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भारतीय शेयर बाजार में तीन दशक की सबसे बड़ी गिरावट कैसे आई? चीन क्यों जा रहे इन्वेस्टर?

पिछले 6 महीने से भारतीय शेयर बाजार गिरता जा रहा है, लेकिन चीन के शेयर बाजार में भारी तेजी देखने को मिल रही है

शेयर बाजार में फिर आई बड़ी गिरावट
शेयर बाजार में फिर आई बड़ी गिरावट (सांकेतिक फोटो)
अपडेटेड 28 फ़रवरी , 2025

फरवरी की 28 तारीख को दिन की शुरुआत में ही सेंसेक्स में करीब 1000 अंकों की और निफ्टी में 300 अंकों की भारी गिरावट देखने को मिली. एक झटके में निवेशकों के 7.5 लाख करोड़ रुपए डूब गए.

ये सिर्फ एक दिन की बात नहीं है. फरवरी 2025 में कुल 20 दिन शेयर बाजार खुला, जिसमें 16 दिन सेंसेक्स नेगेटिव रहा. पिछले 4 महीने में सेंसेक्स में 12 फीसद से ज्यादा गिरावट हुई है.

वहीं, दूसरी तरफ चीन के शेयर बाजार ने जोरदार वापसी की है. चीन के ‘शंघाई स्टॉक एक्सचेंज कम्पोजिट इंडेक्स’ में अगस्त 2024 से जनवरी 2025 के बीच 15% का इजाफा हुआ है. जबकि हांगकांग के ‘हैंग सेंग इंडेक्स’ में सिर्फ एक महीने में 16% का उछाल दिखा है.

ऐसे में सवाल उठता है कि भारतीय बाजार में 28 साल की सबसे बड़ी गिरावट की क्या वजह है और पड़ोसी देश चीन का शेयर बाजार क्यों लगातार चढ़ता जा रहा है?

भारतीय बाजार में गिरावट
भारतीय बाजार में गिरावट

फरवरी की आखिरी तारीख को बाजार ने 28 साल का रिकॉर्ड तोड़ा

फरवरी के आखिरी दिन निफ्टी ने गिरावट के मामले में 28 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है. साल 1996 के बाद से शेयर बाजार में कभी भी लगातार पांच महीने तक गिरावट नहीं देखी गई है. 1996 के बाद ये पहला मौका है जब शेयर बाजार में लगातार पांचवे महीने गिरावट देखने को मिली है.

निफ्टी के इतिहास में 1990 के बाद केवल दो बार पांच महीने या उससे ज्यादा समय तक गिरावट दर्ज की गई है. सितंबर 1994 से अप्रैल 1995 तक 8 महीनों में इंडेक्स 31.4 फीसदी गिर गया था. आखिरी बार पांच महीने की गिरावट 1996 में देखी गई थी. उस समय जुलाई से नवंबर तक निफ्टी में 26 फीसदी की गिरावट आई थी.

भारतीय बाजार में गिरावट
भारतीय बाजार में गिरावट

भारतीय बाजार में गिरावट की असल वजह क्या है?

अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार के मुताबिक भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट की 4 मुख्य वजह हैं :
1. ओवर वैल्यूड शेयरों का दाम: भारत में कंपनियां जितनी तेजी से ग्रोथ कर रही थी, उससे कहीं ज्यादा तेजी से शेयरों के दाम बढ़ रहे थे. प्राइस अर्निंग रेशियो जरूरत से ज्यादा हो गया था. यही वजह था कि शेयर के दाम बढ़ गए थे. ऐसे में इसका आज या कल गिरना तय था.

2. बाजार को ट्रंप की पॉलिसी का डर: डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद लगातार टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं. ऐसे में अनिश्चितता का माहौल है. ऐसी परिस्थितियों में इनवेस्टर को जहां अपना निवेश सुरक्षित नजर आता है, वो वहां जाते हैं. फिलहाल उन्होंने डॉलर और सोने में ज्यादा भरोसा दिख रहा है. यही वजह है कि भारतीय बाजार से इनवेस्टर पैसा निकाल रहे हैं, जिससे बाजार गिर रहा है.  

ट्रंप के फैसले का ही परिणाम है कि 28 फरवरी को एशिया और अमेरिकी बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली. दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पुष्टि की कि कनाडा और मेक्सिको पर 25% टैरिफ 4 मार्च से लागू होगा. इसके अलावा, चीन पर पहले से लगे 10% टैरिफ के साथ 4 मार्च से 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा. इससे बाजारों में दबाव बढ़ गया है.

3. विदेशी इन्वेस्टरों का पैसा निकालना और घरेलू निवेशकों में डर का माहौल: आमतौर पर जब विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) भारतीय बाजार से शेयर बेचकर पैसा निकालने लगते हैं, तो घरेलू निवेशक (DII) बाजार को सहारा देने के लिए आगे आते हैं. हालांकि, इस बार ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है. इसका एक बड़ा कारण यह है कि घरेलू निवेशक अभी डरे हुए हैं और वो वेट एंड वॉच कर रहे हैं. उन्हें बाजार की दिशा के बारे में जब तक साफ तस्वीर नहीं मिल जाती, वे और ज्यादा पैसा इन्वेस्ट करने से बच रहे हैं. इससे भारतीय बाजार को मजबूत सहारा नहीं मिल रहा है.

4. अमेरिकी और दूसरे बाजार में बेहतर रिटर्न: भारतीय बाजार से पैसा निकालकर ज्यादातर इन्वेस्टर अमेरिका या चीन जा रहे हैं. इसकी वजह ये है कि एक ओर उन्हें लग रहा है कि चीनी बाजार से ज्यादा रिटर्न मिलेगा. दूसरी ओर अमेरिकी सरकार बॉन्ड के जरिए इन्वेस्टर को बेहतर रिटर्न का भरोसा दे रही है. ऐसे में जब तक अमेरिकी बॉन्ड बाजार आकर्षक बना रहेगा, विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों में बिकवाली यानी शेयर बेचना जारी रख सकते हैं.

भारतीय बाजार में गिरावट
भारतीय बाजार में गिरावट

भारत के गिरते बाजार के बीच चीनी बाजार में ग्रोथ की असल वजह क्या है?

प्रोफेसर अरुण कुमार के मुताबिक चीन के बाजार में बीते कुछ महीने में भारी तेजी देखने को मिल रही है. इसकी 3 वजह दिखती है..
1. चीनी बाजार में इन्वेस्टमेंट का बढ़ना: अक्टूबर 2024 से अब तक भारतीय शेयर बाजार को मार्केट कैप में 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 87 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है, जबकि चीनी शेयर बाजार के मार्केट कैप में 2 ट्रिलियन डॉलर यानी 174 लाख करोड़ रुपए  का फायदा हुआ है. इसकी वजह ये है कि भारत और दूसरे एशियाई देशों से पैसा निकालकर इन्वेस्टर यहां लगा रहे हैं. इससे मार्केट साइज लगातार बढ़ रहा है.

2. चीनी बाजार में शेयरों की कीमत कम: कोरोना महामारी के दौरान और उसके बाद चीनी बाजार में किसी दूसरे एशियाई देशों की तुलना में ज्यादा गिरावट देखने को मिली थी. इसकी वजह से यहां शेयरों की कीमत काफी घट गई थी. भारत की तरह यहां शेयरों की कीमत ओवर वैल्यूड नहीं है. यही वजह है कि लाभ कमाने के लिए विदेशी इन्वेस्टर यहां पैसा लगा रहे हैं.

3. चीनी कंपनियों का बेहतर प्रदर्शन: चीन की अलीबाबा और लेनोवो जैसी कंपनियां लगातार बेहतर परफॉर्म कर रही है. चीनी डीपसीक (DeepSeek) के आने से अमेरिकी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को काफी झटका लगा. अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली, जबकि चीनी बाजार में तेजी आई. इन सब वजहों से भी विदेशी निवेशक अब चीन को उसके असली रूप में फिर से देख रहे हैं.

कब तक भारतीय बाजार में इसी तरह की गिरावट जारी रहेगी?

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार के मुताबिक भारतीय बाजार के लिए सबसे बड़ी चिंता FII की निरंतर बिकवाली है.

वे कहते हैं, "चीनी शेयरों में तेज उछाल एक और निकट भविष्य की चुनौती है. भारत से बेचो, और चीन में खरीदो की नीति पर कंपनियां आगे बढ़ रही हैं. कुछ समय तक इसी तरह का कारोबार जारी रह सकता है, क्योंकि चीनी शेयर आकर्षक बने हुए हैं.”

इस सवाल के जवाब में प्रोफेसर अरुण कुमार कहते हैं कि यह कहना मुश्किल है कि कब तक भारतीय बाजार में तेजी आएगी. इसकी वजह डोनाल्ड ट्रंप की अनिश्चित नीति है. ट्रंप कभी भी किसी देश पर टैरिफ लगाने की धमकी देने लगते हैं. पिछले 30 से 40 साल में पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति इतना अनिश्चित फैसला ले रहे हैं. भारत समेत यूरोपीय देशों की सरकार में भी घबराहट देखने को मिल रही है. सभी राष्ट्राध्यक्ष ट्रंप को मनाने अमेरिका जा रहे हैं, लेकिन वो मान नहीं रहे हैं.

ऐसे में फिलहाल भारतीय बाजार तभी सुधरेगा, जब सरकार आंतरिक स्तर पर सुधार करे.  हाल के महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था धीमी हो गई है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की विकास दर 6.4% आंकी गई है जो 4 साल का निचला स्तर है.

पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में GDP ग्रोथ रेट 8.2% रही थी. वहीं वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में यह 6.7% रही थी. दूसरी तिमाही में यह संख्या गिरकर 5.4% पर आ गई.  मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के खराब प्रदर्शन से ग्रोथ धीमी रही. अगर देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की प्रदर्शन बेहतर होगी और महंगाई, बेरोजगारी जैसी समस्या पर सरकार लगाम लगाने में कामयाब होगी. तभी भारतीय बाजार के दोबारा से रफ्तार पकड़ने की संभावना है.
 

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