
उत्तर प्रदेश सरकार 1978 संभल दंगा केस की फाइल दोबारा से खोलने की तैयारी कर रही है. इसकी इजाजत सीएम योगी आदित्यनाथ ने दे दी है. 6 जनवरी को गृह सचिव सत्येंद्र प्रताप सिंह ने संभल SP केके बिश्नोई को लेटर लिखकर एक हफ्ते के अंदर रिपोर्ट मांगी.
46 साल पहले हुए संभल दंगा में 186 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. करीब 2 महीने तक शहर में कर्फ्यू लगा रहा था. अब दोबारा केस खोलने की खबर सामने आते ही प्रदेश में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि संभल में दंगा क्यों भड़का था?
सीएम योगी 4 दशक बाद इस केस की फाइल क्यों खुलवा रहे हैं? प्रयागराज में हो रहे कुंभ के बीच संभल पर विवाद छिड़ने की वजह क्या है? ऐसे ही जरूरी सवालों के जवाब…
होली के दिन एक अफवाह और फिर कैसे भड़का संभल दंगा?
25 मार्च 1978 की बात है. हर साल की तरह इस साल भी संभल के लोग होली खेल रहे थे. इसी बीच एक अफवाह फैली कि एक समुदाय के दूकानदार ने दूसरे समुदाय के एक शख्स की हत्या कर दी है. फिर देखते ही देखते दोनों समुदाय के लोगों के बीच तनाव की स्थिति बन गई. यहीं से शहर में हिंसा फैलनी शुरू हुई.
दोनों समुदाय के लोग अपने-अपने इलाके में हथियार लेकर सड़क पर उतर आए. शहर के ही एक बिजनेसमैन बनवारी लाल और उनके रिश्तेदारों ने आसपास के दूकानदारों को अपनी कोठी में छिपाया था. इसकी जानकारी मिलते ही दंगाइयों ने उनके घर का गेट तोड़ दिया.
दंगाइयों को रोकने के लिए खुद बनवारी लाल घर से बाहर निकलने लगे. परिवार के लोगों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि ये सब भी मेरे भाई और दोस्त ही हैं. हालांकि, जैसे ही वे घर से बाहर निकले उपद्रवियों ने उन्हें पकड़ लिया और हाथ-पैर काट दिए.
प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस अधिकारियों को बताया था कि बनवारी लाल चिल्लाते रहे मुझे काटो मत, गोली मार दो, लेकिन फिर भी बेरहमी से गला रेतकर उनकी हत्या की गई थी. उनके साथ 24 और लोगों की हत्या कर उनकी लाशें जला दी गई.
इस घटना के बाद हिंसा और ज्यादा भड़क गई. दंगे में 186 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. जब स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने हिंसा रोकने की कोशिश की तो उपद्रवियों की भीड़ ने उनपर पर हमला किया. कई लोगों ने तो संभल SDM रमेश चंद्र माथुर के ऑफिस में छिपकर जान बचाई थी. जब दंगा थमा तो पुलिस ने कार्रवाई के नाम पर 48 लोगों को आरोपी बनाया. सबूत नहीं मिलने पर 2010 में सभी आरोपी बरी हो गए.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तब जज ने अपने कमेंट में कहा था, “मैं सोच भी नहीं सकता कि ऐसे लोगों को फांसी नहीं हो रही है.” संभल दंगे की यह वीभत्स कहानी मीडिया रिपोर्ट्स में स्थानीय प्रशासन की एक इंटरनल रिपोर्ट के हवाले से छपी है.

46 साल बाद अभी अचानक कैसे खुला संभल दंगे का केस?
- 16 दिसंबर को उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान CM योगी ने 1978 के संभल दंगे का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा, “नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक 1978 के दंगों में 184 हिंदुओं को जिंदा जला दिया था. 1947 से अब तक संभल में हुए दंगों में 209 हिंदुओं की हत्या हुई.”
- अगले ही दिन 17 दिसंबर 2024 को MLC श्रीचंद शर्मा ने सीएम योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर संभल दंगा केस में दोबारा से जांच की मांग की. ऐसा माना जा रहा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसी चिट्ठी पर इस मामले में संज्ञान लिया है.
- करीब 20 दिन बाद ही 6 जनवरी को गृह सचिव सत्येंद्र प्रताप सिंह ने संभल SP केके बिश्नोई को लेटर लिखकर जांच रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए. SP ने डीएम राजेंद्र पैंसिया को लेटर लिखकर जानकारी दी और ASP श्रीश्चंद्र को पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंप दी.
इतने दिनों बाद संभल दंगे की फाइल अभी खोलने की क्या वजह है?
सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट पूर्णिमा त्रिपाठी एक इंटरव्यू में बताती हैं, “संभल के मुद्दे का 2027 विधानसभा चुनाव से सीधा कनेक्शन है. फिलहाल संभल में जो कुछ भी हो रहा है, वह 2027 से पहले थमने वाला नहीं है. 1978 के संभल दंगे का हवाला देकर विधानसभा चुनाव की तैयारी हो रही है. जिस तरह पहले के चुनावों में कैराना मुद्दा बना था, उसी तरह अब आने वाले चुनावों में BJP संभल को मुद्दा बनाएगी.”
पूर्णिमा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने सभी अदालतों को सर्वे के नए आदेश नहीं जारी करने के निर्देश दिए हैं. हालांकि, कोर्ट ने ASI को ऐसा करने से नहीं रोका है. यही वजह है कि इस तरह के सर्वे और उससे जुड़े विवाद फिलहाल जारी रहेंगे.
पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई का मानना है कि संभल की राजनीति में BJP पूरे आत्मविश्वास में नहीं है. वे दलील देते हैं, “इस सीट के इतिहास को देखें तो यहां ज्यादातर मौकों पर SP या BSP को संसदीय चुनाव में जीत मिली है. सपा के मुलायम सिंह यादव, रामगोपाल यादव लंबे समय से इस सीट से चुनाव जीतते रहे हैं. अभी भी इस सीट से सपा के ही सांसद हैं. ऐसे में संभल विवाद बढ़ता है तो निश्चित तौर पर इसका लाभ BJP को मिलेगा. इसका असर सिर्फ संभल नहीं बल्कि आसपास के इलाकों में भी 2027 में देखने को मिल सकता है.” यूपी में चल रहे कुंभ की तैयारी के बीच संभल दंगा और मंदिर-मस्जिद लड़ाई ही खबरों में है.
आखिर संभल कैसे बना मंदिर-मस्जिद लड़ाई का अखाड़ा, इसे समझने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक कर इंडिया टुडे की ये रिसर्च स्टोरी पढ़ें...

19 फरवरी 2024 को श्री कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी संभल पहुंचे थे. इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “राम की तरह ही कल्कि को भी भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. जब भगवान राम ने शासन किया, तब वह हजारों साल तक महसूस किया गया. भगवान राम की तरह कल्कि भी हजारों साल तक प्रभाव रखेंगे.” .....पूरी स्टोरी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें