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तमिलनाडु से लेकर केरल तक, साउथ को साधने के लिए बीजेपी कैसी तैयारी कर रही है?

सूत्रों के मुताबिक 18-20 अप्रैल के बीच बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक बेंगलुरु में होगी. बेंगलुरु का चयन यह संकेत देता है कि बीजेपी का फोकस साउथ में विस्तार करने पर है

पीएम मोदी से गुफ्तगू करते अमित शाह, (सबसे बाएं) राजनाथ सिंह/फाइल फोटो
पीएम मोदी से गुफ्तगू करते अमित शाह, (सबसे बाएं) राजनाथ सिंह/फाइल फोटो
अपडेटेड 3 अप्रैल , 2025

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अपने अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश जल्द ही पूरी होने वाली है. पार्टी के भीतर इसके लिए सभी तैयारियों को पूरा करने के लिए 15 अप्रैल की तारीख तय की गई है.

बीजेपी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं उनकी राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद् की बैठक 18 से 20 अप्रैल के बीच कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में आयोजित की जाएगी. बैठक के लिए बेंगलुरु का चयन यह संकेत देता है कि बीजेपी का फोकस साउथ में विस्तार करने पर है.

दक्षिण भारत के लिए यह बीजेपी का तीसरा सक्रिय मिशन होगा. जबकि भगवा दल अपने साउथ अभियान के लिए लगातार कमर कस रहा है, ऐसे में आइए देखते हैं कि किस राज्य में उसके लिए कितनी संभावनाएं हैं और वह क्या तैयारी कर रहा है.

कर्नाटक

यहां बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व राज्य के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा और उनके छोटे बेटे बी.वाई. विजयेंद्र के पीछे पूरी ताकत लगा रहा है. विजयेंद्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. पिता-पुत्र की जोड़ी को खुलेआम चुनौती देने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री बसंगौड़ा पाटिल यतनाल को पार्टी से निकाल दिया गया है.

हालांकि, येदियुरप्पा परिवार के खिलाफ बगावत कोई नई बात नहीं है. लेकिन इस बार की गई सख्त कार्रवाई विभिन्न गुटों को यह चेतावनी है कि वे पार्टी लाइन के हिसाब से काम करें. बीजेपी नेतृत्व को एहसास है कि येदियुरप्पा और विजयेंद्र में लिंगायत वोट बैंक को पार्टी के साथ जोड़ने की क्षमता है. आने वाले प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में विजयेंद्र के एक बार फिर चुने जाने की संभावना है.

केरल

बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर को केरल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चुनकर एक साहसिक कदम उठाया है. कारोबारी और राजनेता चंद्रशेखर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से बाहर के पहले नेता हैं जो केरल में बीजेपी का नेतृत्व कर रहे हैं.

यहां पार्टी ने पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में त्रिशूर सीट जीतकर पहली बार राज्य में पार्टी का खाता खोला था. तब एनडीए गठबंधन को 19.25 फीसद वोट शेयर भी हासिल हुआ था, जो पार्टी के लिए एक अच्छा संकेत था. चंद्रशेखर की अगुआई में और त्रिशूर के सांसद सुरेश गोपी के केंद्रीय मंत्री बनने से बीजेपी को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में और बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है.

तेलंगाना

फिलहाल यहां सीएम रेवंत रेड्डी की अगुआई में कांग्रेस का शासन है, लेकिन बीजेपी खुद को विपक्ष की प्रमुख आवाज के रूप में उभरता हुआ देख रही है. बीजेपी का ग्राफ इसलिए बढ़ा है क्योंकि के. चंद्रशेखर राव की अगुआई वाली और राज्य में प्रमुख विपक्षी दल भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) का समय अच्छा नहीं चल रहा.

यहां बीजेपी की राज्य इकाई के भीतर एक मजबूत राय उभर रही है कि पार्टी पिछड़े समुदाय के वोटों को अपने पक्ष में करने के लिए वापसी कर रही है. बीजेपी जिस रणनीति पर काम कर रही है, वह है केंद्रीय मंत्री बंदी संजय कुमार को राज्य इकाई का नेतृत्व करने के लिए फिर से भेजना और मलकाजगिरी के सांसद एटाला राजेंद्र को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करना.

तमिलनाडु

ऐसा लगता है कि बीजेपी अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) को एनडीए गठबंधन में वापस लाने के लिए पूरी तरह तैयार है. हालांकि, इसके लिए पार्टी को अपने प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई को हटाना होगा, शायद उन्हें कोई बड़ा पद दिया जाएगा.

अन्नामलाई अपनी तीखी टिप्पणियों और तेवरों के कारण एआईएडीएमके नेताओं के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. 2023 में अन्नामलाई की इसी तेजी का हवाला देते हुए एआईएडीएमके एनडीए से बाहर हो गई थी. तिरुनेलवेली से लोकप्रिय नेता और बीजेपी विधायक नैनार नागेंद्रन को प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सबसे आगे देखा जा रहा है.

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