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कैसे महाकुंभ भाजपा के लिए दलित और पिछड़ी जातियों को लुभाने का भी आयोजन बना!

महाकुंभ में विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए भाजपा ने दलित और पिछड़ी जातियों को लुभाने और विपक्ष के संविधान विरोधी नैरेटिव को तोड़ने की भरपूर कोशिश की

महाकुंभ में तैनात सफाई कर्मियों को संविधान की प्रति भेंट करते प्रदेश भाजपा मंत्री अभिजात मिश्रा
अपडेटेड 26 फ़रवरी , 2025

प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में डुबकी लगाने आ रहे श्रद्धालुओं के लिए कई सारे आकर्षण के बीच त्रिवेणी मार्ग पर उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य विभाग के पंडाल में खासी भीड़ जुट रही है.

महाकुंभ नगर के सेक्टर एक में गंगा मंडपम की बगल में मौजूद इस पंडाल को 'संविधान गैलरी' का नाम दिया गया है और इसकी टैग लाइन है, ''हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान.''

पंडाल में प्रवेश करते ही दाईं ओर लकड़ी का बना भारतीय संविधान का मॉडल रखा है जिसे युवाओं के बीच सेल्फी पॉइंट के रूप में पसंद किया जा रहा है. 'संविधान गैलरी' के भीतर एक बड़ी स्क्रीन को छूते ही संविधान की किताब के पन्ने खुल जाते हैं और 'टाइमलाइन' ऑप्शन के जरिए संविधान की यात्रा के महत्वपूर्ण कालखंड चंद सेकंड में वर्षवार दिख जाते हैं.

यहां एक 'इंटरैक्टिव वॉल' भी है जिस पर संविधान के निर्माण के क्रम में संविधान सभा के सदस्यों के अथक प्रयासों को चित्रों के जरिए दर्शाया गया है. 'वर्चुअल रियलिटी' (वीआर) हेडसेट के जरिए उन गौरवशाली पलों को महसूस करने की भी सुविधा उपलब्ध है.

यहीं पर ऑडियो-वीडियो वॉल के जरिए संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद व प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. बी.आर. आंबेडकर के भाषण को देखा-सुना जा सकता है. यहां पर संविधान की मूल प्रति भी रखी है जो युवाओं के बीच आकर्षण का केंद्र है. इस गैलरी में लगी डॉ. आंबेडकर की आदमकद प्रतिमा के साथ फोटो खिंचवाने वालों की लंबी कतार हर वक्त देखी जा सकती है.

यूपी के संसदीय कार्य विभाग ने महाकुंभ में संविधान के विभिन्न पहलुओं को समझने का अवसर दिया है तो यहां से करीब 12 किलोमीटर दूर महाकुंभ नगर के सेक्टर सात में केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने भी ऑडियो-विजुअल तरीकों से भारतीय संविधान के विभिन्न पहलुओं को दर्शाने की व्यवस्था की है. 

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के विभागों ने इस बार अगर भारतीय संविधान और डॉ. बी.आर. आंबेडकर के योगदान को महाकुंभ में प्रमुखता से प्रदर्शित करने की व्यवस्था की है तो पार्टी संगठन भी पीछे नहीं है. यूपी भाजपा के प्रदेश मंत्री अभिजात मिश्रा के नेतृत्व में 17 जनवरी को भाजपा कार्यकर्ताओं के एक समूह ने प्रयागराज आकर महाकुंभ में काम कर रहे सफाई कर्मचारियों के बीच संविधान की प्रतियां बांटी.

संविधान की प्रतियों के साथ अभिजात मिश्रा और अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं ने सफाई कर्मचारियों को डॉ. बी.आर. आंबेडकर की तस्वीर और भारतीय तिरंगा भी सौंपा. माना जा रहा है कि सफाई कर्मचारियों के बीच भाजपा की यह कवायद विशेष रूप से दलित और अति पिछड़ी जातियों को सकारात्मक संदेश देने की कोशिश है. राजनैतिक विश्लेषक भाजपा की इस रणनीति के पीछे कुछ दूसरे पहलुओं पर भी गौर कर रहे हैं.

लखनऊ के बाबा साहेब डॉ. भीम राव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में प्रोफेसर और जातियों पर शोध करने वाले सुशील पांडेय बताते हैं, ''संसद में गृह मंत्री अमित शाह की डॉ. आंबेडकर पर की गई टिप्पणी से विवाद खड़ा होने के बाद से भाजपा का ध्यान संविधान और आंबेडकर पर केंद्रित हो गया है.

महाकुंभ में संविधान और डॉ. आंबेडकर के जरिए भाजपा देश भर से आ रहे श्रद्धालुओं से जुड़ाव को मजबूत करने की कोशिश कर रही है. इस तरह यह विपक्षी दलों के भाजपा को संविधान और आरक्षण विरोधी साबित करने के प्रयासों को बेअसर साबित करने की रणनीति भी है.'' 

महाकुंभ में संविधान गैलरी पंडालः हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के इंडिया गठबंधन ने यूपी में भाजपा को संविधान और आरक्षण विरोधी साबित करने में पूरा जोर लगाया था. इसका असर यह हुआ था कि यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से भाजपा गठबंधन 37 सीटों पर सिमट गया था और इंडिया गठबंधन के खाते में 43 सीटें आई थीं. भाजपा अब संविधान और आरक्षण के जरिए पार्टी को दलित और ओबीसी विरोधी साबित करने की विपक्षी दलों की रणनीति की काट के लिए हर स्तर पर प्रयास करती दिख रही है.

महाकुंभ के आयोजन के जरिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 'सामाजिक समता' का संदेश भी दे रहे हैं. प्रयागराज के अरैल इलाके के त्रिवेणी संकुल में 22 जनवरी को कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी जब मीडिया को लिए गए निर्णयों की जानकारी देने पहुंचे तो उन्होंने सियासी गठबंधन की मजबूती का भी बखूबी संदेश दिया. योगी ने उस वक्त सबको चौंका दिया जब उन्होंने कहा ''अपने आशीष पटेल कहां हैं? आगे आइए.'' मुख्यमंत्री योगी से ऐसा संबोधन सुनते ही पटेल मुस्कराते हुए आगे आकर खड़े हो गए.

इसके बाद योगी ने एक-एक करके संजय निषाद और ओम प्रकाश राजभर को भी बुलाकर अगली पंक्ति में खड़ा किया. प्राविधिक शिक्षा विभाग में विभागाध्यक्षों की प्रोन्नति में अनियमितता के आरोपों से नाराज आशीष पटेल पिछले कुछ समय से अपनी ही सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं तो पिछले वर्ष हुए विधानसभा उपचुनाव में भाजपा से सीट न मिलने से संजय निषाद की नाराजगी की बातें भी राजनैतिक गलियारों में प्रमुखता से बताई जा रही हैं.

सहयोगी दलों के मंत्रियों की नाराजगी को विपक्ष पिछड़ी जातियों से जोड़कर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रहा है. कैबिनेट बैठक के बाद सहयोगी दलों के मंत्रियों को तवज्जो देकर योगी ने पिछड़ी जातियों को सकारात्मक संदेश देने की भरपूर कोशिश की. यह योगी की उस रणनीति की झलक भी थी जिसमें उन्होंने महाकुंभ को ''सामाजिक समता का महापर्व'' कहा है. उनकी सरकार ने महाकुंभ के उपलक्ष्य में कुछ पोस्टर भी जारी किए हैं, जो इस संदेश से संबंधित हैं.

उनमें से एक में प्रयागराज के शृंग्वेरपुर में हाल ही में उद्घाटित निषाद राज पार्क में निषाद राज के साथ भगवान राम की कांस्य प्रतिमा की तस्वीर है जबकि एक अन्य पोस्टर में प्रयागराज में आयोजित 2019 कुंभ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफाई कर्मचारियों के पैर साफ करने की तस्वीर है. 

योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2019 कुंभ में प्रयुक्त की गई अपनी पहल को आगे बढ़ाते हुए महाकुंभ में काम करने वाले 15,000 से अधिक सफाई कर्मचारियों और श्रमिकों के बच्चों को दो महीने की शिक्षा देने के लिए 'विद्या कुंभ' के नाम से मेला क्षेत्र में पांच अस्थाई प्राथमिक स्कूल खोले हैं. इन स्कूलों में छात्रों को डिजिटल और स्मार्ट क्लास के जरिए नि:शुल्क पढ़ाई करवाई जा रही है. सरकार ने इन बच्चों के लिए नि:शुल्क ड्रेस और किताबों की भी व्यवस्था की है.

अब तक इन स्कूलों में 1,000 से अधिक विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है. सफाई कर्मचारियों के नेता डॉ. सुधाकर वाल्मीकि कहते हैं, ''योगी सरकार ने महाकुंभ में तैनात सफाई कर्मचारियों के लिए टेंट की बनी अस्थाई कॉलोनी का भी निर्माण कराया है. इसके अलावा, पहली बार इन कर्मचारियों के नियमित नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण की भी व्यवस्था है.'' 

प्रधानमंत्री मोदी ने 13 दिसंबर को प्रयागराज से 40 किलोमीटर दूर शृंग्वेरपुर के निषाद राज उद्यान में स्थापित भगवान राम और निषादराज की गले मिलते हुए 51 फुट ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण किया था. यूपी की सामाजिक न्याय समिति-2001 की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश की पिछड़ी जातियों में निषाद समाज की आबादी 4.33 फीसद है. प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में मुख्यत: नदियों के किनारे रहने वाली जातियों को पूर्वांचल में आमतौर पर निषाद, पश्चिम में कश्यप, फर्रुखाबाद में बाथम, झांसी के आसपास रैकवार के नाम से जाना जाता है.

पूर्वांचल के डेढ़ दर्जन जिलों में इनकी प्रभावी संख्या है. अकेले प्रयागराज में निषाद बिरादरी के लोगों की संख्या एक लाख से अधिक है. अन्य उपजातियों को भी शामिल कर लें तो यमुनापार की चार विधानसभा सीटों के अलावा प्रतापपुर, हंडिया में ये पिछड़ी जातियां निर्णायक भूमिका में हैं. निषाद वोट बैंक को साधने की खातिर महाकुंभ के लिए निषादराज क्रूज को वाराणसी से प्रयागराज लाया गया है. 

भाजपा नेताओं को लगता है कि महाकुंभ के जरिए दलितों और पिछड़ी जातियों को लुभाने की कोशिश अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में रंग लाई, जहां भाजपा ने 60 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल की. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और सपा लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभिषेक यादव कहते हैं, ''महाकुंभ की बदइंतजामी से सभी जातियों के लोग त्रस्त हैं.

सबसे ज्यादा दिक्कत निषाद जाति से ताल्लुक रखने वाले नाविकों की है. क्रूज और मशीन युक्त नाव से रोजी-रोटी का संकट है. महाकुंभ से भाजपा को वैसा ही फल मिलेगा जैसा अयोध्या में अधूरे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मिला था.'' अब देखना यह है कि जातियों को जोड़ने में जुटे भगवा खेमे को महाकुंभ कैसा पुण्य प्रदान करता है.

भाजपा संविधान की प्रति और डॉ. आंबेडकर की तस्वीर बांटकर खुद को संविधान विरोधी बताने की कोशिश को नाकाम करना चाहती है.

संविधान के रास्ते संविधान गैलरी में आंबेडकर की प्रतिमा को प्रणाम करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

पासी-जाटव पर बढ़ा फोकस 

अयोध्या जिले की मिल्कीपुर सुरक्षित विधानसभा सीट उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान ने सपा के अजीत प्रसाद को 60 हजार से अधिक मतों से हराकर रिकॉर्ड कायम कर दिया. जाटवों के बाद पासी उत्तर प्रदेश में दूसरा सबसे बड़ा दलित समुदाय है, जो राज्य की कुल अनुसूचित जाति की आबादी का लगभग 16 फीसद है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा चुनौती पासी (दलित) मतदाताओं के बदले रुख से मिली.

2024 के लोकसभा चुनाव में सपा ने पासी जाति के पांच उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था और ये सभी सांसद बने. वहीं भाजपा के केवल तीन पासी उम्मीदवार ही सांसद बन पाए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र में तीसरी बार भाजपा के सत्ता में आने के बाद बांसगांव के सांसद कमलेश पासवान को अपनी मंत्रिपरिषद में शामिल किया.

पासी नेता और सपा सांसद अवधेश प्रसाद को 'काउंटर' करने के लिए भाजपा ने अवध के वरिष्ठ पासी नेता बाराबंकी के पूर्व सांसद बैद्यनाथ रावत को यूपी अनुसूचित जाति आयोग का चेयरमैन और पूर्व विधायक राम नरेश रावत की पत्नी सरोज रावत को यूपी संगीत नाटक अकादमी का सदस्य बनाया. 2022 में सीएम योगी आदित्यनाथ ने हरगांव (सीतापुर) के विधायक सुरेश राही, जो पासी हैं, को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया. राही के अलावा छह और अनुसूचित जनजाति और एक जनजाति सदस्य योगी कैबिनेट का हिस्सा बने.

इनमें बेबी रानी मौर्य, विजय लक्ष्मी गौतम और असीम अरुण शामिल हैं—ये सभी जाटव समुदाय से आते हैं. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आरएलडी के एनडीए में शामिल होने के बाद, योगी ने अनिल कुमार को भी अपने मंत्रिपरिषद में शामिल किया, जो जाटव हैं.

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