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इस्लाम में गैर-औरत को बुरी नजर से देखना हराम है: मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी

कथित लव जेहाद पर छिड़ी बहस के बीच दारुल उलूम, देवबंद के रेक्टर मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी से प्रमुख संवाददाता संतोष कुमार ने बातचीत की. उसके अंशः

अपडेटेड 8 सितंबर , 2014
लव जेहाद पर आपका नजरिया क्या है?  
यह इस्लाम की मुखालफत करने वाली लॉबी की ओर से ईजाद किया गया शब्द है, जिसका कोई वजूद नहीं है. इस लफ्ज के आने से पहले जेहन में तसव्वुर भी नहीं था. हमें बदनाम करने के लिए लव जेहाद की बात की जा रही है.

लेकिन मुसलमानों पर लग रहे आरोपों के बारे में आप क्या कहेंगे?
दुनिया के कानून के मुताबिक मर्द और औरत मर्जी से सेक्स करते हैं तो कानून की निगाह में जुर्म नहीं है. लेकिन इस्लाम की निगाह में गैर-औरत की तरफ बुरी निगाह से देखना भी हराम है. जिस मजहब के अंदर गैर-औरत को बुरी नजर से देखना भी सख्त हराम है, उसमें यह शिक्षा दी जाए कि तुम गैर-लड़कियों को फंसाओ, ये गलत और बेहूदा इल्जाम है.

एक पक्ष कहता है कि मदरसों में यह सिखाया जाता है कि हिंदू लड़की फंसाई, धर्मांतरण कराया या बरबाद कर दिया तो आपको सवाब मिलेगा?
ये गैर-मुनासिब है. हम इसको भी मना करते हैं कि किसी लड़की को शादी के मकसद से ऐसा करना भी गलत है. कोई अपनी मर्जी से धर्म कबूल करता है तो उसका निजी मामला है.

लड़का मुस्लिम है लड़की हिंदू, या फिर लड़की मुस्लिम और लड़का हिंदू है तो क्या इस स्थिति में अपने-अपने धर्म के साथ समाज में कबूल किया जा सकता है?
अगर दोनों के धर्म अलग-अलग हैं तो यह शादी होगी ही नहीं. शरई एतबार में वह निकाह मान्य नहीं है. अगर दिल से इस्लाम कबूल कर लिया तो मुसलमान हैं, अगर दिल से नहीं सिर्फ जुबां से कह दे तो दुनियावालों की निगाह में मुसलमान हैं लेकिन हकीकत में मुस्लिम नहीं हैं.  

लव जेहाद की बात करने वालों का आरोप है कि मुस्लिम साजिश के तहत नाम बदलते, कलावा बांधते हैं और उन्हें मदरसों से पैसा मिलता है.
मैंने पहले भी कहा आपसे. जिस मजहब में किसी गैर-लड़की को ख्वाहिश की निगाह से देखना भी हराम है, मदरसा, मस्जिद उसी इस्लाम की तामील करने के लिए बाध्य है तो उसी इस्लाम के खिलाफ हम कैसे फंडिंग कर सकते हैं.

अगर कोई मुस्लिम युवक छद्म रूप में अपने को पेशकर ऐसा करता है तो आप क्या कहेंगे?
अगर कुछ ऐसा है तो वह गलत है. उसे मुसलमानों का नुमाइंदा नहीं कहा जा सकता. हमारी निगाह में भी वह मुजरिम है. समाज के कुछ लोग, कुछ तत्व कह के बात करना सही नहीं है. मुसलमानों के लिए शराब पीना हराम होता है . लेकिन कुछ लोग पीते हैं तो क्या यह कहना सही होगा कि मुसलमान शराबी होते हैं?
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