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उत्तर प्रदेशः दवा के अवैध कारोबार का केंद्र बना आगरा

तकरीबन 11 राज्यों में नशे के इस्तेमाल में आने वाली और नकली दवा की सप्लाइ और कालाबाजारी का केंद्र बना उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक नगर.

काला धंधा  मथुरा के गोविंदनगर थाना क्षेत्र में एक ट्रांसपोर्टर के गोदाम में अवैध रूप से रखी फेन्सेड्रिल कफ सिरप की 45,000 बोतलें बरामद करती पुलिस
काला धंधा  मथुरा के गोविंदनगर थाना क्षेत्र में एक ट्रांसपोर्टर के गोदाम में अवैध रूप से रखी फेन्सेड्रिल कफ सिरप की 45,000 बोतलें बरामद करती पुलिस
अपडेटेड 17 मार्च , 2021

आगरा जोन के अपर पुलि‍स महानिदेशक (एडीजी) राजीव कृष्ण 9 मार्च की सुबह नौ बजे रोजमर्रा की तरह दफ्तर जाने की तैयारी कर रहे थे. तभी मोबाइल पर आई एक कॉल से वे अचानक हरकत में आ गए. मुखबिर ने उन्हें फोन करके मथुरा में दवाओं के अवैध धंधे की लोकेशन बताई थी. राजीव ने तुरंत आगरा मंडल के सहायक आयुक्त (औषधि)‍ अखि‍लेश कुमार जैन और आगरा के औषधि‍ निरीक्षक नरेश मोहन दीपक को मथुरा के लिए रवाना कर दिया. मथुरा के पुलिस अधि‍कारियों को भी एलर्ट कर दिया गया. 

डेढ़ घंटे के भीतर आगरा से भेजे गए अधि‍कारी मथुरा के सीओ सिटी वरुण कुमार के साथ गोविंदनगर थाना क्षेत्र में मुखबिर की बताई लोकेशन पर पहुंच गए. दिल्ली बाइपास लिंक रोड पर सरस्वतीकुंड में एक ट्रांसपोर्टर के गोदाम में फेन्सेड्रिल कफ सिरप के 450 कार्टून मिले. हर कार्टून में 100-100 मिली. की सौ बोतलें थीं. मौके से जो बिल मिले, उसके मुताबिक, ये कार्टून सहारनपुर से गोरखपुर और वाराणसी के लिए भेजे गए थे लेकिन मथुरा में इनका मिलना संदिग्ध था.

मौके पर मजदूर कफ सिरप के कार्टून को सफेद प्लास्टिक की बोरियों में भर रहे थे.  औषधि‍ निरीक्षक नरेश मोहन दीपक बताते हैं, ‘‘फेन्सेड्रिल कफ सिरप में को‍डीन फॉस्फेट पाया जाता है, जिसका उपयोग नशे के लिए भी किया जाता है. खासकर बांग्लादेश में फेन्सेड्रिल कफ सि‍रप की अवैध ढंग से सप्लाइ की जाती है. आगरा और मथुरा से यह दूसरे राज्यों में पहुंचता है जहां इसे ब्लैक में बेचा जाता है.’’

फेन्सेड्रिल कफ सिरफ की 100 मिली. की बोतल 169 रुपए की मिलती है लेकिन नशेडिय़ों को इसे ब्लैक में 500 रु. से 1,000 रु. प्रति बोतल की दर से बेचा जाता है. पुलिस से छह‍ लोगों पर एफआइआर दर्जकर दो को जेल भेज दिया है. जांच में कफ सिरप के अवैध धंधे के तार आगरा के सिकंदरा इलाके से भी जुड़ रहे हैं. यूपी की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने पिछले वर्ष अगस्त में आजमगढ़ में मुर्गी दाना की बोरियों से लदे ट्रक में फेन्साड्रिल कफ सिरप की करीब 40 हजार बोतलों को छिपाकर ले जाते हुए पकड़ा था. यह ट्रक आगरा के सिंकदरा इलाके से सिलिगुड़ी जा रहा था.  

आगरा नशीली और नकली दवाओं की अवैध मंडी बना हुआ है? इसका खुलासा उस वक्त हुआ जब पिछले वर्ष कोरोना महामारी में ढील मिलने के बाद जुलाई में पंजाब में बरनाला जिले के एसएसपी संदीप गोयल ने जिले में कुछ नशेडिय़ों को गिरफ्तार किया. उनकी निशानदेही पर जिले के तीन केमिस्ट पकड़े गए. पंजाब पुलिस की पूछताछ में नशीली दवाओं के ‘‘आगरा गैंग’’ का नाम सामने आया. इस गैंग के सरगना विक्की अरोड़ा को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया.

पंजाब पुलिस से मिले इनपुट पर आगरा पुलिस और औषधि‍ प्रशासन विभाग सक्रिय हुआ. इसके बाद से आगरा में नशीली और नकली दवाओं के अवैध कारोबार की परतें खुलने लगीं. आगरा का फव्वारा इलाका दवा कारोबार की मंडी है. यहां 2,500 से अधि‍क दवा की थोक दुकानें और गोदाम हैं. पिछले नौ महीने के दौरान इस इलाके में दवा के अवैध कारोबार से जुड़े एक दर्जन से अधि‍क लोगों पर कार्रवाई हो चुकी है (देखें बॉक्स). 

औषधि‍ विभाग के एक अधि‍कारी बताते हैं, ‘‘आगरा में 25 फीसद कारोबारी नारकोटिक्स ड्रग का अवैध धंधा कर करोड़पति बन गए हैं. उनमें कई तो केवल इन दवाओं के हॉकर हैं. उन्होंने दिखाने को तो फव्वारा में दुकान खोल रखी है लेकिन काम अपने घर और ट्रांसपोर्ट कंपनी से करते हैं. नींद और दर्द की टैबलेट, कोडीन सिरप, दर्द के इंजेक्शन की बड़ी खेप मंगाकर ट्रांसपोर्ट कंपनी के जरिए छिपाकर अवैध ढंग से दूसरे राज्यों में भेज देते हैं.’’ औषधि‍ निरीक्षक नरेश मोहन दीपक के मुताबिक, आगरा गैंग पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत 11 राज्यों में नशीली और नकली दवा की सप्लाइ कर रहा था.

राजीव कृष्ण बताते हैं, ‘‘आगरा में प्रसिद्ध मानसिक रोग अस्पताल होने की वजह से यहां नींद, ऐंटी डिप्रेशन और दर्द की दवा की बहुत ज्यादा खपत है. इसी की आड़ में आगरा में इन दवाओं की छद्म मांग पैदाकर ड्रग माफि‍या नारकोटिक्स दवाओं का अवैध करोबार कर रहा है.’’ आगरा में अवैध दवा के कारोबार से जुड़ी एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां दवा बाजार से दीमागी मरीजों, दर्द और नींद की दवाओं की असल बिक्री रोजाना 25 लाख रुपए की होती है जबकि इसका करीब तीन गुना नशे के काम में आ रही है.

औषधि‍ विभाग के अधि‍कारी बताते हैं, ‘‘यह आश्चर्यजनक है कि करीब कुल 50 लाख रु. कीमत की ट्रोमाडॉल और कोडीन सिरप ही आगरा में फर्जी बिल के जरिए बेच दी जाती है. शेष दवाओं में स्पाज्मो प्रोक्सि‍वान, नाइट्राजीपाम टैबलेट, एल्प्राजोलाम, क्लोनाजीपाम और फेन्सीड्रिल सिरप शामिल हैं. इनमें कोडीन और ट्रोमाडॉल की नशे के लिए अधि‍क कालाबाजारी होती है. ये दस गुना दाम तक बिक जाती हैं.’’

पिछले वर्ष दिसंबर में आगरा में पकड़े गए ‘जयपुरिया गैंग’ के ठिकानों से नशीली दवाओं के अनोखे कंबिनेशन को भी जब्त किया गया था. औषधि‍ निरीक्षक नरेश मोहन दीपक बताते हैं कि दर्द निवारक इंजेक्शन ट्रोमाडॉल, नींद की टैबलेट एल्प्राजोलाम का इस्तेमाल नशे के लिए किया जाता है. इन दोनों दवाओं का कोई भी कंबिनेशन नहीं आता है.

जयपुरिया गैंग के ठिकानों से ‘हाइ डोज ट्रोमाडॉल’ नाम के कैप्सूल जब्त किए गए. इन कैप्सूल के रैपर पर ट्रोमाडॉल, एल्प्राजोलाम और दर्द निवारक दवा डाइक्लोफि‍नेक का कंबिनेशन दर्ज था. इस तरह अवैध ढंग से दवाओं के साल्ट का उपयोग नशीली दवा के रूप में तस्कर कर रहे हैं. आगरा में पिछले दो साल में 250 करोड़ रुपए की नशे की और नकली दवाइयां मिल चुकी हैं. आगरा में ट्रैवेल एजेंसी संचालक दिलीप मल्होत्रा बताते हैं, ‘‘आगरा देश का बड़ा पर्यटक केंद्र हैं और यहां काफी संख्या में विदेश पर्यटक आते हैं, जिनमें कई नशे के आदी होते हैं. इन्हीं पर्यटकों की डिमांड पर ड्रग तस्कर नशीली दवाएं मुहैया कराते हैं.’’ 

आगरा में दवाओं के अवैध कारोबार के‍ खि‍लाफ लड़ रहे आगरा जिला केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष आशू शर्मा बताते हैं, ‘‘आगरा में दवाओं का अवैध कारोबार 2,000 करोड़ रुपए सालाना से भी अधि‍क का है. खास बात यह है कि यूपी के औषधि‍ प्रशासन विभाग को पता ही नहीं चला और दूसरे प्रदेशों की पुलिस ने आकर दवा तस्करों पर कार्रवाइ की.’’ 

नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और औषधि विभाग को हरियाणा और राजस्थान से लगातार गोपनीय सूचनाएं मिल रही थीं. आगरा से इन राज्यों में अवैध रूप से भ्रूण हत्या में प्रयोग की जाने वाली औषधीय किटों की सप्लाइ हो रही है. सबसे पहले आगरा के गोगिया मार्केट में काम कर रही दो फर्मों के नाम सामने आए. 10 दिसंबर को ड्रग विभाग ने दोनों पर उपलब्ध मास्टर कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर का डेटा और हार्ड डिस्क का बैकअप कब्जे में ले लिया.

एक फर्म के नशीली दवाओं के कारोबार में लिप्त होने की जानकारी मिली. डेटा के गहन विश्लेषण से आगरा में एक बड़े रैकेट के बारे में जानकारी मिली. जांच से जुड़े एक अधि‍कारी बताते हैं, ‘‘दवा कारोबारी अक्सर कंप्यूटर और लैपटॉप का डेटा डिलीट करते रहते हैं. लेकिन इनकी एक रूट फाइल बनती रहती है. इसके सहारे कंप्यूटर की पूरी हिस्ट्री खोज कर पूरे रैकेट के बारे में जानकारी हासिल की गई.’’ 

ये कंपनियां सालाना करीब 40 करोड़ रुपए की गर्भपात किट अवैध रूप से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी यूपी के जिलों में सप्लाइ कर रही थीं. जांच में पता चला कि इन फर्मों ने 50 के करीब डॉक्टरों के नाम पर फर्जी बिल काटे और गर्भपात किट की तस्करी की. 

आशू शर्मा का आरोप है कि औषधि‍ विभाग दोषि‍यों पर कार्रवाई का दिखावा करता है. गुपचुप दोषी छोड़ दिए जाते हैं, किसी को कानोकान खबर नहीं होती. केमिस्ट एसोसिएशन का आरोप है कि पहले एक ड्रग इंस्पेक्टर पर नकली और नशीली दवा बेचने वालों से घूस लेने का आरोप लगा था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. आरोपों को नकारते हुए आगरा के औषधि‍ निरीक्षक दीपक बताते हैं कि विभाग की सख्ती से आगरा में ड्रग रैकेट से जुड़े गिरोह पर सख्त कार्रवाई हो रही है.

पिछले तीन महीने में तीन बड़े गैंग पकड़े गए हैं. 20 आरोपी जेल भेजे गए और करीब 10 करोड़ रु. की दवाएं बरामद की गई हैं. आगरा करीब 11 राज्यों में नशीली और नकली दवाओं के धंधे का केंद्र बना हुआ है, उसे देखते यह कार्रवाई नाममात्र की ही लगती है.

‘‘आगरा में दवाओं के अवैध कारोबार को पूरी तरह से बंद करने के लिए रणनीति तैयार हो रही है. लोग मुझे फोन और ट्विटर पर मैजेस करके दवाओं के अवैध कारोबार की जानकारी दे रहे हैं’’
राजीव कृष्ण, अपर पुलिस महानिदेशक, आगरा जोन

‘ड्रग विभाग दवा की दुकानों और गोदामों की नियमित जांच नहीं करता है, इसीलिए नशीली और नकली दवाओं के कारोबारियों के हौसले बुलंद हैं. सरकार को आगरा में विशेष अभि‍यान चलाना चाहिए’’ 
आशू शर्मा, अध्यक्ष, आगरा जिला केमिस्ट एसोसिएशन

आगरा में सक्रिय अवैध दवा के सौदागर
वि‍क्की अरोड़ा गैंग: यह गैंग मुख्यत: पंजाब और हरियाणा में नशे में काम आने वाली टैबलेट, कैप्सूल और सिरप बेचता था. पिछले वर्ष जुलाई में पंजाब पुलिस विक्की अरोड़ा और उसके गैंग के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया था. ये पंजाब की जेल में बंद हैं. पंजाब पुलिस ने इस गैंग को ‘‘आगरा गैंग’’ का नाम दिया था. पंजाब में नशीली दवाओं का कारोबार करने वाले गैंग से इनकी साठगांठ थी. आगरा गैंग ने फर्जी फर्मों के जरिए दवाओं का अवैध करोबार शुरू किया था. विक्की अरोड़ा गैंग के बचे हुए सदस्यों पर पुलिस की नजर है 

प्रमोद जयपुरिया गैंग: नशीली दवाओं का कारोबार पहले आगरा गैंग और प्रमोद जयपुरिया गैंग साथ मिलकर करते थे. बाद में आगरा गैंग अलग हो गया. प्रमोद जयपुरिया गैंग पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में नशे के लिए नार्कोटिक्स की दवाएं, कन्या भ्रूण हत्या के लिए इस्तेमाल की जा रहीं गर्भपात किट और सैंपल की दवाओं का अवैध धंधा करता है. गैंग का सरगना प्रमोद जयपुरिया जुलाई, 2019 से दिल्ली जेल में बंद है और उसका दामाद फरार है.

पंकज गुप्ता गैंग: इस गैंग का सरगना पंकज गुप्ता जयपुरिया गैंग का मुख्य रणनीतिकार था. प्रमोद जयपुरि‍या के जेल जाने के बाद यह गैंग तेजी से आगरा और यूपी से सटे राज्यों में नशीली दवाओं का अवैध करोबार कर रहा था. पिछले वर्ष 17 से 21 दिसंबर तक चली कार्रवाई में पुलिस और औषधि‍ विभाग की संयुक्त टीम ने आगरा में इनके ठि‍कानों से पांच करोड़ रु. से अधि‍क की नार्कोटिक्स दवाएं बरामद की थीं. गैंग के सरगना पंकज गुप्ता को 15 फरवरी को न्यू आगरा थाना क्षेत्र से पकड़ा गया 

सरदार गैंग: लाल बंगला कानपुर निवासी सरदार हरप्रीत सिंह आगरा में पंकज गुप्ता गैंग के साथ मिलकर नशीली दवाओं का अवैध कारोबार कर रहा था. पंकज गुप्ता गैंग के सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में सरदार गैंग के बारे में पुलिस को जानकारी मिली है. नशीली दवाओं के डबल डोज तैयार करने में सरदार गैंग, पंकज गुप्ता गैंग की मदद करता था. इस सूखे नशे की सप्लाइ में सरदार गैंग के सदस्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत कई राज्यों में करते हैं

लॉकडाउन से राहत मिलते ही शुरू हुई धर-पकड़
26 जुलाई, 2020: पंजाब की बरनाला पुलिस ने 11 राज्यों में नशा तस्करी करने वाले ‘‘आगरा गैंग’’ का भंडाफोड़ किया. गैंग का सरगना जितेंद्र अरोड़ा उर्फ विक्की अरोड़ा और उसका भाई कपिल अरोड़ा गिरफ्तार किए गए 

29 जुलाई, 2020: पंजाब पुलिस ने आगरा गैंग से जुड़े नशे की दवाओं की तस्करी के मास्टरमाइंड हरीश भाटिया को पश्चिमी बंगाल से गिरफ्तार किया. आगरा में विक्की अरोड़ा के अवैध गोदाम से 12 करोड़ रु. की दवाएं बरामद

16 अगस्त‍, 2020: एसटीएफ ने आगरा से सिकंदरा इलाके से 70 लाख रु. की कीमत के फेन्साड्रिल कफ सिरप को अवैध ढंग से सिलिगुड़ी ले जा रहे ट्रक को आजमगढ़ में पकड़ा. मुर्गी दाना की बोरियों के बीच सिरप की 39,990 शीशि‍यां थीं 

10 दिसंबर, 2020: औषधि‍ प्रशासन विभाग ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई में आगरा में गोगिया मार्केट फव्वारा में दो दवा की बड़ी दुकानों पर छापा मारकर करीब 35 करोड़ रुपए की गर्भपात किटों के अवैध धंधे का खुलासा किया

15 दिसंबर, 2020: पंजाब की अमृतसर पुलिस ने थाना कत्थूनंगल क्षेत्र से तीन नशा तस्करों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 40 लाख रुपए की कीमत वाली तीन लाख 46 हजार नशीली गोलियां बरामद की थीं. उन्हें आगरा गैंग बना रहा था 

19 दिसंबर, 2020: दिल्ली के नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और आगरा ड्रग विभाग ने आगरा के बल्केश्वर में अंतरराज्यीय ड्रग तस्कर पंकज गुप्ता के गोदाम में छापा मारकर पांच करोड़ रुपए की नशे की दवाइयां और गर्भपात किट बरामद किया

22 दिसंबर, 2020: नशे की दवाओं के अंतरराज्यीय गिरोह के चार और सदस्य मुबारक महल फव्वारा, कमलानगर इलाकों से गि‍रफ्तार किए गए. उनके पास से डेढ़ करोड़ रुपए की नशे की दवाएं, इंजेक्शन और सरकारी दवाएं जब्त की गईं

21 जनवरी, 2021: न्यू आगरा के एसएस डिग्री कॉलेज में दवाओं का अवैध गोदाम पकड़ा गया. वहां गर्ल्स रूम के बाथरूम से करीब 10 लाख रुपए से अधि‍क की दवाएं पाई गईं, जो मुख्यत: डायलिसिस के काम में आती हैं

8 फरवरी, 2021: मथुरा और आगरा में नकली दवाओं की सप्लाइ करने वाली फर्म और अवैध फैक्ट्री पकड़ी गई. यहां नकली और एक्सपायर्ड दवाओं की रिपैकिंग हो रही थी. फैक्ट्री संचालक फल विक्रेता से दवा कारोबारी बने रजौरा बंधुओं को जेल भेजा गया 

14 फरवरी, 2021: नौ राज्यों में दवा की तस्करी करने वाले पंकज गुप्ता को खंदारी इलाके से गिर‌फ्तार कर जेल भेज दिया गया. पंकज पर आगरा में कुल नौ मुकदमे दर्ज हैं. उसकी हिस्ट्रीशीट खोलने की कार्यवाही की जा रही है

दवाओं के अवैध कारोबार के लिए तरह-तरह के हथकंडे 

शेड्यूल-एच रजिस्टर: ‘‘नार्कोटिक्स ड्रग्स साइकोट्रोपिक सब्सटेंस ऐक्ट-1985’’ के तहत दवाओं की ब्रिकी के सक्चत नियम हैं. नार्कोटिक्स की दवाओं में नींद की टैबलेट से लेकर दर्द निवारक इंजेक्शन तक हैं. ये शि‍ड्यूल एच में आते हैं. मेडिकल स्टोर संचालक इन दवाओं के खरीददारों का ब्योरा शि‍ड्यूल-एच रजिस्टर में नहीं दर्ज कर रहे हैं

फर्जी बिल: नारकोटिक्स दवाओं के थोक कारोबारी मेडिकल स्टोर के नाम पर फर्जी बिल बनाकर नार्कोटिक्स दवाओं को नशीली दवाओं का अवैध धंधा करने वालों को अधि‍क दामों पर बेच देते हैं. नशा करने वाले लोग इन दवाओं को 10 गुना से भी अधि‍क दाम में खरीदते हैं. आगरा में ऐसे छह ‘‘स्टॉकिस्ट’’ पकड़े गए हैं

कुरियर से सप्लाइ: विक्की अरोड़ा गैंग नशीली और नकली दवाओं के अवैध कारोबार के लिए कुरियर एजेंसी की मदद लेता था. कुरियर एजेंसी सामान का बिल काटकर उसकी जगह दवाएं रखकर पहले उसे आगरा से कोलकाता में फर्जी पते पर भेजती थीं. उसके बाद कोलकता के फर्जी पते से दवाएं पंजाब और हरियाणा में सप्लाइ की जाती थीं 

अवैध भंडारण: दवा तस्कर नशे की और नकली दवाइयों का आगरा में भंडारण करते हैं. ये दिल्ली, गुडग़ांव, फरीदाबाद जैसी जगहों से लाई जाती हैं. आगरा में गैंग के बड़े गोदाम हैं. ये सिकंदरा, फ्री गंज, बल्केश्वर, यमुना पार में पकड़े जा चुके हैं. यहां से दवाइयों को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, बिहार, गुजरात में भेजा जाता है

डुप्लिकेट पैकेजिंग: ड्रग माफि‍या ब्रांडेड दवाओं की हूबहू पैकिंग पर असली बैच नंबर छपवाते हैं. इस पैकेजिंग में नकली दवाएं बेचने के साथ ब्रांडेड दवाओं की सस्ती जेनेरिक दवाएं पैक करके ब्रांडेड दवाओं के दाम में बेच दी जाती हैं. डुप्लिकेट पैकेजिंग में उसी दवा की जेनेरिक दवा होने के कारण नमूने जांच में फेल नहीं होते 

फर्जी फर्म: आगरा से नशीली दवाएं आटे और दाल की बोरियों में भरकर पंजाब और हरियाणा में आटे और दाल के नाम पर पंजीकृत फर्जी फर्मों पर भेजी जा रही थीं. उन्हीं फर्जी फर्म के आधार पर ई-वे बिल तैयार कराए जाते थे. आगरा में जीएसटी विभाग ने ऐसी ही तीन फर्मों को पकड़ा है. फल और ड्राइफ्रूट के थैलों में भी दवाएं भेजी जाती थीं 

सरकारी दवाएं: आगरा के गुलाब खान, काला महल निवासी अनिल करीरा देश भर से सरकारी अस्पतालों में सप्लाइ होने वाली दवाएं, सैंपल की दवाएं का अवैध ढंग से जयपुरिया गैंग के लिए इंतजाम करता था. उन दवाओं की मुहर और लेवल को हटाकर उन पर मनमाना दाम लिखकर ग्रामीण इलाकों में बेच दिया जाता था 

एक्सपायर्ड दवाएं: आगरा में पकड़े गए रजोरा बंधुओं की फैक्ट्री में एक्सपायर्ड दवाएं दोबारा नकली पैकिंग में पैक की जाती थीं. स्क्रीन प्रिटिंग के जरिए इन दवाओं पर फर्जी एमआरपी और एक्पायरी डेट डालकर बाजार में सप्लाइ किया जाता था. बल्केशवर में पकड़े गए एक गोदाम में नशे में काम आने वाले कैप्सूल की रीफि‍लिंग पकड़ी गई थी.

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