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भारतीय रेलवे की IRCTC अब बन गई 'नवरत्न', इससे क्या बदल जाएगा?

भारतीय रेलवे की सातों कंपनियां अब नवरत्न की श्रेणी में आ गई हैं

वन्दे भारत एक्सप्रेस में स्कूल के बच्चों के साथ रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव
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अपडेटेड 6 मार्च , 2025

केंद्र सरकार ने 3 मार्च को इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (आईआरसीटीसी) और इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन (आईआरएफसी) को देश की 25वीं और 26वीं नवरत्न कंपनियों के रूप में अपग्रेड करने की मंजूरी दे दी.

भारतीय रेलवे की दोनो बड़ी कंपनियां अब अधिक स्वायत्तता के साथ वित्तीय निर्णय ले सकेंगी और नौकरशाही बाधाओं के बिना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर सकेंगी.

किसी कंपनी को नवरत्न का दर्जा कब और कैसे मिलता है?

केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली 'रत्न' कंपनियों में तीन श्रेणियां होती हैं - महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न. कंपनियों की प्रॉफिट कमाने की क्षमता, नेट वर्थ, कमाई जैसे मानदंडों के आधार पर इन श्रेणियों में जगह दी जाती है. सरकार ने ये श्रेणियां उन सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (PSE) को मान्यता देने के लिए स्थापित की गई हैं जो असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और जिनमें ग्लोबल लेवल पर बड़ी कंपनी बनने की क्षमता है.

महारत्न - महारत्न भारत में किसी PSE को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है. इस श्रेणी में आने के लिए किसी भी कंपनी को ये मापदंड पूरा करना होता है -

- कम से कम 3 साल के लिए नवरत्न होना चाहिए
- इसका सालाना कारोबार 25,000 करोड़ रुपए तथा पिछले 3 सालों में नेटवर्थ 15,000 करोड़ रुपए होना चाहिए, और
- कंपनी को पिछले तीन सालों में से कम से कम एक साल में टैक्स चुकाने के बाद 5,000 करोड़ रुपए का लाभ होना चाहिए

महारत्न का दर्जा पाने के बाद कंपनी सरकार की मंजूरी के बिना किसी प्रोजेक्ट में 5,000 करोड़ रुपए तक निवेश कर सकती है. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, ONGC, BHEL जैसी कंपनियां महारत्न की श्रेणी में आती हैं.

नवरत्न - नवरत्न का दर्जा मजबूत प्रदर्शन करने वाले PSE को दिया जाता है जो महारत्नों जितने बड़े नहीं होते, लेकिन फिर भी महत्वपूर्ण विकास क्षमता दिखाते हैं. नवरत्न का दर्जा पाने के लिए - 

- कंपनी को 3 सालों के लिए मिनीरत्न होना चाहिए

- इसकी नेटवर्थ 2,000 करोड़ रुपए और सालाना टर्नओवर 1,000 करोड़ रुपए होना चाहिए

नवरत्न कंपनियां (जैसे आईआरसीटीसी) बिना सरकारी मंजूरी के किसी प्रोजेक्ट में 1,000 करोड़ रुपए तक निवेश कर सकती हैं. ऐसा होने से कंपनियों को कोई काम या सुधार करने के लिए बार-बार सरकारी दफ्तरों और बाबुओं के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं.

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (बीईएल), सेल, नाल्को जैसी कंपनियां नवरत्न की श्रेणी में आती हैं.

मिनीरत्न - मिनीरत्न उन PSE को दिया जाता है जिनमें वृद्धि और बिना सरकारी हस्तक्षेप के बेहतर करने की संभावना होती है. मिनीरत्न के अंतर्गत दो श्रेणियां हैं - श्रेणी I और श्रेणी II.

कोई कंपनी तभी मिनीरत्न बन सकती है जब वह एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम या PSE हो जिसकी पिछले 3 सालों से नेटवर्थ और प्रॉफिट पॉजिटिव हो. मिनीरत्न श्रेणी I की कंपनियां 1,000 करोड़ रुपए तक निवेश कर सकती हैं, जबकि श्रेणी II की कंपनियां बिना सरकारी स्वीकृति के 500 करोड़ रुपए तक निवेश कर सकती हैं. हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट (HNPL), पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (PFC) जैसी कंपनियां मिनीरत्न की श्रेणी में आती हैं.

आवेदन करने के लिए, कंपनियां सार्वजनिक उद्यम विभाग को आवेदन भेजती हैं, जो पात्रता का आकलन करता है और अंतिम स्वीकृति के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल को वर्गीकरण की सिफारिश करता है.

नवरत्न का दर्जा प्राप्त करने से किसी कंपनी को क्या मदद मिलती है?

अधिक वित्तीय स्वायत्तता प्राप्त करने से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कंपनी के विस्तार को आसान बनाने और बेहतर बाजार स्थिति हासिल करने तक ऐसी कई सुविधाएं हैं जो नवरत्न कंपनियों को मिलती हैं.

नवरत्न का दर्जा मिलने के बाद आईआरसीटीसी और आईआरएफसी बिना सरकारी मंजूरी के किसी एक प्रोजेक्ट में 1,000 करोड़ रुपए या अपनी कुल संपत्ति का 15% तक निवेश कर सकेंगे. इससे उन्हें वित्तीय रूप से अधिक स्वायत्तता मिलेगी.

इसके साथ ही आईआरसीटीसी और आईआरएफसी संयुक्त उद्यम और सब्सिडियरी यानी सहायक कंपनियां भी बना सकेंगी, और सीधे सरकारी हस्तक्षेप के बिना विलय या अधिग्रहण कर सकती हैं. वे निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए स्वतंत्र व्यवसाय और निवेश से जुड़े निर्णय भी ले सकेंगी.

ये कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी प्रवेश कर सकेंगी. वे रणनीतिक गठबंधन बना सकती हैं और सख्त नौकरशाही बाधाओं के बिना वैश्विक स्तर पर विस्तार कर सकती हैं. नवरत्न कंपनियों को वित्तीय रूप से स्थिर माना जाता है, जिससे उन्हें अधिक निवेशकों को अपनी ओर खींचने और शेयरधारकों को बेहतर रिटर्न देने में मदद मिलती है.

आईआरसीटीसी और आईआरएफसी कंपनियों के इस लिस्ट में शामिल होने से पहले से ही पांच अन्य भारतीय रेलवे कंपनियों को नवरत्न का दर्जा प्राप्त है - कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकॉर), रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल), राइट्स लिमिटेड, इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड और रेलटेल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड.

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