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आंध्र प्रदेश : विजाग स्टील को मिली नई जिंदगी लेकिन कुछ मुश्किलें अब भी सामने

केंद्र से 11,440 करोड़ रुपए का वित्तीय पैकेज पाकर राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड को अपनी चीजें दुरुस्त करने का मौका मिला. मगर, इस प्लांट की कुछ सीमाएं इसकी राह में बाधा बन सकती हैं

आरआईएनएल प्लांट
आरआईएनएल संयंत्र
अपडेटेड 5 मार्च , 2025

विशाखापत्तनम, या जैसा कि तेलुगु बिड्डा (बच्चे) इसे कहना पसंद करते हैं, 'विजाग', आंध्र प्रदेश का सबसे बड़ा मेट्रो शहर है. इसे 'भारत की जहाज निर्माण राजधानी' और 'पूर्वी तट का गहना' सरीखी उपाधियों से भी नवाजा जाता है. इस शहर के रत्नों में सरकारी स्वामित्व वाला राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) या विजाग स्टील प्लांट (वीएसपी) भी शामिल है. इसे 2010 में 'नवरत्न' घोषित किया गया, मगर अब यह अनिश्चित भविष्य से दोचार है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2021 में इस संयंत्र के लिए विनिवेश योजना को मंजूरी दी, मगर शहर में भारी विरोध के बाद उसको ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. 

अब 2025 में एनडीए की सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की अगुआई वाली नई सरकार राज्य की सत्ता में है और आरआइएनएल को नई जिंदगी दे दी गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) ने 17 जनवरी को आरआइएनएल के पुनरुद्धार के लिए 11,440 करोड़ रुपए के वित्तीय पैकेज को मंजूरी दी. यह खबर थोड़ी चौंकाने वाली थी, क्योंकि हफ्ते भर पहले प्रधानमंत्री करीब 2 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाओं की आधारशिला रखने के लिए विजाग में थे, मगर उन्होंने आरआईएनएल का कोई जिक्र नहीं किया.

सूत्रों का कहना है कि आंध्र प्रदेश के तेजतर्रार मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने मोदी को समझाया कि यह पुनरोद्धार पैकेज क्यों बेहद जरूरी है. अब इस पैकेज में 10,300 करोड़ रुपए का इक्विटी निवेश और 1,440 करोड़ रुपए का कार्यशील पूंजी ऋण शामिल है, जिसे 10 वर्ष बाद भुनाए जा सकने योग्य सात फीसद गैर-संचयी वरीयता शेयर पूंजी में बदला जाएगा. सरकार के मुताबिक, इक्विटी मदद से आरआइएनएल परिचालन चुनौतियों से निपट पाएगा, कार्यशील पूंजी जुटा पाएगा और धीरे-धीरे अपनी 73 लाख टन प्रति वर्ष की पूर्ण उत्पादन क्षमता हासिल कर सकेगा. अभी यह आधी क्षमता पर काम कर रहा. एक्स पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री ने कहा, "यह (पुनरुद्धार पैकेज) आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में इस्पात क्षेत्र की अहमियत को समझते हुए किया गया." वहीं केंद्रीय इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी और नायडू का कहना है कि इस पूंजी निवेश के साथ वीएसपी का निजीकरण ''विचारणीय नहीं रह गया है".

चुनौतियां

आरआईएनएल बीते एक दशक से गंभीर वित्तीय और परिचालन की चुनौतियों से जूझ रहा है. इसकी कुल देनदारियां 35,000 करोड़ रुपए से ज्यादा हो गई हैं और कामगारों को सितंबर 2024 से नियमित भुगतान नहीं किया गया. इस्पात संयंत्र की मुश्किलें तब शुरू हुईं जब वीएसपी ने 2014 और 2017 के बीच अपनी उत्पादन क्षमता का विस्तार 30 लाख टन से बढ़ाकर 73 लाख टन प्रति वर्ष किया और इसके लिए ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज लेकर धन लगाया गया. मगर सबसे बड़ा कारक कच्चे माल की ऊंची कीमतें या उसका न मिलना रहा है. आरआईएनएल अकेला इस्पात संयंत्र है जिसके पास अपनी खुद की लौह अयस्क खदानें नहीं हैं. लिहाजा इसे खुले बाजार से महंगे कच्चे माल की खरीद पर निर्भर रहना पड़ता है.

आरआईएनएल प्रबंधन ने वित्तीय चुनौतियों का हवाला देते हुए कर्मचारियों के सभी लाभ रोक दिए और वेतन भुगतान में भी हर महीने 20 से 30 दिनों की देरी करता आ रहा है (संयंत्र में करीब 12,600 कर्मचारियों और 14,000 आकस्मिक कामगारों का कार्यबल है). इस्पात मंत्रालय का आकलन है कि वित्तीय योजना की बदौलत आरआइएनएल कर्जों का एक हिस्सा चुका पाएगा, बाकी कर्ज का पुनर्गठन कर पाएगा और टिकाऊ ढंग से कायापलट शुरू करने के लिए कार्यशील पूंजी भी मिल जाएगी. वीएसपी नकद प्रवाह की गंभीर मुश्किलों का भी सामना कर रहा है, इस हद तक कि लौह अयस्क को पिघलाने वाली अपनी ब्लास्ट फरनेस के लिए उसे गंगावरम और विशाखापत्तनम बंदरगाहों के गोदामों से आयातित कोकिंग कोयला मिलने में भी रुकावट आ गई.

राजनीति

नायडू के लिए वीएसपी के पुनरुद्धार का मतलब 2024 में चुनाव से पहले किए टीडीपी के वादे को पूरा करना है. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने मोदी से बात की और कुमारस्वामी को 11 जुलाई, 2024 को संयंत्र का दौरा करने के लिए राजी कर लिया. 2021 के विनिवेश योजना की नाकामी के बाद यह इस्पात मंत्री का पहला दौरा था. वीएसपी का भविष्य तेलुगु लोगों के लिए जज्बाती मुद्दा है, क्योंकि यह 1966 में एक आंदोलन की आग और कई प्रदर्शनकारियों की शहादत से पैदा हुआ था. उस आंदोलन का शंखनाद था—'विसाका उक्कू, आंध्रलु हक्कू (विजाग स्टील, आंध्र के लोगों का हक)'. आंदोलन 1966-67 में शुरू हुआ जब 58 सुरंगों और 84 बड़े पुलों वाली कोठावलासा-किरंदुल रेललाइन खोली गई. रेलवे के संचार उपकरणों सहित इसका निर्माण जापान की वित्तीय मदद से किया गया और उद्देश्य छत्तीसगढ़ की बैलाडिला खदानों से लौह अयस्क को निर्यात के लिए विशाखापत्तनम पहुंचाना था. इस्पात संयंत्र के लिए चलाया जा रहा आंदोलन चाहता था कि लौह अयस्क को विदेश निर्यात करने के बजाय विजाग में ही संसाधित किया जाए.

जुलाई 2024 में वहां पहुंचे केंद्रीय इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ​

टीडीपी के लिए भी विजाग बेहद अहम है. पार्टी के पहली बार के सांसद श्रीभरत मुथुकुमिली जीत के सबसे बड़े अंतर (5,04,247 वोटों) से विशाखापत्तनम से ही चुने गए और इस जीत में मुख्य योगदान इस्पात संयंत्र को वापस पटरी पर लाने के उनके वादे का था. वीएसपी गाजुवाका विधानसभा क्षेत्र में है और यहां से भी उसके विधायक पल्ला श्रीनिवास राव तब के उद्योग मंत्री वाइएसआरसीपी (युवजन श्रमिक रायतू कांग्रेस पार्टी) के गुडिवाडा अमरनाथ को हराकर भारी बहुमत (67.3 फीसद वोट हिस्सेदारी) से चुने गए. इसलिए जब श्रीभरत कहते हैं कि ''निर्णायक कदम की दरकार है...कर्मचारियों की आजीविका की रक्षा करने और आरआईएनएल को लंबे समय तक टिकाऊ बनाए रखने के लिए समग्र पुनरुद्धार पैकेज की जरूरत है'', तो इसे खोखले शब्द भर नहीं समझना चाहिए.

नायडू "बीमार इस्पात संयंत्र में नई जान फूंकने" में मिली इस कामयाबी का श्रेय 'डबल इंजन' की सरकार को देते हैं. मौजूदा पुनरोद्धार योजना यह सुनिश्चित करने के लिए है कि संयंत्र की तीनों ब्लास्ट फरनेस 2025 के मध्य तक 92 फीसद से ज्यादा का उत्पादन स्तर हासिल कर सकें. राज्य सरकार के सूत्रों का कहना है कि बड़ी कोरियाई इस्पात कंपनी पीओएससीओ या पोस्को सहित कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने आरआईएनएल में निवेश में दिलचस्पी दिखाई है. उनके मुताबिक, कुछ तो वीएसपी के आधुनिकीकरण के लिए 'टेक्नोलॉजी पार्टनर' के रूप में भी साथ आने को उत्सुक हैं.

अलबत्ता हर कोई कायल नहीं. बिजली और आर्थिक मामलों के पूर्व केंद्रीय सचिव और सिविल सोसाइटी ग्रुप पीपल्स कमीशन ऑन पब्लिक सेक्टर ऐंड पब्लिक सर्विसेज (पीसीपीएसपीएस) का नेतृत्व कर रहे ई.ए.एस. सरमा कहते हैं, "इस्पात मंत्रालय का यह कदम देर से उठाया गया, पर स्वागययोग्य है. 2021 में आरआइएनएल के निजीकरण का एनडीए सरकार का कदम उलटे नतीजे देने वाला था. उन्होंने इसको कमजोर करने और इसे चांदी की तश्तरी में रखकर एक निजी दिग्गज कारोबारी को सौंपने के लिए हर तरकीब आजमाई, मगर उन्हें जन दबाव में उस प्रस्ताव को वापस लेना पड़ा.''

आरआईएनएल के अधिकारी और यूनियनें अरसे से शिकायत करती आई हैं कि संयंत्र को अब भी लौह अयस्क की एक भी खुद की खदान आवंटित नहीं की गई है जबकि प्रतिस्पर्धी ऐसी कई खदानों के मालिक हैं. मसलन, जेएसडब्ल्यू स्टील को तो (2016 से) 13 खदानें, नौ कर्नाटक में और चार ओडिशा में, आवंटित कर दी गईं, जिसकी बदौलत उसने विजाग स्टील के कुछ ग्राहक हड़प लिए.

एक मुद्दा आरआईएनएल के कब्जे में मौजूद करीब 18,000 एकड़ बेशकीमती जमीन का भी है, जो मूलत: किसानों से इस सहमति के आधार पर अधिग्रहीत की गई थी कि यह 'पूरी तरह सरकारी मिल्कियत वाली' कंपनी के लिए है, जैसा कि उस वक्त के भू-अधिग्रहण कानून में निर्धारित था. सरमा दावा करते हैं, "किसी भी सरकार के लिए उस जमीन को किसी निजी कंपनी के हाथों में सौंपना अवैध होता, खासकर तब जब इसका मौजूदा बाजार मूल्य करीब 2 लाख करोड़ रुपए के आसपास होगा."

पैकेज

उद्योग के कुछ विश्लेषक 11,440 करोड़ रुपए के इस 'वित्तीय पैकेज' को लेकर भी शंकालु हैं. अगर यह पूरी तरह कर्ज चुकाने के लिए है, तो वीएसपी को परिचालन की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. इसके विपरीत, उत्पादन में इस धन का निवेश करने से इतना मुनाफा हो सकता था कि उससे कर्ज चुकाए जा सकते थे. मगर कच्चे माल की लागतें, अपनी खदानों का न होना, निजी इस्पात संयंत्रों के मुकाबले गैरबराबरी का व्यवहार और क्षमता का कमतर इस्तेमाल सरीखे बुनियादी मुद्दों को हल करके ही ऐसा किया जा सकता था.

कई लोग आशंकित हैं कि यह 'पैकेज' संभावित निजीकरण से पहले इसका मूल्य निर्धारण बढ़ाने की गरज से उठाया गया शुरुआती कदम भर है. आरआइएनएल की शुरुआत भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमि. (सेल) के अंग के रूप में हुई थी. बाद में इसे अलग कंपनी बना दिया गया. सेल के स्वतंत्र निदेशक एस. विश्वनाथ राजू ने जोर देकर कहा है कि बड़ी इस्पात कंपनी के साथ विलय ही एकमात्र समाधान है, मगर सेल ने यह कहकर मना कर दिया कि जब तक विजाग स्टील घाटे में है, यह विकल्प नहीं है. निजीकरण के मंडराते खतरे के बीच वीएसपी के कामगारों ने काम पर जाते हुए भी संयंत्र के मुख्य प्रवेशद्वार पर चौबीसों घंटे सातों दिन बारी-बारी से प्रदर्शन किया.

आरआईएनएल के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए 2,000 एकड़ का भूखंड राष्ट्रीय खनिज विकास निगम को बेचने के जरिए परिसंपत्तियों के मौद्रिकीकरण की चर्चा भी चल रही है. इस बीच आरआईएनएल को एक और प्रतिस्पर्धी मिल जाएगा, क्योंकि एक घंटे की दूरी पर अनकापल्ले में आर्सिलर मित्तल का 1.7 लाख करोड़ रुपए का 140 लाख टन का इस्पात संयंत्र आ रहा है. नायडू ने नए संयंत्र के लिए कच्चे माल की गारंटी दी है. जहां तक विजाग स्टील की बात है, आसन्न संकट तो टाल दिया गया, मगर इसका भविष्य अब भी अनिश्चित है.

सधा साथ विशाखापत्तनम में 9 जनवरी को एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी और नायडू

संकट के पहलू

> आरआइएनएल के निजीकरण की योजना को 2021 में मंजूरी दी गई थी, मगर भारी विरोध के बाद उसे टाल दिया गया 

> आरआइएनएल को उसकी पूरी उत्पादन क्षमता हासिल करने के लिए 17 जनवरी को 11,440 करोड़ रु. के पैकेज का ऐलान किया गया

> स्टील संयंत्र की कुल देनदारियां 35,000 करोड़ रु. से ज्यादा हैं

> संयंत्र अपनी 73 लाख टन प्रति वर्ष की क्षमता से आधे पर काम कर रहा; कच्चे माल के लिए खुद के खदान की कमी भी बड़ी परेशानी है 

> आरआइएनएल के पास विजाग में 2 लाख करोड़ रु. की 18,000 एकड़ बेशकीमती जमीन है

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