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यूक्रेन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा हथियार खरीदने वाला देश; दुनिया में कितना बड़ा है आर्म्स मार्केट?

पिछले 5 साल में पाकिस्तान की हथियारों की खरीद में 61 फीसदी की वृद्धि हुई है. वहीं, भारत को पीछे छोड़कर यूक्रेन दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाला देश बन गया है

हथियार खरीदने में दुनिया में दूसरे स्थान पर भारत (सांकेतिक तस्वीर)
हथियार खरीदने में दुनिया में दूसरे स्थान पर भारत (सांकेतिक तस्वीर)
अपडेटेड 11 मार्च , 2025

मार्च की 10 तारीख को स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने अपनी नई रिपोर्ट जारी की. इसके मुताबिक पिछले 5 साल यानी 2020 से 2024 तक यूक्रेन ने दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार खरीदे हैं, जबकि भारत दूसरे स्थान पर है. 2015 से 2019 तक हथियार खरीदने के मामले में भारत पहले स्थान पर था.

अब दुनिया के कुल हथियारों की खरीदारी में भारत की हिस्सेदारी करीब 8.3 फीसदी है. लेकिन, क्या आपको पता है कि सबसे ज्यादा हथियार बेचने वाले देश कौन हैं, चीन सालाना कितना हथियार खरीदता है और दुनियाभर में आर्म्स मार्केट कितना बड़ा है?

दुनिया के 10 सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाले देश
दुनिया के 10 सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाले देश

पाकिस्तान के हथियारों के आयात में 2015-19 और 2020-24 के बीच 61% की वृद्धि हुई. वह विश्व रैंकिंग में पांचवें स्थान पर है. पाकिस्तान 81% हथियार चीन से खरीदता है और ये दिखाता है कि भारत के दो पड़ोसी दुश्मन देशों के बीच लगातार किस तरह से लगातार सैन्य साझेदारी बढ़ती जा रही है.

2015 से 2019 की तुलना में 2020 से 2024 में यूक्रेन ने 100 गुना ज्यादा हथियारों की खरीदारी की है. इन 5 साल में यूरोपीय देशों में भी हथियारों के आयात में करीब 155% की वृद्धि हुई है. ये वृद्धि मुख्य रूप से फरवरी 2022 में यूक्रेन-रूस जंग शुरू होने के बाद हुई है.

रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि डोनाल्ड ट्रंप की सरकार बनने के बाद यूरोपीय देशों को अमेरिका की विदेश नीति की अनिश्चितता सताने लगी है. इस असुरक्षा की वजह से भी यूरोपीय देश खुद पर निर्भर रहने के लिए हथियारों की खरीदारी बढ़ा रहे हैं.  

सबसे ज्यादा हथियार बेचने वाले 10 देश
सबसे ज्यादा हथियार बेचने वाले 10 देश

भारत में इस्तेमाल होने वाले हथियारों का बड़ा हिस्सा रूस से आता है. SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक 2015 से 2019 की तुलना में 2020 से 2024 के बीच भारत ने हथियारों की खरीदारी 9.3% घटाई है. इसकी बड़ी वजह ये है कि भारत अब अपने हथियारों को डिजाइन करने और उत्पादन करने की क्षमता को लगातार बढ़ा रहा है.

रूस आज भी भारत का मुख्य हथियार आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, जिसकी भारत के कुल हथियार आयात में 36% हिस्सेदारी है. हालांकि, भारत की हथियार खरीदारी में रूस का हिस्सा 2010-14 में 72% था, जो 2015-19 में घटकर 55% रह गया. इसकी बड़ी वजह यह है कि भारत रूस के बजाय अब अमेरिका, फ्रांस और इजराइल जैसे देशों से भी भारी मात्रा में हथियार खरीद रहा है.

इन 5 सालों में पहले की तुलना में रूस के हथियार एक्सपोर्ट में 64% की कमी आई है, जबकि चीन के हथियार एक्सपोर्ट में 5.5% की कमी आई है.

दुनिया में कितना बड़ा है हथियारों का बाजार?

SIPRI के मुताबिक दुनिया की 100 सबसे बड़ी हथियार बेचने वाली कंपनियों द्वारा हथियारों और सैन्य सेवाओं की बिक्री से राजस्व 2023 में बढ़कर 632 बिलियन डॉलर यानी 55.11 लाख करोड़ रुपये तक हो गया. 2022 की तुलना में 2023 में हथियारों के बाजार में वास्तविक रूप से 4.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई.  

एक बड़ी बात ये है कि दुनिया की 100 सबसे बड़ी हथियार बेचने वाली कंपनी में अमेरिका की 41 कंपनियां हैं. 2023 में इन कंपनियों ने 317 बिलियन डॉलर यानी 27.64 लाख करोड़ रुपये का रेवेन्यू जेनरेट किया, जो शीर्ष 100 कंपनियों के कुल हथियार राजस्व का आधा और 2022 की तुलना में 2.5 फीसदी ज्यादा था.

टॉप 10 में से 5 सबसे बड़ी हथियार बेचने वाली कंपनी अमेरिकी है
टॉप 10 में से 5 सबसे बड़ी हथियार बेचने वाली कंपनी अमेरिकी है

भारत का डिफेंस बजट बढ़ा लेकिन हथियारों की खरीदारी घटी

भारत का रक्षा बजट 2025-26 में 6.21 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 6.81 लाख करोड़ रुपये हो गया है. यह रक्षा बजट में करीब 9.5% की वृद्धि है. हालांकि, इस सबके बीच 2015 से 2019 की तुलना में  2020 से 2024 के बीच भारत के हथियारों के आयात में 9.3 प्रतिशत की कमी आई है.

अगर रक्षा बजट की बात करें तो इस मामले में भारत चौथे स्थान पर आता है. अमेरिका, चीन और रूस भारत से ज्यादा पैसा डिफेंस पर खर्च करता है. डिफेंस से जुड़ी वेबसाइट ग्लोबल फायरपावर के मुताबिक अमेरिका का मिलिट्री बजट 895 बिलियन डॉलर यानी 78 लाख करोड़ रुपये, चीन का 267 यानी 23.28 लाख करोड़ रुपये और रूस का 126 बिलियन डॉलर यानी 10.98 लाख करोड़ रुपये है.

वहीं, 2025 में भारत का मिलिट्री बजट 78 बिलियन डॉलर यानी 6.80 लाख करोड़ रुपये के करीब है. मिलिट्री पर पैसा खर्च करने के मामले में सउदी अरब और यूके जैसे देशों की रैंकिंग भारत के बाद आती है. 

ग्राफिक्स: नीलिमा सचान

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