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बाबा सिद्दीकी : एक घड़ीसाज़ का बेटा जिसने शाहरुख, सलमान सहित कईयों का वक्त भी ठीक किया

बाबा सिद्दीकी का पुश्तैनी घर बिहार के गोपालगंज में है और एक दौर में वे अपने पिता अब्दुल रहीम सिद्दीकी के साथ मुंबई में घड़ियां सुधारने का काम करते थे

बाबा सिद्दीकी के साथ सलमान खान और शाहरुख खान
बाबा सिद्दीकी के साथ सलमान खान और शाहरुख खान
अपडेटेड 13 अक्टूबर , 2024

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी के दिग्गज नेता बाबा सिद्दीकी को मुंबई में तब गोली मार दी गई जब वो अपने दफ्तर से लौट रहे थे. गोली लगने के तुरंत बाद उन्हें लीलावती अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उनकी मौत की पुष्टि कर दी. 12-13 अक्टूबर की दरम्यानी रात को ही महाराष्ट्र पुलिस के हवाले से हत्यारों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की जाने लगी थीं और सुबह इस हत्या की जिम्मेदारी कथित रूप से लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने लेते हुए एक फेसबुक की.

इसमें कहा गया कि सलमान खान और दाउद गैंग की मदद करने वालों का हिसाब-किताब ऐसे ही होगा. हालांकि ना तो महाराष्ट्र पुलिस ने इस पोस्ट की कोई पुष्टि की है और ना ही इंडिया टुडे इसकी पुष्टि करता है. इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने बताए जा रहे तीन हत्या आरोपियों में से दो को गिरफ्तार कर लिया और अभी तीसरे की तलाश जारी है.

सूत्र बता रहे हैं कि पकड़े गए दोनों आरोपियों ने बिश्नोई गैंग से अपने रिश्ते बताए हैं. और ये भी कहा है कि इस हत्या के लिए वे कई दिनों से रेकी कर रहे थे.

हत्या को लेकर उठ रहे कुछ शुरुआती सवाल

दरअसल रात नौ बजे तक बाबा सिद्दीकी और उनके बेटे जीशान सिद्दीकी बांद्रा के अपने खेरवाली दफ्तर में थे और रोज की तरह दोनों को करीब साढ़े नौ बजे साथ ही घर जाना था. लेकिन जीशान को किसी काम के सिलसिले में पांच मिनट पहले निकलना पड़ा. थोड़ी देर बाद निकले बाबा सिद्दीकी अपने दफ्तर और करीब 100 मीटर दूर खड़ी कार के बीच कार्यकर्ताओं से मिल ही रहे थे कि अचानक पास में ही एक बम फूटा जिससे खूब धुंआ उठा.

दशहरे की रात होने के कारण चारों तरफ आतिशबाजी चल ही रही थी इसलिए बम पर किसी का कोई खास ध्यान नहीं गया. लेकिन जब धुंआ आंख और नाक में अजीब तरह से लगने लगा तब कार्यकर्ताओं को शक हुआ. आस-पास कोई पंडाल भी नहीं था इसलिए शक और गहराया. आनन-फानन में कार्यकर्ताओं को बाबा सिद्दीकी का ध्यान आया तो देखा वो अपनी गाड़ी में खून से लथपथ सामने वाली सीट पर पड़े थे. उन्हें नजदीक ही लीलावती अस्पताल में ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई.

इस मामले में एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि बाबा सिद्दीकी की गाड़ी बुलेट प्रूफ थी तो हत्यारों की गोलियां इस गाड़ी का शीशा कैसे पार कर गईं. हथियारों के जानकार और भारतीय सेना से रिटायर्ड कर्नल प्रमोद सिंह के मुताबिक ऐसा मुमकिन है कि बुलेट प्रूफ गाड़ी के शीशे को गोली पार कर जाए. लेकिन इसकी एक जरूरी शर्त है कि गाड़ी के शीशे की बुलेट प्रूफ ग्रेडिंग की पूरी जानकारी पहले से मालूम हो, और उसी ग्रेडिंग के हिसाब से गोलियां तैयार की जाएं. इसका सीधा मतलब निकलता है कि जिसने भी ये हत्या प्लान की है, उसने बारीकी से प्लानिंग की थी और हो सकता है उसे ये तकनीकी जानकारियां बाबा सिद्दीकी के ही किसी करीबी ने उपलब्ध कराई हों. 

एक सवाल ये भी है कि बाबा सिद्दीकी को काफी समय पहले वाई श्रेणी की सुरक्षा सरकार की तरफ से मुहैया करवाई गई थी. लेकिन हत्या के समय एनसीपी नेता के सुरक्षाकर्मी कहां गायब थे? और बचाव में एक भी राउंड फायरिंग क्यों नहीं की गई. जाहिर है कि जांच के बाद इन सवालों के जवाब भी सामने आएंगे.

कौन थे बाबा सिद्दीकी 

ऐसा कम होता है कि जिन लोगों का राजनीति से किसी भी तरह का कोई सरोकार नहीं होता उन्हें किसी राज्य के विधायक या मंत्री के बारे में भरपूर जानकारी रहे. खासकर तब जब भाषा के आधार पर भी राजनैतिक ज़मीन एक ना हो. लेकिन हिंदी पट्टी के हर उस शख्स को महाराष्ट्र सरकार के विधायक और मंत्री रहे बाबा सिद्दीकी के बारे में मालूम है जिसका फिल्मों से किसी भी तरह का कोई कनेक्शन होगा.

इसकी वजह है बाबा सिद्दीकी की तरफ से दी जाने वाली 'इफ़्तार पार्टी.' हर साल, मतलब हर साल, और उन सालों में भी जब रील और वायरल का ज़माना नहीं था, बाबा सिद्दीकी की गोल गले के सूट में एक तस्वीर देश देखता था जिसमें उनकी एक बांह के नीचे सलमान खान और दूसरी बांह के नीचे कभी शाहरुख खान तो कभी संजय दत्त तो कभी इसी कद का कोई और स्टार रहता था.

सलमान खान एक बांह के नीचे फ़िक्स थे. दूसरी बांह के नीचे का सितारा वक़्त और माहौल के हिसाब से बदलता रहता था. एक समय मीडिया में जबरदस्त सुर्खियां बटोरने वाली सलमान और शाहरुख के गले मिलती तस्वीरें, जो उनकी कथित सुलह का नतीजा थीं, भी बाबा सिद्दीकी की इफ़्तार पार्टी से ही सामने आई थीं. कहा गया कि अगर कोई सारी फिल्म इंडस्ट्री को एक छत के नीचे ला सकता है तो वो इकलौता नाम बाबा सिद्दीकी का है. और इस कहे जाने के पीछे कोरा महिमा-मंडन नहीं था, एक ठोस ज़मीन थी. वो ज़मीन जो बाबा सिद्दीकी ने चुपचाप कई दशक लगाकर तैयार की थी.

कैसे तैयार हुई ये ज़मीन

बाबा सिद्दीकी का पुश्तैनी घर बिहार के गोपालगंज में है. उनके पिता अब्दुल रहीम सिद्दीकी बम्बई में घड़ियां बनाने का काम करते थे. सिद्दीकी भी अपने पिता की दुकान पर घड़ियां बनाने का काम करते थे. लेकिन तब उनके पिता को क्या मालूम रहा होगा कि घड़ियां ठीक करने वाला ये लड़का एक दिन अपना वक्त भी ना सिर्फ ठीक कर लेगा, बल्कि इसके वक्त से अनगिनत लोगों का समय अच्छा या बुरा होना तय होगा.

बाबा सिद्दीकी में बचपन से ही पब्लिक लाइफ जीने का जुनून था. यही वजह थी कि उन्होंने पढ़ाई के दौरान ही राजनीति का रास्ता ले लिया. साल 1977 में वे एनएसयूआई से जुड़ गए और तीन साल बाद 1980 में उनका काम देखते हुए उन्हें युवा कांग्रेस का महासचिव बना दिया गया. लेकिन बाबा सिद्दीकी जानते थे कि उनकी मंजिल अभी दूर है इसलिए दिन-रात लगे रहे और इसका नतीजा दो साल बाद उन्हें युवा कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर दिया गया.

अब बाबा सिद्दीकी के सक्रिय राजनीति में आने का वक्त भी आ चुका था इसलिए उन्होंने कॉरपोरेशन के चुनाव लड़ने का मन बनाया. और फिर इसके बाद तो उन्होंने कभी पीछे मुड़कर देखा ही नहीं. बांद्रा पश्चिम सीट से तीन बार विधायक रहे, मंत्री भी रहे और अब इस सीट से उनके बेटे जीशान सिद्दीकी विधायक हैं.

लेकिन बात इनके फिल्मी कनेक्शन की होनी थी. तो ये कनेक्शन रहा बांद्रा. मुंबई का बांद्रा वो जगह है जहां एक समय ज्यादातर फिल्म स्टार रहा करते थे. आज भी इनमें से कईयों के बंगले इसी जगह हैं. बाबा सिद्दीकी को अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ते ही समझ आ गया था कि अगर बांद्रा से चुनाव लड़ना है और यहां परमानेंट जगह जमानी है तो फिल्मी हस्तियों को भरोसे में लेना पड़ेगा. 

इसी कवायद में उनकी मुलाकात हुई सुनील दत्त से, जो बाद में अच्छी दोस्ती में बदल गई. बाबा सुनील दत्त के अच्छे दोस्त थे और उनके हर अच्छे-बुरे दिनों में साथ खड़े रहे तो संजय दत्त बाबा सिद्दीकी की बहुत इज़्ज़त करते थे. बाद में संजय दत्त और बाबा सिद्दीकी की दोस्ती गहराई और यहीं से शुरू हुआ बाबा सिद्दीकी का असली फ़िल्मी सफर. उन इफ़्तार पार्टियों का सफर जहां बड़ी-बड़ी फ़िल्मी हस्तियां बैठने के लिए कुर्सियां तलाशती फिरती थीं.

संजय दत्त ने बाबा की मुलाकात सलमान खान से करवाई थी. सलमान से जब बाबा सिद्दीकी की अच्छी छनने लगी तब इस राजनेता को फ़िल्मी दुनिया में भरोसे का नाम माना जाने लगा. ऐसा एकछत्र भरोसा कि कभी एक-दूसरे से मिलने से भी परहेज रखने वाले सलमान और शाहरुख को बाबा ने मंच पर बुलाकर गले लगवा दिया. बॉलीवुड के ये दो सुपरस्टार बरसों बाद एक दूसरे के ना सिर्फ आमने-सामने दिखाई दिए बल्कि हंसते मुस्कुराते एक दूसरे का हालचाल लेते भी दिखे. लेकिन इन सबके पीछे फिल्मी दुनिया में चलने वाली यह बात भी थी कि जिसके साथ बाबा सिद्दीकी खड़े हों उसे ना तो किसी से डरने की जरूरत है और ना घबराने की.

चाहे हिट एंड रन केस हो या हिरण के शिकार का आरोप, सलमान खान के साथ हर हालत में बाबा सिद्दीकी खड़े रहे. हाल ही में जब बिश्नोई गैंग ने सलमान खान को जान से मारने की धमकी दी थी तब बाबा सिद्दीकी ने सरकार से सलमान की सुरक्षा बढ़ाने की अपील की थी.

गर्दिशों का साथी था ये नाम

बाबा सिद्दीकी के लंबे फ़िल्मी कनेक्शन के दो शुरूआती नाम हैं संजय दत्त और सलमान खान. इन दोनों नामों में एक बात एक ही जैसी है, वो है इनकी गर्दिश. इन दोनों पर इनके करियर के दौरान ख़ूब आरोप लगे और दोनों ने बरसों तक कोर्ट कचहरी के चक्कर काटे. संजय दत्त तो खैर जेल की सजा पूरी करके ही लौटे. लेकिन इस सबके बावजूद दोनों की हनक या उनका असर या आम भाषा में कहें तो जलवा वैसे कम नहीं हुआ जैसे और किसी हस्ती का हो जाता. कहा जाता है कि इसकी वजह बाबा सिद्दीकी का बॉलीवुड और मुंबई के सभी प्रभावशाली लोगों के बीच असर था. शायद यह भी एक वजह होगी कि बाबा पर दाउद गैंग से संबंध रखने के आरोप लगातार लगते रहे. हालांकि ये बात भी है कि इन आरोपों को बाबा सिद्दीकी ने हमेशा सिरे से खारिज़ किया और कभी किसी तरह से ये आरोप साबित नहीं हुए. 

वहीं बांद्रा में बाबा का हाथ ही हिफाज़त का हाथ माना जाता रहा है. लेकिन बाबा सिद्दीकी का बांद्रा में होना ये तो तय करता ही था कि साल में एक बार दोस्ती दुश्मनी से परे फ़िल्मी लोग एक छत के नीचे इकट्ठे होकर इंडस्ट्री की एकता का संदेश दिया करते थे. फिलहाल अब ये ज़िम्मेदारी बाबा सिद्दीकी के बेटे और बांद्रा से विधायक जीशान सिद्दीकी पर है कि वो अपने पिता की रवायत को किस तरह संभाले रखते हैं.

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