
केरल में कांग्रेस का उत्साह इन दिनों चरम पर है. पार्टी 2026 के विधानसभा चुनाव में 140 में से 100 सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है. नेता विपक्ष वी.डी. सतीशन ने 28 फरवरी को दिल्ली में आलाकमान के सामने व्यापक रणनीति पेश की. वैसे यह बैठक पार्टी के भीतर सब कुछ ठीकठाक करने के उद्देश्य से बुलाई गई थी, खासकर ऐसे समय में जब चार बार के सांसद शशि थरूर पार्टी में अपनी भूमिका बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं और राहुल गांधी से नजदीकी के कारण महासचिव के.सी. वेणुगोपाल का कद बढ़ रहा है. बैठक थोड़ी ही देर में एक तमाशे में बदल गई, जिसमें सतीशन ने कहा कि उन्हें सीएम बनने में कोई दिलचस्पी नहीं है, फिर पीसीसी प्रमुख के. सुधाकरन ने ऐसी ही बात कही. इसके बाद तो सभी नेताओं ने यही बात दोहराई और राहुल ने ऐलान किया कि केरल इकाई में सब ठीक है. बहरहाल, चुनाव साल भर की दूरी पर हैं और कांग्रेस की विधानसभा सीटें अभी सिर्फ 21 हैं. नेताओं में खुद को पार्टी के लिए कुर्बान करने की होड़ देख कहा जा सकता है...ताल खुदे नहीं और मगरमच्छ कूदने लगे!
समिति या श्रीमती!
उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भाजपा के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह अपना लिखित भाषण पढ़ रहे थे, तभी उनकी एक चूक से सदन में ठहाके गूंज उठे. असल में उन्होंने 'विधायी समाधिकार समिति' की जगह गलती से 'विधायी समाधिकार श्रीमती' बोल दिया. स्पीकर कुंवर मानवेंद्र सिंह ने तुरंत उनकी गलती सुधारी लेकिन तब तक नुक्सान हो चुका था. संदीप सिंह की गलती पर सिर्फ विपक्ष ही नहीं पार्टी के सदस्य भी हंसते दिखे. कांग्रेस ने समय गंवाए बिना उनके भाषण की क्लिप को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया और लिखा, "शिक्षकों की भर्ती जल्द होनी चाहिए ताकि मंत्री भी पढ़ना-लिखना सीख सकें." इससे चिंतित भाजपा के भीतर भी फुसफुसाहट शुरू हो गई. चिंता वाजिब है क्योंकि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पोते संदीप विपक्ष को बैठे-बिठाए इस तरह घेरने का मुद्दा नहीं थमा सकते.

दोहरी भूमिका की मुश्किल
प्रशांत किशोर सियासी मैदान में संतुलन साधने में माहिर रहे हैं. लेकिन हाल ही वे लड़खड़ा गए जब उन्होंने थांती टीवी पर जोरदार ढंग से ऐलान किया कि अभिनेता विजय की नवगठित पार्टी तमिलगा वेत्री कलगम (टीवीके) 2026 में अकेले (अन्नाद्रमुक के बिना) चुनाव लड़ेगी. इस पर नए खिलाड़ी का चौंकना लाजिमी था, इसलिए कि किशोर ने टीवीके के गठन की सालगिरह पर उसे 'तमिलनाडु का सपना' करार देते हुए इसकी जीत सुनिश्चित करने का संकल्प जताया था. विजय को यह घोषणा पसंद नहीं आई तो टीवीके ने 2 मार्च को संदेश जारी किया कि केवल प्रवक्ता पार्टी के बारे में कुछ बोलेंगे. किशोर का संगठन सिंपल सेंस अन्नाद्रमुक का डिजिटल अभियान चलाने में व्यस्त है. रणनीतिकार और किंगमेकर बनना चाह रहे किशोर के लिए संतुलन साधना अब मुश्किल हो गया. वैसे भी तमिलनाडु के लोग खत का मजमून भांपने में कम माहिर नहीं हैं.
प्रशंसा का राज
शिवसेना (यूबीटी) को वैसे तो भाजपा का साथ छोड़ने पर कई बार पछतावा होता है. लेकिन पार्टी अपने सियासी दुश्मन की तारीफ करे तो अजीब लगता है. पार्टी के मुखपत्र सामना ने हाल ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तारीफ की क्योंकि उन्होंने निजी स्टाफ की नियुक्तियों के लिए 16 मंत्रियों की सिफारिशें खारिज कर दी थीं. हालांकि, शिवसेना (यूबीटी) ने यह प्रशंसा यूं ही नहीं की थी. खारिज 16 नामों में से 12 एकनाथ शिंदे की शिवसेना के मंत्रियों के थे. यह सिर्फ संयोग तो लगता नहीं.

मुसीबत बन गया डांस
गुजरात के आप विधायक चैतर वसावा सूरत में एक शादी में शामिल होने पहुंचे तो खुद को संगीत की धुन पर थिरकने से रोक नहीं पाए. और उनका डांस तुरंत वायरल हो गया. ऐसा नहीं कि उनका डांस स्टेप बहुत अनूठा था, बल्कि सबकी नजरें उनके साथ नाच रहे व्यक्ति पर टिक गईं. छोटा उदयपुर के आदिवासी नेता के साथ नाचने वाला शराब तस्कर बुधियो था. बवाल बढ़ा तो आप ने दावा किया कि बुधियो भाजपा का आदमी है. लेकिन दिल्ली में हार से उबरने में जुटी पार्टी में वसावा के भविष्य को लेकर कानाफूसी शुरू हो गई. बाद में वसावा ने कहा कि उन्हें पता ही नहीं है कि बुधियो कौन है. वे तो बस साथ नाचने में कदम मिला रहे थे. सही कहा गया है, गलत जगह और गलत समय में उठाया कदम प्याले में तूफान खड़ा कर सकता है.