भारत के हर हवाई जहाज पर एयरलाइन कंपनी के नाम के अलावा अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर 'वीटी' से शुरू होकर एक कोड लिखा होता है. वीटी के बाद एयरलाइन का अपना कोड होता है. जैसे इंडिगो के विमानों का कोड वीटी-आईजीएस है और विस्तारा के विमानों का कोड वीटी-टीटीबी. दुनिया में कोई भी प्लेन इस कोड के बिना उड़ान नहीं भर सकता.
यह हवाई जहाज का रजिस्ट्रेशन कोड होता है, जो नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) देता है. बहुत कम लोगों ने इस पर ध्यान दिया होगा कि इस 'वीटी' का मतलब क्या होता है. इसका फुल फॉर्म 'विक्टोरियन टेरिटरी या वायसराय टेरिटरी' है. 21 दिसंबर को खत्म हुए संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन लोकसभा में इसे बदलने की मांग भाजपा के एक सांसद ने की.
गुजरात के आणंद से पहली बार संसद पहुंचे मितेश पटेल ने नियम-377 के यह सवाल उठाया. लोकसभा नियमों के मुताबिक नियम-377 के तहत किसी भी सांसद को वैसे मुद्दे उठाने का अधिकार है जो जनता के लिए खास महत्व का हो. इस नियम के तहत उठाए गए सवाल का जवाब तुरंत नहीं दिया जाता बल्कि बाद में संबंधित विभाग इसका जवाब लोकसभा सचिवालय को भेजता है. इसलिए मितेश पटेल को अपने सवाल का जवाब नहीं मिला.
यह मांग उठाने की वजहों के बारे में मितेश पटेल कहते हैं, ''वीटी के साथ शुरू होने वाले विमान रजिस्ट्रेशन संख्या किसी भी विमान की राष्ट्रीयता को दर्शाते हैं. भारत के हर विमान का रजिस्ट्रेशन नंबर वीटी के साथ शुरू होता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि हमें गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलना है और गुलामी की सभी प्रतीकों से मुक्ति पानी है. ऐसे में भारतीय हवाई जहाज का कोड अंग्रेजों के जमाने का नहीं होना चाहिए. इसलिए हमने 'वीटी' की जगह इसे बदलकर 'बीटी' करने की मांग उठाई है. बीटी से मेरा मतलब है भारत टेरिटरी.''
लोकसभा में उठाए गए सवाल के साथ मितेश पटेल ने कहा था, “विमान रजिस्ट्रेशन संख्याएं वीटी के बदले बीटी अर्थात भारत टेरिटरी होना चाहिए जो स्वतंत्र भारत की भावना से मेल खाता है और राष्ट्रीय पहचान की भावना को बढ़ावा देता है.”
यह मांग पहले भी उठी है. 2022 में भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने इस हवाले से दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. हालांकि, अदालत ने इसे 'नीतिगत विषय' बताते हुए इसमें दखल देने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को कहा कि आप इस मांग के साथ सरकार के पास जाइए.
दरअसल, भारत में जब अंग्रेजों का शासन था, उसी दौरान भारत को विमानों के रजिस्ट्रेशन के कंट्री कोड या कॉल साइन के तौर पर वीटी आवंटित हुआ था. यह बात नवंबर, 1927 की है. अमेरिका के वाशिंगटन में आयोजित इंटरनेशनल रेडियो टेलीग्राफ कन्वेंशन में 'वीटी' भारत को आवंटित किया गया था.
उस समय इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (आईटीयू) ने भारत को तीन सीरीज एटीए - एडब्ल्यूजेड, वीटीए - वीडब्ल्यूजेड, 8टीए - 8वाईजेड में से एक चुनने का विकल्प दिया था. इन तीनों में से किसी एक का पहला एक अक्षर या पहले दो अक्षर चुनने का विकल्प भारत सरकार के पास था. उस समय भारत में अंग्रेजों की सरकार थी, इसलिए उसने वीटी चुना क्योंकि इसका फुल फार्म विक्टोरिया टेरिटरी या वायसराय टेरिटरी हो सकता था.
अंग्रेजों का शासन जहां-जहां था, हर वैसे देश के विमानों के लिए कॉल साइन का पहला अक्षर वे 'वी' रखते थे. अमेरिकी विमानों का कॉल साइन 'एन' है और रूस के विमानों के लिए यह 'आरए' है.
सवाल यह उठता है कि क्या इसे बदला जा सकता है? आईटीयू की सहमति से यह बदलाव संभव है. बंटवारे के पहले पाकिस्तान भी भारत का हिस्सा था और विभाजन के बाद उसके विमानों का रजिस्ट्रेशन नंबर भी वीटी से ही शुरू होता था. लेकिन पाकिस्तान ने इसे बदलने के लिए आईटीयू को आवेदन दिया और उसे एपीए—एएसजेड सीरीज में से कोड चुनने का विकल्प दिया गया. इसमें से पाकिस्तान ने पहले दो अक्षर 'एपी' चुनकर अपने जहाजों के लिए नया कॉल साइन चुन लिया.
डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए भारत ने भी इसे बदलने की कोशिश की. भारत ने आईटीयू से 'बीए' या 'आईएन' में से कोई एक कॉल साइन मांगा. लेकिन इस कोशिश को कामयाबी नहीं मिली क्योंकि 'बी' चीन के विमानों का कॉल साइन है और 'आई' इटली के विमानों का.
अब यह मुद्दा संसद में उठाया गया है और आने वाले दिनों में पता चलेगा कि सरकार इस दिशा में क्या करने जा रही है.