आधुनिक भारत के निर्माता/ गणतंत्र दिवस विशेष
वे पहली गायिका थीं जिन्हें भारत रत्न मिला. मैग्सेसे अवार्ड जीतने वाली भी वे पहली थीं और संयुक्त राष्ट्र में अपनी गायकी पेश करने वाली भी. वे पहली और शायद इकलौती थीं जिन्होंने एक दिन इस सबको तिलांजलि दे दी. यह उन्होंने उस वक्त किया जब वे करियर के शिखर पर थीं.
अगर आपको उनका कंसर्ट बुक करना हो, तो बतौर मेहनताना वे आपसे बस एक चेक देने की गुजारिश करती थीं जो किसी भी चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर बना हो. एक बार एक रात्रिभोज में उन्होंने अपनी हीरे की कान की बालियां उतारकर आयोजकों को सौंप दीं और कहा कि जरूरतमंदों के लिए कोष बनाना शुरू करो. ये हीरे, हम जैसे मुरीदों के लिए, उनकी चमक और खूबसूरती का आनंद लेने के लिए थे, पर उनके लिए ये सतही शृंगार और आभूषण थे. लोग केवल उनकी आध्यात्मिकता और दानशीलता की बातें करते हैं. मुझे कभी-कभी हैरानी होती है कि कहीं यह उनसे उनकी संगीतात्मकता छीनना तो नहीं है. उनका संगीत बेहद बौद्धिक था. उनका खजाना वाकई बहुत विशाल था.
मैं खुशकिस्मत थी कि मुझे उन्हें जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर करीब से देखने का मौका मिला. फिर भी जब अंत करीब आता है, जब आपको विदा देनी होती है, तब आप अनाथ और बेपतवार नाव की तरह महसूस करते हैं. जब मैंने आखिरी बार उन्हें देखा, उन्होंने मैरून रंग की रेशम की साड़ी पहनी थी, गुलाब की पंखुडिय़ों ने उन्हें ढक रखा था और वे हमेशा की तरह खुशबूदार और तरोताजा दिखाई दे रही थीं. आज भी जब मैं गाती हूं, केवल मेरे होंठ हिल रहे होते हैं. मेरे दिमाग के तहखाने में लगातार बजते टेप रिकॉर्डर की तरह एम.एस. अम्मा की आवाज होती है जिसका अनुसरण करने की कोशिश मैं करती रहती हूं. वे अब मेरे होने में इस कदर घुल-मिल गई हैं कि मुझे हैरानी होती है कि मुझे उनकी कमी क्यों नहीं खलती. ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि वे हमेशा मेरे भीतर रहती हैं.
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