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बजट 2025: सबसे ज्यादा GST भरने वाला मिडिल क्लास क्या राहत चाहता है?

1 फरवरी 2025 को हर साल की तरह इस बार भी बजट पेश होना है, लेकिन दिल्ली चुनाव की वजह से बजट के ठीक पहले मिडिल क्लास चर्चा में है. अब देखना ये है कि केंद्र सरकार मिडिल क्लास के लिए बजट में क्या ऐलान करती है

मिडिल क्लास को बजट 2025 से क्या उम्मीदें?
1 फरवरी 2025 को बजट पेश करेंगी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
अपडेटेड 31 जनवरी , 2025

1 फरवरी 2025 को पेश होने वाले बजट से एक दिन पहले राष्ट्रपति ने 59 मिनट का अभिभाषण दिया. इसमें छोटे कारोबारियों को दोगुना लोन देने के साथ ही अगले साल 3 करोड़ नए घर बनने की बात कही गई. लेकिन, इस बजट से पहले सबसे ज्यादा चर्चा मिडिल क्लास की है.

वो मिडिल क्लास जिसे खुश करने के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी, आप और कांग्रेस तीनों ही पार्टियां बड़े-बड़े वादे कर रही हैं. आखिर इस मिडिल क्लास की बजट से क्या उम्मीदें हैं और उसे बजट में क्या मिलने वाला है?

सबसे ज्यादा GST भरने वाला मिडिल क्लास इतना खास क्यों है?

इंवेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक 2024 में देश में करीब 10 करोड़ आबादी अपर क्लास में थी. हालांकि, कुछ संस्थान और एक्सपर्ट्स 12 करोड़ लोगों की आबादी को इस वर्ग में रखते हैं. इनमें वे लोग हैं, जो जिनकी सालाना आमदनी 10 से 12 लाख रुपए से ज्यादा होती है. वहीं, इस रिपोर्ट के मुताबिक 30 करोड़ आबादी मिडिल क्लास लोगों की है. कुछ रिपोर्ट्स में इनकी संख्या 50 करोड़ तक बताई जाती है.

इनमें वो लोग शामिल हैं, जिनकी आमदनी 2.5 लाख रुपए से कम होती है. या इनके 4 सदस्यों वाले परिवार की सालाना आय 10 लाख रुपए से कम होती है. बाकी बचे 80 करोड़ या इससे ज्यादा की आबादी को लोअर क्लास माना गया है. इन लोगों की सालाना प्रतिव्यक्ति आय 2.5 लाख से कम होती है.

इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति के पास 10 लाख रुपए की लिक्विड नेटवर्थ है तो उसे लोअर क्लास ही माना जाता है. वहीं, 1 करोड़ नेटवर्थ वाले को मिडिल क्लास और 5 करोड़ नेटवर्थ वाले को अपर क्लास माना जाता है.

साफ है कि भारत में लोअर क्लास के बाद सबसे ज्यादा आबादी मिडिल क्लास की है. लोअर क्लास की तुलना में मिडिल क्लास राजनीति को लेकर ज्यादा एग्रेसिव होते हैं. यह तबका चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. गरीबी पर काम करने वाले संगठन ऑक्सफैम ने 2023 में "सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट: द इंडिया स्टोरी" के नाम से एक रिपोर्ट जारी की थी.

इस रिपोर्ट के मुताबिक देश की आबादी का सबसे गरीब 50% लोग करीब 64% GST का भुगतान कर रहे हैं. दिल्ली और बिहार में इसी साल चुनाव होना है, यही वजह है कि केंद्र और इन राज्यों की पॉलिटिकल पार्टियों के लिए मिडिल क्लास बेहद खास बन गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, कुल जीएसटी का दो-तिहाई से थोड़ा कम (64.3%) हिस्सा निचले 50% आबादी से आ रहा है, एक-तिहाई मध्यम 40% से आ रहा है तथा देश के सबसे अमीर 10% लोगों से केवल 3-4% हिस्सा आ रहा है।

मिडिल क्लास को बजट 2025 से क्या उम्मीदें हैं?

महंगाई पर हो कंट्रोल: मिडिल क्लास अगर सबसे ज्यादा किसी चीज से परेशान है तो वह महंगाई है. जुलाई-अगस्त 2023 के दौरान औसतन 3.6 फीसदी से बढ़कर सितंबर में महंगाई दर 5.5 फीसदी हो गई और अक्टूबर 2024 में ये बढ़कर 6.2 फीसदी हो गई. खाने-पीने के चीजों की कीमत जिस तेजी से बढ़ रही है, मिडिल क्लास चाहता है कि सरकार इसपर कंट्रोल करने के लिए कुछ मजबूत फैसला ले. ताकी कमाई का कुछ हिस्सा आम जनता सेविंग कर पाए.

इनकम टैक्स पर लगाम लगे: मिडिल क्लास को लगता है कि उस पर दोहरी मार पड़ रही है. एक ओर जहां उसे हर सामान खरीदने पर GST तो देना ही पड़ता है, वहीं दूसरी तरफ  अपनी कमाई पर भारी-भरकम टैक्स भी जमा करना होता है. मिडिल क्लास यह उम्मीद कर रहा है कि सरकार इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव कर उसकी कमाई पर टैक्स में थोड़ी छूट देगी.

वर्तमान में नई कर व्यवस्था के तहत टैक्स में मूल छूट सीमा 3,00,000 रुपए है. मिडिल क्लास को उम्मीद है कि सरकार इस सीमा को बढ़ाकर 5,00,000 रुपए कर दे.

आर्टिकल 87A के तहत छूट की सीमा में वृद्धि हो: इस नियम का सबसे ज्यादा फायदा देश के मिडिल क्लास के लोगों को होता है. ऐसे में इस बजट से पहले मिडिल क्लास की चाहत है कि वर्तमान में जो धारा 87A के तहत 7,00,000 रुपए तक की आय पर 100% कर छूट मिलती है, उसे बढ़ाकर सरकार 8,00,000 रुपए कर दे.  

हेल्थ और एजुकेशन को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सरकार: मिडिल क्लास परिवार का सबसे ज्यादा खर्च हेल्थ और एजुकेशन के क्षेत्र में ही होता है. एक आम इंसान को ना चाहते हुए भी इन दो वजहों से पैसा खर्च करना होता है. केंद्र ने 2018 में आयुष्मान भारत योजना लॉन्च की थी

इसके तहत लाभार्थियों का 5 लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त में किया जाता है. लेकिन, मिडिल क्लास को उम्मीद है कि सरकारी हेल्थ सिस्टम को सही करने के लिए सरकार मजबूत कदम उठाएगी. ताकी जनता को प्राइवेट अस्पताल नहीं जाना पड़े. इसी तरह कमाई का बड़ा हिस्सा बच्चों के शिक्षा पर खर्च होता है. मिडिल क्लास को इसपर भी छूट की उम्मीद है.

पेट्रोल-डीजल की कीमत कम हो: कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री यानी CII ने हाल ही में केंद्र से सिफारिश की है कि सरकार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में कटौती करे. इससे पेट्रोल और डीजल के दाम घट सकते हैं. फिलहाल पेट्रोल पर 19.90 रुपये और डीजल पर 15.80 रुपये एक्साइज ड्यूटी लगाई जाती है.

PM किसान सम्मान निधि की रकम बढ़े: इस बार के बजट में PM किसान सम्मान निधि की रकम बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रही है. दरअसल, संसद की स्थायी समिति ने किसान सम्मान निधि को 6 हजार रुपये सालाना से बढ़ाकर 12000 रुपये करने की सिफारिश की है. इस योजना में फिलहाल करीब साढ़े 9 करोड़ किसानों को 3 किश्तों में 2-2 हजार रुपये ट्रांसफर किए जाते हैं.

बेरोजगारी पर लगाम लगाए सरकार: ऐसा माना जा रहा है कि CII की सिफारिशों के आधार पर सरकार 'एकीकृत राष्ट्रीय रोजगार नीति' ला सकती है, जिसमें रोजगार देने वाले सभी मंत्रालयों की योजनाओं को एक प्लेटफॉर्म पर लाने का प्लान है. वहीं ग्रामीण इलाके के ग्रेजुएट्स के लिए इंटर्नशिप का ऐलान भी किया जा सकता है जिसके तहत सरकारी ऑफिसों में काम करने के लिए इंटर्नशिप का विकल्प मिल सकता है.
 

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