ नहीं कहा है.”
जामा मस्जिद सर्वे को लेकर उठ रहे विवाद पर भी सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि न्यायपालिका के आदेश पर सर्वे का काम हो रहा है. ऐसे में विपक्षी दलों को आमलोगों को गुमराह नहीं करना चाहिए.
साथ ही उन्होंने सर्वे का बचाव करते हुए कहा, “बाबरनामा में संभल के उस स्थान पर मंदिर होने की बात कही गई है. पुराणों में भी इसका जिक्र है कि विष्णु के 10वें अवतार का जन्म संभल में होगा. बाबरनामा की मानें तो हरहर मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, लेकिन सूर्य चांद और सत्य को बहुत देर तक छिपा नही सकते.”
बीजेपी नेता और कल्कि धाम के अध्यक्ष आचार्य प्रमोद कृष्ण ने क्या कहा है?
श्री कल्कि धाम निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष आचार्य प्रमोद कृष्णम हैं, जो पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मंदिर के शिलान्यास समारोह का हिस्सा थे. उन्होंने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के साथ बातचीत में दावा किया है, “मोदी जबसे कल्कि धाम आए हैं, तबसे संभल में चमत्कार पे चमत्कार हो रहे हैं. नई-नई खोज हो रही हैं. ऐसा लगता है कि भगवान का अवतार जल्द ही होगा.”
कृष्णम ने आगे कहा कि अब संभल को हक मिलने की बारी है. कल्कि मंदिर का काम मकर संक्रांति यानी 14 जनवरी 2025 के बाद शुरू होगा. दरअसल, पूर्व कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम को मंदिर के मुद्दे पर भाजपा के साथ खुले तौर पर जुड़ने के बाद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था.
क्या संभल मंदिर-मस्जिद विवाद का 2027 विधानसभा चुनाव से कोई कनेक्शन है?
सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट पूर्णिमा त्रिपाठी एक इंटरव्यू में बताती हैं, “संभल के मुद्दे का 2027 विधानसभा चुनाव से सीधा कनेक्शन है. उनके मुताबिक फिलहाल संभल में जो कुछ भी हो रहा है, वह 2027 से पहले थमने वाला नहीं है. 1978 के संभल दंगे का हवाला देकर विधानसभा चुनाव की तैयारी हो रही है. जिस तरह पहले के चुनावों में कैराना मुद्दा बना था, उसी तरह अब आने वाले चुनावों में BJP संभल को मुद्दा बनाएगी.”
पूर्णिमा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने सभी अदालतों को सर्वे के नए आदेश नहीं जारी करने के निर्देश दिए हैं. हालांकि, कोर्ट ने ASI को ऐसा करने से नहीं रोका है. यही वजह है कि इस तरह के सर्वे और उससे जुड़े विवाद फिलहाल जारी रहेंगे.
पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई का मानना है कि संभल की राजनीति में BJP की स्थति काफी अच्छी नहीं है. वे दलील देते हैं, “इस सीट के इतिहास को देखें तो यहां ज्यादातर मौकों पर SP या BSP को संसदीय चुनाव में जीत मिली है. सपा के मुलायम सिंह यादव, रामगोपाल यादव लंबे समय से इस सीट से चुनाव जीतते रहे हैं. अभी भी इस सीट से सपा के ही सांसद हैं. ऐसे में संभल विवाद बढ़ता है तो निश्चित तौर पर इसका लाभ BJP को मिलेगा. इसका असर सिर्फ संभल नहीं बल्कि आसपास के इलाकों में भी 2027 में देखने को मिल सकता है.”
क्या सच में संभल क्षेत्र में BJP की स्थिति कमजोर है?
हां, 2014 के लोकसभा चुनाव को अगर छोड़ दें तो 1977 से अब तक यहां एक बार भी BJP को जीत नहीं मिली है. 2014 में इस सीट से BJP के सत्यपाल सिंह को जीत मिली थी. 1996 से अब तक इस सीट से SP और BSP के उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं.

अगर विधानसभा चुनाव की बात करें तो इसमें भी BJP की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है. 2022 में संभल क्षेत्र की 5 विधानसभा सीटों में से BJP को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली. जबकि 4 पर सपा ने कब्जा जमाया.
चंदौसी सीट से जीतने वाली गुलाब देवी को योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार में मंत्री बनाया. इस पूरे इलाके से एकलौती BJP विधायक को मंत्री बनाकर उन्होंने संकेत देने की कोशिश की है कि संभल उनके लिए राजनीतिक तौर पर कितना अहम है.
संभल में शुरू हुए मंदिर-मस्जिद विवाद का फायदा भी BJP को मिला है. हाल ही में यूपी में 9 विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में BJP को नई ताकत मिली है. BJP ने मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट पर भी जीत हासिल की है. कुंदरकी सीट संभल से लगती है और यहां उपचुनाव संभल में मस्जिद हिंसा के एक दिन बाद हुआ था.