
मध्य प्रदेश को कृषि आधारित अर्थव्यवस्था से मैन्युफैक्चरिंग आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने की नींव पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रखी थी. अब 15 महीने बाद उनके उत्तराधिकारी मोहन यादव के सामने इस परियोजना को आगे बढ़ाने की चुनौती है.
सो, वे 24 और 25 फरवरी को राजधानी भोपाल में द्विवार्षिक वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन या ग्लोबल इन्वेस्टर समिट (जीआइएस) के 8वें संस्करण का आयोजन कर रहे हैं, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे.
सम्मेलन की तैयारियां एक साल पहले मार्च 2024 में शुरू हुई थीं. मध्य प्रदेश सरकार ने उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर और दूसरी जगहों पर सात क्षेत्रीय निवेशक शिखर सम्मेलन आयोजित किए. सरकारी सूत्रों का कहना है कि शिखर सम्मेलनों में 4 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव आए हैं.
उज्जैन के आयोजन में ही अदाणी समूह से 75,000 करोड़ रुपए का प्रस्ताव मिला. लेकिन नए कारोबार के लिए लुभावनी तो औद्योगिक संवर्धन नीति 2025 होगी, जिसे मध्य प्रदेश कैबिनेट ने 11 फरवरी को मंजूरी दी. इसमें बुनियादी निवेश संवर्धन मदद (बीआइपीए) में बढ़ोतरी के प्रावधान हैं. यह राज्य में स्थापित औद्योगिक इकाइयों को दी जाने वाली वित्तीय मदद है.
इसके अलावा राज्य के 40 चिन्हित पिछड़े ब्लॉकों में इकाइयां स्थापित करने वालों या उत्पादन का 25-75 फीसद निर्यात करने वालों को अतिरिक्त मदद के प्रावधान हैं. नीति का जोर मुख्य रूप से तीन बातों पर है:
> नीति में डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र, खिलौने, रत्न तथा आभूषण और फर्नीचर उद्योग को सघन रोजगार वाले क्षेत्रों के रूप में चिन्हित किया गया है, जिसमें निवेश करने पर आगे लाभ प्राप्त किया जा सकेगा. 50 करोड़ रुपए से अधिक निवेश वाली इकाइयों को देय बीआइपीए मदद के लिए फिक्स कैपिटल इन्वेस्टमेंट (ईएफसीआइ) को (10-40 फीसद तक) युक्तिसंगत बनाया गया है और उसकी ऊपरी सीमा बढ़ाकर 200 करोड़ रुपए कर दी गई है.
> करीब 250 करोड़ रु. के निवेश वाली फार्मा, बायोटेक्नोलॉजी, प्लास्टिक, पॉलीमर और अक्षय ऊर्जा इकाइयों को 'सनराइज सेक्टर' के रूप में चिन्हित किया जाएगा, जिससे इन इकाइयों भी लाभ मिलेंगे. मध्य प्रदेश में कमतर एफडीआइ निवेश (राज्य शीर्ष 10 राज्यों में भी नहीं है) के मद्देनजर नई नीति ऐसी इकाइयों को बीआइपीए मदद 1.2 गुना बढ़ाती है.
> चारों ओर से भूमि से घिरे होने के कारण बंदरगाहों तक पहुंच नहीं है, लिहाजा राज्य सरकार बंदरगाह तक तैयार माल के ढुलाई खर्च का कुछ बोझ उठाने के लिए हर साल एक इकाई को अधिकतम 2 करोड़ रुपए की पेशकश कर रही है.
मध्य प्रदेश यह सब पहले क्यों नहीं कर पाया? जवाब में मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम के एमडी चंद्रमौलि शुक्ला कहते हैं, ''पारदर्शिता और डिलिवरी के लिए माहौल बनाने की जरूरत है. निवेश लाने की हमारी योजना के लिए कारोबारी सहूलत बहुत जरूरी है. हम उद्योग से जुड़े सभी काम लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत लाकर नौकरशाही को फैसले के लिए जवाबदेह बना रहे हैं.''
उद्योग जगत मोटे तौर पर इस पर सहमत है कि कुछ शर्तों और चेतावनी के साथ यह सही दिशा में उठाया गया कदम है. शक्ति पंप्स के एमडी तथा एमपी-सीआइआइ के चेयरमैन दिनेश पाटीदार कहते हैं, ''उद्योग जगत को सरकार से मिलने वाले लाभों की उतनी परवाह नहीं है, जितनी समय पर फैसले की. फैसले में देरी उद्योग के लिए घातक हो सकती है.''
राज्य सरकार ने उद्योग संगठन सीआइआइ को 23 फरवरी को भोपाल में अपनी राष्ट्रीय परिषद की बैठक के लिए राजी कर लिया है, ताकि यह तय हो सके कि जीआइएस से एक दिन पहले शीर्ष सीईओ शहर में हों. लेकिन यह शिखर सम्मेलन के बाद की कार्रवाई ही है जो यह तय करेगी कि मध्य प्रदेश औद्योगिक महाशक्ति के रूप में उभरने के लिए अपने तौर-तरीकों से हटकर कुछ कर सकता है या नहीं.
स्थानीय उद्योगों को सरकार से मिलने वाले लाभों की उतनी परवाह नहीं है, जितनी समय पर फैसले की.
'हमने नियम-कायदे आसान बनाए हैं'
सीएम मोहन यादव मध्य प्रदेश को बड़ा औद्योगिक केंद्र बनाने के लिए उत्साहित हैं. उन्होंने आगे के कदमों के बारे में राहुल नरोन्हा से बातचीत की. पेश हैं बातचीत के अंश:

प्र. शिखर सम्मेलन पहले भी किए गए हैं. इस संस्करण में क्या अलग हैं?
खैर, इस बार मैंने तय किया है कि नीतियां निवेशकों के अनुकूल हों और नियम सरल हों. पहले, मध्य प्रदेश में व्यवसाय शुरू करने के लिए 28 मंजूरियों की जरूरत होती थी, हमने उन्हें घटाकर 10 कर दिया है.
• शिखर सम्मेलन से पहले पूरे प्रदेश में क्षेत्रीय शिखर सम्मेलन आयोजित किए गए. इससे क्या मदद मिली?
इससे देश में और उसके बाहर भी मध्य प्रदेश के लिए सकारात्मक माहौल बना और सरकार के विभिन्न अंगों के बीच रफ्तार भी बनी रही. संदेश स्पष्ट है—यह सिर्फ एक बार होने वाला आयोजन नहीं है. मैंने खुद पद संभालने के बाद से उद्योगों के लिए 38 दिन लगाए हैं. मुख्यमंत्री के नाते यह काफी समय है.
• प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) मध्य प्रदेश से काफी हद तक दूर रहा है...
हम विदेशी निवेश का मुद्दा सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. हमने कुछ मदद की पेशकश की है, नीतियां बनाई हैं जिनमें कई फायदे हैं. इन सबसे रिकॉर्ड निवेश आएगा.
• आपने मध्य प्रदेश में कुछ जगहों पर शराबबंदी लागू की है. क्या इससे राज्य में निवेश पर असर नहीं पड़ेगा?
पहले से ही कई प्रतिबंध लागू थे, लेकिन हम उन्हें तर्कसंगत बनाने की कोशिश कर रहे हैं. जैसे कि उज्जैन में, मंदिर के चारों ओर एक किलोमीटर के दायरे में शराब पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसलिए शहर के नगरपालिका क्षेत्रों को भी इसमें शामिल करने का प्रस्ताव है, लेकिन उसके बाहर आप शराब खरीद सकते हैं. कानून को लागू करने का एक व्यावहारिक पक्ष भी है.
• उद्योग जगत की प्रतिक्रिया कहती है कि लालफीताशाही से निवेश की रक्रतार धीमी हो गई है. क्या आप सहमत हैं?
नौकरशाही या कारोबार पर सख्त होने से हमें निवेश नहीं मिलेगा, हम सभी को मिलकर काम करना होगा. लेकिन यह सच है कि नौकरशाही को अपने अहंकार से बाहर आना होगा. राज्य का कल्याण हमारा साझा लक्ष्य है.
• हमें तीन वजहें बताएं कि किसी को मध्य प्रदेश में निवेश क्यों करना चाहिए?
तीन वजहें क्या, मैं 30 वजहें बता सकता हूं. हमारे पास अतिरिक्त बिजली है, लेबर की कोई समस्या नहीं है, पर्याप्त लैंड बैंक है, कनेक्टिविटी है और निवेशक-अनुकूल नीतियां हैं... हम निवेश प्रस्तावों का फॉलो-अप भी करते हैं जो उन्हें सुरक्षित करने के लिए अहम है.
''पहले मध्य प्रदेश में बिजनेस शुरू करने के लिए 28 मंजूरियां लेनी होती थीं, हमने उन्हें घटाकर 10 कर दिया है.''