scorecardresearch

भारतीय विदेश नीति के लिहाज से इस बार का BIMSTEC शिखर सम्मेलन क्यों है खास?

थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में छठे BIMSTEC शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे

पीएम मोदी दो दिवसीय यात्रा पर थाईलैंड जा रहे हैं (Photo: Chandradeep Kumar)
पीएम मोदी दो दिवसीय यात्रा पर थाईलैंड जा रहे हैं (Photo: Chandradeep Kumar)
अपडेटेड 2 अप्रैल , 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए 3 अप्रैल को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक जाएंगे. 'बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन' यानी BIMSTEC का छठा शिखर सम्मेलन 4 अप्रैल को बैंकॉक में होने वाला है.

पीएम मोदी की यह यात्रा थाईलैंड की प्रधानमंत्री पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा के निमंत्रण पर हो रही है. पीएम मोदी दो दिन थाईलैंड में रहेंगे. इस शिखर सम्मेलन से पहले 2 अप्रैल को वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक होगी.

अगले दिन 3 अप्रैल को विदेश मंत्रियों की बैठक होगी. इस दौरान, बिम्सटेक नेता सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के उपायों पर चर्चा करेंगे. यह सम्मेलन तीन साल बाद हो रहा है, इससे पहले 30 मार्च, 2022 को कोलंबो में 5वां शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था.

इस बार बिम्सटेक में चर्चा का विषय 'समृद्ध, लचीला और खुला बिम्सटेक' है, जो बंगाल की खाड़ी के आसापास के देशों के बीच गहन क्षेत्रीय एकता और आर्थिक सहयोग के लिए मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

इस बैठक का मुख्य उद्देश्य बंगाल की खाड़ी से सटे देशों के साझा सुरक्षा और विकास संबंधी चुनौतियों के समाधान पर विचार करना है. साथ ही बिम्सटेक के सात सदस्य देशों- बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड के बीच सहयोग को मजबूत बनाना है.

थाइलैंड में होने वाले इस शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें साझा घोषणापत्र जारी किया जाएगा, जो इसके सदस्य देशों के नेताओं के नजरिए और निर्देशों को रेखांकित करेगा.

इसके अलावा ऐतिहासिक ‘बैंकॉक विजन 2030’ के जरिए सभी देश मिलकर आपसी सहयोग से विकास के लिए रणनीतिक रोडमैप तैयार करेंगे. बिम्सटेक के सदस्य देशों के बीच बेहतर क्षेत्रीय संपर्क स्थापित हो सके, इसके लिए सभी देशों के नेता समुद्री परिवहन सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. इसका उद्देश्य बंगाल की खाड़ी में व्यापार और यात्रा का विस्तार करना भी है.

शिखर सम्मेलन में विकासशील देशों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करने के लिए प्रमुख समझौता ज्ञापनों यानी एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, जिनमें बिम्सटेक और हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) के बीच होने वाला समझौता मुख्य है.

इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी) के साथ भी सदस्य देश एक समझौता करेंगे. इसके अलावा, सभी देशों के नेता बिम्सटेक संगठन के संस्थागत ढांचे को मजबूती देने पर भी बात करेंगे. बढ़ती भू-राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं के दौर में छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन से बंगाल की खाड़ी के करीब बसे देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ने की उम्मीद है.

पांच दक्षिण एशियाई और दो दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ, बिम्सटेक बंगाल की खाड़ी के आसपास के क्षेत्रीय मामलों में एक अधिक गतिशील और प्रभावशाली खिलाड़ी बनने के लिए तैयार है.

1997 में स्थापना के बाद से बिम्सटेक के पांच शिखर सम्मेलन आयोजित हुए हैं. ये बैठकें बैंकॉक (2004), नई दिल्ली (2008), म्यांमार के नेपीडॉ (2014), काठमांडू (2018) और कोलंबो (2022) में हुई हैं.

यह संगठन सात प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है: कृषि और खाद्य सुरक्षा, कनेक्टिविटी, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, सदस्य देशों के बीच संपर्क, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, सुरक्षा, व्यापार और निवेश. साथ ही समुद्री अर्थव्यवस्था, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य जैसे मामलों पर भी मिलकर काम करती हैं.

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि आगामी शिखर सम्मेलन से बंगाल की खाड़ी के आसपास के इलाके में बिम्सटेक संगठन को सर्वोच्च नीति निर्धारण करने वाले मंच के रूप में पहचान मिलेगी. इसकी रणनीतिक दिशा को आकार दिया जाएगा. साथ ही यह सुनिश्चित होगा कि यह संगठन बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में आर्थिक विकास, सुरक्षा सहयोग और सतत विकास के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति बना रहे.

भारत, बिम्सटेक के चार संस्थापक सदस्यों में से एक है, जो सुरक्षा, ऊर्जा और आपदा प्रबंधन में क्षेत्रीय सहयोग का नेतृत्व करता है. बिम्सटेक सचिवालय के बजट में करीब 32 फीसद खर्च भारत उठाता है. यह संगठन को चलाने के लिए सबसे ज्यादा आर्थिक मदद करता है. भारत दो बिम्सटेक केंद्रों की मेजबानी करता है, जिनमें एक उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थित बिम्सटेक मौसम और जलवायु केंद्र है. वहीं, दूसरा बेंगलुरु में बिम्सटेक ऊर्जा केंद्र है. सदस्य देश कृषि, आपदा प्रबंधन और समुद्री परिवहन में मिलकर बेहतर कर सकें, इसके लिए भारत ने तीन और केंद्रों का प्रस्ताव दिया है.  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिम्सटेक के पीछे प्रेरक शक्ति रहे हैं, उन्होंने गोवा में बिम्सटेक नेताओं की रिट्रीट (2016) की मेजबानी की थी. इस संगठन की क्षमता को मजबूत करने के लिए 5वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में उन्होंने दस लाख डॉलर के वित्तीय अनुदान की घोषणा की थी.

भारत ने जुलाई 2024 में दूसरे बिम्सटेक विदेश मंत्रियों की रिट्रीट की मेज़बानी की, जिसमें नए केंद्रों को खोलने और अंतरिक्ष सहयोग बढ़ाने का फैसला लिया गया था. इतना ही नहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क में 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में बिम्सटेक विदेश मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक की अध्यक्षता भी की थी.

इस संगठन के जरिए भारत अपने पड़ोसी पहले नीति, एक्ट ईस्ट नीति और सागर क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के दृष्टिकोण से सदस्य देशों के साथ संबंध को मजबूती से आगे बढ़ाता है.  

भारत की प्रतिबद्धता यह सुनिश्चित करती है कि बिम्सटेक एक जीवंत मंच के रूप में विकसित हो, जो साझा, समृद्ध भविष्य के लिए विविध संस्कृतियों और अर्थव्यवस्थाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करे.

Advertisement
Advertisement