बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में कद्दावर नेताओं का पार्टी से बाहर होना कोई नई बात नहीं है. मगर बसपा सुप्रीमो मायावती की ओर से अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के प्रमुख पदों से बेदर्दी से हटाने और अगले दिन 3 मार्च को निष्कासन ने पार्टी में हलचल मचा दी. मायावती ने अपने फैसले के लिए आकाश के एक सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला दिया. 'एक्स' पर मायावती ने कहा कि आकाश को इसलिए हटाया गया क्योंकि वह अपने ससुर और पूर्व बसपा सांसद अशोक सिद्धार्थ के प्रभाव में थे, जिन्हें पिछले महीने पार्टी से निकाल दिया गया था. उन्होंने कहा कि आकाश को 'पश्चाताप' करके परिपक्वता दिखानी चाहिए थी, पर उन्होंने ऐसा नहीं किया.
असल में पार्टी से निकाले जाने की घोषणा से कुछ घंटे पहले ही आकाश ने बसपा के राष्ट्रीय संयोजक पद से हटाए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए 'एक्स' पर खुद को मायावती का सच्चा सिपाही, 'बहुजन मिशन' और आंदोलन का सच्चा कार्यकर्ता बताते हुए पार्टी और मिशन के लिए पूरी निष्ठा से काम करने और दलितों के अधिकारों के लिए 'अपनी आखिरी सांस तक' लड़ते रहने की बात कही. आकाश ने सियासी प्रतिद्वंद्वियों पर भी निशाना साधते हुए कहा, "प्रतिद्वंद्वी पार्टी के कुछ लोग सोच रहे हैं कि मेरा राजनीतिक करियर खत्म हो गया है...उन्हें समझना चाहिए कि बहुजन आंदोलन करियर नहीं, बल्कि करोड़ों दलितों, शोषितों, वंचितों और गरीबों के स्वाभिमान और आत्मसम्मान की लड़ाई है...लाखों आकाश आनंद इस मशाल को जलाए रखने और इसके लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए हमेशा तैयार हैं." यही पोस्ट मायावती को नागवार गुजरी.
मायावती ने 2 मार्च को जब आकाश को बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक पद से हटाने की घोषणा की, तो यह 10 महीने में दूसरी बार था, जब उन्होंने ऐसा फैसला लिया. मायावती 2017 से ही अपने भाई आनंद कुमार के बेटे 30 वर्षीय आकाश आनंद को अपना सियासी उत्तराधिकारी बनाने की तैयारी में थीं. उन्होंने जून 2019 में आकाश को पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया. दिसंबर 2023 में मायावती ने आकाश को अपना सियासी उत्तराधिकारी नामित किया. इस कदम को युवा दलित नेता चंद्रशेखर आजाद के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के उपाय के रूप में भी देखा गया.
2024 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मायावती ने सीतापुर में अभद्र भाषा के एक मामले में आकाश के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक और अपने उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया. जनसभाओं में आकाश के तीखे भाषण, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष और मीडिया को दिए इंटरव्यू को पार्टी लाइन के खिलाफ माना जाता था. लोकसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन और हरियाणा, महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए मायावती ने अगस्त 2024 में आकाश को फिर प्रमुख पदों पर बहाल कर दिया था. उन्हें हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनावों में पार्टी अभियान का नेतृत्व सौंपा गया.
बुआ और भतीजे के रिश्ते में अचानक आई दरार पर वैसे तो कोई बसपा नेता बोलने को तैयार नहीं मगर अंदरखाने से मिली जानकारी के मुताबिक, मायावती ने जब आकाश को हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में चुनाव प्रचार की कमान सौंपी तो आकाश ने अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ के साथ मिलकर उम्मीदवारों के चयन, प्रचार कोष जुटाने और रणनीति बनाने समेत पार्टी के सारे काम करने शुरू कर दिए. रामजी गौतम समेत मायावती के विश्वासपात्र माने जाने वाले वरिष्ठ पार्टी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया. बसपा में दो गुट बनने लगे. एक ओर मायावती के करीबी थे तो दूसरी ओर आकाश के वफादार.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद मायावती के वफादारों ने उन्हें चुनाव में आकाश और अशोक की भूमिका तथा पार्टी कोष के कथित कुप्रबंधन के बारे में जानकारी दी. मायावती को यह भी बताया गया कि आकाश-अशोक की जोड़ी विभिन्न राज्यों में संगठन पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है. बसपा के एक नेता बताते हैं, "बहन जी को बसपा के दो गुटों में बंटने का डर था क्योंकि कई नेता तेजी से आगे बढ़ने की चाहत में आकाश आनंद और अशोक सिद्धार्थ के साथ लामबंद हो रहे थे."
पार्टी में गुटबाजी खत्म करने और इस जोड़ी को प्रभावहीन करने के लिए 15 जनवरी को अपने जन्मदिन के जश्न के दौरान मायावती ने अपने छोटे भतीजे ईशान आनंद के लिए पार्टी के दरवाजे खोले, जो उनके भाई आनंद कुमार के दूसरे बेटे हैं. फिर भी जब अंदरूनी हालात नहीं संभले तो 12 फरवरी को लखनऊ में समीक्षा बैठक में मायावती ने अशोक को पार्टी से निष्कासित करने की घोषणा की. बसपा के पूर्व सांसद 60 वर्षीय अशोक मायावती के करीबी थे. निकाले जाने से पहले वे दक्षिणी राज्यों के पार्टी प्रभारी थे. 1984 में कांशीराम की ओर से बसपा के गठन से पहले वे बामसेफ से जुड़े थे. वे बसपा प्रमुख के इतने करीबी थे कि उन्होंने 27 मार्च 2023 को अपनी बेटी प्रज्ञा से आकाश की शादी आसानी से करवा दी.
बसपा के प्रथम परिवार में घमासान के बीच मायावती ने फिर अपने भाई आनंद कुमार पर भरोसा जताया, जिन्होंने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने के बावजूद कभी अपनी महत्वाकांक्षा नहीं दिखाई. वे हमेशा सुर्खियों से दूर रहे हैं. 2 मार्च को पार्टी की बैठक में मायावती ने कार्यकर्ताओं से कहा, "चाहे कागजी काम हो, आयकर हो, अदालती मामले हों, सभी आनंद कुमार संभालते हैं, जिन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी. उन्होंने कांशीराम की भी देखभाल की, जब वे बीमार थे." मायावती ने घोषणा की कि जब तक वे जीवित हैं, उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा.
पार्टी पर पकड़ मजबूत करने के लिए उन्होंने आनंद कुमार और रामजी गौतम को राष्ट्रीय समन्वयक बनाया. इसके साथ ही मायावती ने 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव के लिए भी संगठन को नए सिरे से तैयार करना शुरू किया है. उन्होंने हर मंडल में बसपा के चार कोआर्डिनेटर तैनात किए हैं. इसके अलावा दो जिला प्रभारी और दो विधानसभा प्रभारी भी बनाए गए हैं. आकाश के बगैर बसपा अपनी खोई सियासी जमीन कितना हासिल कर पाएगी? इसका जवाब भविष्य के गर्त में है.
बसपा के भीतर बढ़ती गुटबाजी के चलते मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को दिखाया पार्टी से बाहर का रास्ता. इसके साथ ही मायावती ने साल 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए संगठन को नए सिरे से तैयार करना शुरू कर दिया है.