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क्या दिल्ली में बन सकेगी बीजेपी की ट्रिपल इंजन सरकार?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में 27 साल के बाद विजेता बनी बीजेपी अब दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में होने वाला मेयर चुनाव जीतकर राष्ट्रीय राजधानी में 'ट्रिपल इंजन सरकार’ बनाने के करीब पहुंच गई है.

बढ़ता कुनबा आप पार्षद अनीता बसोया, निखिल चपराना आदि बीजेपी में आने पर प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के साथ 15 फरवरी को
बढ़ता कुनबा आप पार्षद अनीता बसोया, निखिल चपराना आदि बीजेपी में आने पर प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के साथ 15 फरवरी को
अपडेटेड 5 मार्च , 2025

दिल्ली में सरकार बनाने के साथ ही अब बीजेपी प्रदेश की सत्ता के तीसरे इंजन पर भी काबिज होती दिख रही है. यह तीसरा इंजन है दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी. दिल्ली प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा कहते हैं, ''दिल्ली में सही समय पर केंद्र, विधानसभा और नगर निगम स्तर पर 'ट्रिपल इंजन’ की सरकार होगी, जो इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत’ के सपने की राजधानी के रूप में विकसित करेगी.’’ एमसीडी के मेयर का चुनाव अप्रैल, 2025 में होगा और पार्टी अभी से इसमें जुट गई है.

इसकी पहली झलक तब मिली जब 15 फरवरी को आम आदमी पार्टी (आप) के तीन पार्षद बीजेपी में शामिल हुए. इसके बाद एमसीडी में आप और बीजेपी दोनों के पार्षदों की संख्या 115-115 हो गई है. दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के पार्षदों की संख्या 120 थी. लेकिन इनमें से आठ विधायक बन गए. इससे यह संख्या घटकर 112 पर पहुंच गई थी. वहीं विधानसभा चुनाव से पहले आप के पार्षदों की संख्या 121 थी. आप के भी तीन पार्षद विधायक बन गए और अब तीन पार्षद बीजेपी में चले गए. फिर आप पार्षदों की संख्या बची 115.

पार्षदों की संख्या तो बराबर है लेकिन एमसीडी के मेयर चुनाव से संबंधित जो दूसरे नियम हैं, उससे यह चुनाव बीजेपी के पक्ष में जाता दिख रहा है. एमसीडी में पहले सांसदों और विधायकों में से मनोनीत 14 सदस्यों को एमसीडी का सदस्य तो माना जाता था लेकिन उनके पास वोटिंग का अधिकार नहीं था. लेकिन 2015 में दिल्ली हाइकोर्ट के एक आदेश से इन्हें वोटिंग का अधिकार मिल गया. 

इस आदेश से यह भी तय हुआ कि मेयर चुनाव में दिल्ली के सभी लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को भी वोट देने का अधिकार है. लोकसभा के सातों सांसद बीजेपी के हैं. इस तरह बीजेपी की संख्या पहुंच गई 122 पर. वहीं राज्यसभा के सभी तीन सांसद आप के हैं. इससे आप के वोटों की संख्या 118 पर पहुंच जाएगी. इनके अलावा दिल्ली के कुल 14 विधायकों को भी मेयर चुनाव में वोट देने का अधिकार है.

विधानसभा में पार्टी विधायकों की संख्या के अनुपात में इन की हिस्सेदारी होती है. विधानसभा में बीजेपी के 48 और आप के 22 विधायक हैं. इस हिसाब से यह माना जा रहा है कि 14 विधायकों में से 10 बीजेपी और चार आप के होंगे. इसके चलते बीजेपी के वोट 132 हो जाएंगे. वहीं आप की संख्या 122 रह जाएगी. कांग्रेस पार्षदों की संख्या आठ है. अब अगर ये सभी आप के पाले में जाते हैं, तब भी आप के लिए अपना मेयर बना पाना संभव नहीं होगा.

एमसीडी में दल-बदल कानून लागू नहीं होता और इसका फायदा भी बीजेपी को मिलता दिख रहा है. 2024 में मेयर चुनाव के दौरान भी करीब दस पार्षदों ने बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी, हालांकि तब पार्टी अपना मेयर नहीं बना पाई थी. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, "आप के पार्षदों को लग रहा है कि केंद्र और राज्य में अब बीजेपी की सरकार है. ऐसे में अगर अपने क्षेत्र में ठीक से काम करके दो साल बाद होने वाले निगम चुनावों में फिर जीतना है तो आप के साथ फायदा नहीं है. वहीं पिछले मेयर चुनाव में भी क्रॉस वोटिंग हुई थी. इस बार भी ऐसा हो सकता है."

अपने पार्षदों के बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर आप के नेता कुछ भी आधिकारिक तौर पर कहने से बच रहे हैं. हालांकि पार्टी के एक नेता नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं, "अभी संख्या बल बीजेपी के पक्ष में है. पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि मेयर चुनाव में आप जीत हासिल करे. इसके लिए खुद अरविंद को आगे आना पड़ेगा." हालांकि जब विधानसभा चुनाव में आप प्रमुख बेअसर रहे तो ऐसे में एमसीडी में उनकी पार्टी हारी बाजी पलट देगी, इसकी संभावना कम ही दिखती है.

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