
दिल्ली से 50 किलोमीटर दूर ईस्टर्न पेरीफेरल हाईवे के किनारे मोदीनगर के गांव दुहाई में बने डिपो में खड़ी देश की पहली रैपिड रेल लोगों की उत्सुकता का केंद्र बनी हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च, 2019 को देश के पहले दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर की आधारशिला रखी थी. ढाई साल बाद 20 अक्टूबर, 2023 को प्रधानमंत्री द्वारा हरी झंडी दिखाते ही भारत उन देशों की कतार में शामिल हो जाएगा जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए रैपिड रेल जैसी सुविधाएं मौजूद हैं.
नरेंद्र मोदी द्वारा गाजियाबाद के साहिबाबाद में उद्घाटन के बाद 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर का 17 किलोमीटर का प्राथमिकता वाला खंड चालू हो जाएगा. इस प्राथमिकता वाले खंड में पांच स्टेशन हैं: साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो, जो 17 किमी की दूरी तय करेंगे. यह रैपिड रेल कई खूबियों के कारण दुनिया का सबसे हाइटेक रैपिड रेल प्रोजेक्ट है.
रिक्लाइनिंग सीटों वाला एक प्रीमियम कोच, महिलाओं के लिए एक अलग कोच और दिव्यांगों के लिए अनुकूल सुविधाएं वाली अत्याधुनिक और सबसे तेज चलने वाली रैपिड रेल पर 21 अक्टूबर से, यात्री चढ़ सकते हैं. यात्री पेपर क्यूआर कोड आधारित यात्रा टिकट, नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) और डिजिटल क्यूआर कोड आधारित टिकटों का उपयोग करके यात्रा कर सकेंगे, जिनका लाभ नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एनसीआरटीसी) के मोबाइल ऐप 'रैपिडएक्स कनेक्ट' के माध्यम से लिया जा सकता है. यात्रियों को स्टेशन के प्लेटफार्म पर इलेक्ट्रॉनिक पब्लिक डिस्प्ले पर अगली ट्रेन के आगमन का समय भी पता चल जाएगा.

अनोखी है रैपिड रेल
30,274 करोड़ रुपए की लागत वाले रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए कॉरिडोर निर्माण का कार्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) कर रही है. एनसीआरटीसी ने रैपिड रेल के संचालन और रखरखाव के लिए 1 जुलाई को 'डॉयचे बॉन इंजीनियरिंग ऐंड कंसल्टेंसी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड' (डीबी इंडिया) के साथ पहला करार 12 सालों के लिए किया है. डीबी इंडिया जर्मनी की राष्ट्रीय रेलवे कंपनी 'डॉयचे बॉन एजी' की सहायक कंपनी है.
फिलहाल, 14,000 से अधिक कर्मचारी और 1100 इंजीनियर दिन-रात पूरे 82 किमी लंबे गलियारे का निर्माण कर रहे हैं. इसमें से 17 किमी ट्रैक तैयार हो चुका है. किसी भी शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए देश में इस स्तर का निर्माण कार्य पहली बार किया जा रहा है. दुहाई डिपो सहित प्राथमिकता सेक्शन में आरआरटीएस ट्रेनों के लिए 'स्टेबलिंग यार्ड' का निर्माण किया गया है. कॉरिडोर के विभिन्न खंडों पर 'मोबाइल फ्लैश वेल्डिंग प्लांट' स्थापित किए गए हैं.
दिल्ली में सराय काले खां आरआरटीएस स्टेशन के लिए, बड़े पैमाने पर 'प्री-कंस्ट्रक्शन युटिलिटी शिफ्टिंग' की जा रही है. इसमें पानी और गैस पाइपलाइन का संशोधन, आईएसबीटी, टेलीफोन और बिजली के केबल की सुविधाएं आदि मुहैया कराने के कार्य चल रहे हैं जो बहुत जटिल प्रक्रिया होने के साथ-साथ देश में अपनी तरह का पहला कार्य है. कॉरिडोर निर्माण के लिए 6.5 मीटर व्यास की आरआरटीएस सुरंगों को बोर करने के लिए देश में पहली बार एक साथ कुल 8 'टनल बोरिंग मशीनों' (टीबीएम) का उपयोग किया गया. इन मशीनों को 'सुदर्शन' नाम दिया गया है.

देश के पहले आरआरटीएस कॉरिडोर (दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ) के लिए ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन (एएफसी) सिस्टम अपनाया गया है. यह प्रणाली एनसीएमसी (नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड) मानकों के आधार पर क्यूआर कोड आधारित टिकटिंग (डिजिटल क्यूआर और पेपर क्यूआर) और ईएमवी (यूरोपे, मास्टरकार्ड, वीजा) ओपन लूप कॉन्टैक्टलेस कार्ड की सुविधा उपलब्थ कराएगी.
एनसीआरटीसी ने स्वदेशी प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स (पीएसडी) को डिजाइन और विकसित करने के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ समझौता किया है. यात्री सुरक्षा के लिए और बिजली बचाने के लिए भी भूमिगत स्टेशनों में प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स का उपयोग किया जाएगा. एनसीआरटीसी ने 'इंटीग्रेटेड रीयल-टाइम एंटरप्राइज एसेट मैनेजमेंट सिस्टम' (आइ-ड्रीम्स) लागू किया है, जो समय रहते रैपिड रेल प्रोजेक्ट में किसी भी जोखिम या कमियों का अनुमान लगाने, पहचानने, सुधारने या दूर करने में सक्षम होगा.
इससे यात्रियों की सुरक्षा में नए आयाम जुड़ेंगे. आरआरटीएस रोलिंग स्टॉक या रैपिड रेल कोच का निर्माण भारत में बॉम्बार्डियर के गुजरात स्थित सावली संयंत्र में किया जा रहा है. सभी पूर्णत: स्वदेशी 40 ट्रेनसेट (210 कोच) का निर्माण 'मेक इन इंडिया' के तहत होगा. आरआरटीएस रोलिंग स्टॉक का पहला ट्रेनसेट 2 जून को दुहाई स्थित डिपो पहुंचा था.
आरआरटीएस में विश्व में पहली बार रेल संचालन के रेडियो नेटवर्क में 'लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन' (एलटीइ), यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (इटीसीएस), डिजिटल इंटरलॉकिंग और स्वचालित ट्रेन ऑपरेशन (एटीओ) को एक दूसरे से जोड़ा गया है. इससे ट्रेन को बिना किसी अवरोध के 5 से 10 मिनट के भीतर संचालित किया जा सकेगा. देश में पहली बार सिग्नलिंग सिस्टम, 'प्लेटफार्म स्क्रीन डोर' के साथ लिंक किया गया है. साथ ही एक कॉरिडोर की ट्रेन बिना गति में परिवर्तन किए दूसरे कॉरिडोर पर जा सकेगी. गाजियाबाद में मेरठ तिराहे पर रैपिड रेल जमीन से 26 मीटर की ऊंचाई से गुजरेगी जो देश में किसी भी ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट में सबसे अधिक है.

मल्टी-मॉडल एकीकरण: जहां कहीं भी संभव होगा वहां आरआरटीएस स्टेशनों को हवाई अड्डे, भारतीय रेलवे स्टेशनों, अंतर-राज्यीय बस टर्मिनस, दिल्ली मेट्रो स्टेशनों जैसे परिवहन के विभिन्न साधनों के साथ एकीकृत किया जाएगा, . यह यात्रियों को एक मोड से दूसरे मोड में निर्बाध आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगा. सभी आरआरटीएस कॉरिडोर, दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) की सभी 7 लाइनों के साथ एकीकृत किए जाएंगे. एक बार पूरा हो जाने पर, डीएमआरसी और आरआरटीएस नेटवर्क सहित दिल्ली के मास ट्रांजिट सिस्टम की लंबाई 743 किमी होगी जो लंदन क्रॉस रेल, हांगकांग एमटीआर और पेरिस आरईआर की लंबाई से अधिक होगी.
रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की खासियत
- कॉरिडोर की लंबाई - 82.15 किमी
- 'एलिवेटेड' लंबाई - 70 किमी (दिल्ली: 9.32 किमी; यूपी: 60.57 किमी)
- भूमिगत लंबाई - 12 किमी (दिल्ली: 4.08 किमी; यूपी: 8.08 किमी)
- दिल्ली में हिस्सा - लगभग 14 किमी
- यूपी में हिस्सा - लगभग 68 किमी
- दुहाई और मोदीपुरम में दो रख-रखाव डिपो
- 2025 तक दिल्ली से मेरठ तक पूर्ण कॉरिडोर को चलाने का लक्ष्य
- अधिकतम गति - 180 किमी प्रति घंटा
- औसत गति - 100 किमी प्रति घंटा
- दिल्ली से मेरठ की यात्रा 50 मिनट में पूरी होगी
यात्रियों के लिए सुविधाएं
- ट्रेन के डिब्बों में बैठने के लिए आमने सामने 2x2 सीटें होंगी
- स्वत: प्लगइन दरवाजों के अलावा चुनिंदा दरवाजों को खोलने के लिए पुश बटन होंगे
- बिजनेस क्लास (प्रति ट्रेन एक कोच) होगी जिनमें प्लेटफॉर्म-स्तर पर एक विशेष लाउंज से प्रवेश मिलेगा
- प्रीमियम कोच में रिक्लाइनिंग सीटें, कोट हुक, मैगजीन होल्डर और फुटरेस्ट होंगी
- प्रत्येक ट्रेन में एक डिब्बा महिला यात्रियों के लिए आरक्षित रहेगा
- हाई-स्पीड ट्रेन संचालन को देखते हुए, यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) होंगे
- ट्रेन के दरवाजों को पीएसडी के साथ जोड़ा जाएगा
- सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए एक ट्रेन अटेंडेंट की नियुक्ति की जाएगी
- आखिरी कोच में व्हीलचेयर और स्ट्रेचर के लिए निर्धारित स्थान उपलब्ध कराया गया है
- प्रत्येक स्टेशन पर महिला शौचालय में बच्चों के लिए डायपर बदलने की जगह भी है
- एक खोया-पाया केंद्र भी स्थापित किया गया है और कोई भी खोई हुई वस्तु 24 घंटे के भीतर उसी स्टेशन से प्राप्त की जा सकती है
- चालू होने वाले प्राथमिकता खंड के लिए, खोया और पाया केंद्र गाजियाबाद रैपिडएक्स स्टेशन पर स्थित है, और इसका कार्य समय सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक है
- स्टेशनों पर यात्रियों की सुरक्षा जांच के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सक्षम डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर (डीएफएमडी) का उपयोग किया जाएगा
- सभी स्टेशनों पर सुरक्षा की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल की है
- दिल्ली खंड में स्टेशनों पर सुरक्षा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल द्वारा सुनिश्चित की जाएगी
- यूपी सरकार ने गाजियाबाद और मेरठ में एक पुलिस स्टेशन का भी प्रावधान किया है
- स्टेशन पर एक पुलिस पोस्ट का प्रावधान भी किया गया है.